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No Relief Seen in Fuel Price: भारत अपनी तेल जरूरतों की पूर्ति करने के लिए 85 फीसदी आयात पर निर्भर है। 2022 के बाद तेल कंपनियों की ओर से स्वेच्छा से फ्यूल प्राइस में कटौती नहीं की गई।

No Relief Seen in Fuel Price: अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल (कच्चे तेल) की कीमतों में बदलाव के कारण भारत में पेट्रोल-डीजल और गैस के दाम कम होने की उम्मीद नहीं है। बुधवार को सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की सरकारी तेल कंपनियों को डीजल की ब्रिकी में 3 रुपए प्रति लीटर तक का घाटा उठाना पड़ रहा है, जबकि पेट्रोल (Petrol Prices) में होने वाला घाटा कुछ हद तक कम हुआ है। बता दें कि इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव भी होने हैं, इसके मद्देनजर जनता कुछ राहत की उम्मीद कर रही थी। लेकिन आम नागरिकों को पेट्रोल-डीजल (Diesel Prices) की कीमतों में कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।

फ्यूल मार्केट में 3 कंपनियों की 90% हिस्सेदारी
बता दें कि भारत के ईंधन बाजार (Fuel Market) में इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (HPCL) की 90 फीसदी हिस्सेदारी है। तीनों कंपनियां देशभर में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की खुदरा बिक्री को नियंत्रित करती हैं। 2022 के बाद कंपनियों की ओर से स्वेच्छा से फ्यूल प्राइस में कटौती नहीं की गई है। इसके पीछे कंपनियां उच्च लागत मूल्य और कम लाभ का हवाला देती रही हैं। जबकि ईंधन के कच्चे माल की कीमतें बहुत हद तक कम हैं। 

पेट्रोलियम मंत्री ने कीमतों को लेकर क्या कहा?
बुधवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई से ऑयल इंडस्ट्री के एक अधिकारी ने कहा कि डीजल की बिक्री में 3 रुपए प्रति लीटर तक नुकसान झेलना पड़ रहा है। जबकि पेट्रोल पर घाटा कम होकर 3 से 4 रुपए प्रति लीटर रह गया है। ईंधन की कीमतों में बदलाव पर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सरकार रेट तय नहीं करती है। तेल कंपनियां अभी बाजार में अस्थिरता की बात कह रही हैं।

एक्साइस ड्यूटी घटी, फिर भी ईंधन के दाम स्थिर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अप्रैल 2022 में पेट्रोल पर 8 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला किया था। इसके बाद भी तेल कंपनियों की ओर से पेट्रोल-डीजल के खुदरा मूल्यों में कोई बदलाव नहीं किया गया। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी तेल कीमतों में नरमी देखने को मिली, लेकिन जनवरी के दूसरी हाफ में कीमतों में उछाल देखने को मिला था। बता दें कि भारत अपनी तेल जरूरतों की पूर्ति करने के लिए 85 फीसदी आयात पर निर्भर है।

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