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भारत और अर्जेंटीना के बीच समझौते से लिथियम सोर्सिंग के लिए भारत के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही यह ऊर्जा सुरक्षा और उद्यमों के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है।

India-Argentina Lithium Agreement: भारत एक ओर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था (Economy) का मुकाम हासिल कर चुका है। वहीं, एक और ऐसा सेक्टर है, जिसमें भारत एक बड़ा प्लेयर बनने की तैयारी में है। भारत ने सोमवार को अर्जेंटीना में 5 लिथियम (Lithium Agreement) ब्राइन ब्लॉकों के अधिग्रहण के लिए समझौता किया गया है। जो ऊर्जा सुरक्षा और उद्यमों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

अब भारतीय कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) इन ब्लॉकों को विकसित करेगी। यह भारत की किसी सरकारी कंपनी की पहली लिथियम खोज और माइनिंग प्रोडेक्ट है, जिसकी लागत करीब 200 करोड़ रुपए है। बता दें कि दुनिया के कुल लिथियम भंडार का आधे से ज्यादा अर्जेंटीना, चिली और बोलीविया में है। इसे "लिथियम ट्राइएंगल" के नाम से जाना जाता है। 

केंद्रीय खनिज मंत्री जोशी ने क्या कहा?
केएबीआईएल और अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत के राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम कैटामार्का में कैटामार्का मिनेरा वाई एनर्जेटिका सोसिएडैड डेल एस्टाडो (CMAVEEN SE) के बीच हुए समझौते को अहम माना जा रहा है। अर्जेंटीना में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया की मौजूदगी में यह एमओयू साइन हुआ। केंद्रीय संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री प्रल्हाद जोशी वर्चुअली शामिल हुए। जोशी ने कहा़- "यह भारत और अर्जेंटीना दोनों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि हम केएबीआईएल और सीएएमवाईईएन के बीच समझौते पर हस्ताक्षर होने से द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय लिख रहे हैं। यह एक ऐसा कदम है जो टिकाऊ भविष्य के लिए ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने में न केवल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, बल्कि यह भारत में कई उद्योगों के लिए अहम खनिजों के लिए एक लचीली आपूर्ति श्रृंखला में भी योगदान देगा।”

200 करोड़ का है यह लिथियम प्रोजेक्ट 
यह भारतीय सरकारी कंपनी की पहली लिथियम खोज और माइनिंग प्रोजेक्ट है। केएबीआईएल अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में स्थित करीब 15 हजार 703 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए पांच लिथियम ब्राइन ब्लॉकों- कोर्टाडेरा-।,  कोर्टाडेरा-VII, कोर्टाडेरा-VIII, काटेओ-2022-01810132 और कोर्टाडेरा-VI में खोज और विकास कार्यों की शुरुआत करेगा। इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 200 करोड़ रुपए है। समझौते के तहत केएबीआईएल को मूल्यांकन, संभावना और खोज के लिए 5 ब्लॉकों में खोज और विकास का अधिकार मिल गया है। इससे भारत के लिए लिथियम की सोर्सिंग की खोज को बढ़ावा मिलेगा और ब्राइन प्रकार के लिथियम की खोज और माइनिंग में मदद मिलेगी।

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