बारिश का कहर: देहरादून में बादल फटा, हिमाचल में 493 सड़कें बंद, करोड़ों का नुकसान
देहरादून में बादल फटने से सहस्त्रधारा में बाढ़, हिमाचल में 493 सड़कें बंद। जानिए 16 सितंबर की भारी बारिश से जुड़ी अपडेट और कारण।
बारिश का कहर: देहरादून में बादल फटा, हिमाचल में 493 सड़कें बंद
Dehradun Cloudburst: उत्तर भारत में मॉनसून की विदाई से ठीक पहले भारी बारिश ने एक बार फिर तबाही मचा दी। उत्तराखंड के देहरादून स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सहस्त्रधारा में सोमवार रात बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई। इसमें दर्जनों दुकानें बह गईं, दो लोग लापता हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश में भी धरमपुर, मंडी और शिमला जैसे इलाकों में बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया।
देहरादून के प्रमुख पर्यटन स्थल सहस्त्रधारा में 16 सितंबर की रात बादल फटने से सब कुछ तबाह हो गया। तमसा नदी और करलीगाड़ नाले में अचानक आई बाढ़ ने दर्जनों दुकानें बहा दीं। फन वैली, उत्तराखंड डेंटल कॉलेज, और देहरादून-हरिद्वार हाइवे के पास पुल क्षतिग्रस्त हो गया।
स्कूलों में छुट्टी, वाहन बहे
तपकेश्वर महादेव मंदिर परिसर में मलबा भर गया। आईटी पार्क के पास सड़कों पर वाहन उतराने लगे। दो लोग अब भी लापता हैं। SDRF, NDRF और लोक निर्माण विभाग की टीम उनकी तलाश कर रही है। प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया है। जिला मजिस्ट्रेट सविन बंसल ने सभी स्कूलों में अवकाश घोषित किया।
हिमाचल में तबाही: बस स्टैंड डूबे, सड़कें बंद
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला स्थित धरमपुर में 15-16 सितंबर की रात बादल फटने से सोन खड्ड नदी उफान पर आ गई। बस स्टैंड डूब गया और बसें बह गईं। एनएच-3, एनएच-305, एनएच-503ए समेत इलाके की 493 सड़कें बंद हैं। 352 बिजली ट्रांसफॉर्मर खराब और 163 जल योजनाएं प्रभावित।
1 जून से अब तक 409 मौतें
हिमाचल प्रदेश में तेज बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण 1 जून से अब तक 409 लोग जान गंवा चुके हैं। करीब 4,504 करोड़ का नुकसान हुआ है। मंडी, कुल्लू, शिमला और चंबा में भूस्खलन के कारण अब भी कई मार्ग बंद हैं।
मॉनसून की विदाई पर बारिश क्यों?
- मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 14 सितंबर को राजस्थान से मॉनसून की विदाई शुरू हुई थी, लेकिन उत्तर भारत में बारिश अभी भी जारी है। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और जलवायु परिवर्तन इसकी प्रमुख वजह है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो भूमध्य सागर से आने वाली ये प्रणालियां सितंबर में सक्रिय होती हैं। 28 अगस्त से 3 सितंबर के बीच 180% ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई।
- जलवायु परिवर्तन: 2025 में औसत तापमान 1.5°C अधिक रहा। वायुमंडल में अधिक नमी ने बारिश को अत्यधिक तीव्र बनाया।
- मानवीय गतिविधियां: जंगलों की अंधाधुंध कटाई, अनियोजित निर्माण, खनन और ढांचागत बदलाव ने मिट्टी को अस्थिर बना दिया है, जिस कारण भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं।
सरकारी प्रयास और राहत कार्य
उत्तराखंड और हिमाचल दोनों राज्यों में आपदा प्रबंधन टीमें पूरी रात राहत-बचाव में लगी रहीं। मुख्यमंत्री कार्यालय की लगातार निगरानी की जा रही है। IMD ने कांगड़ा, सुंदरनगर, पालमपुर और आसपास के क्षेत्रों के लिए चेतावनी जारी की है।