यूपी में घुसपैठियों के खिलाफ सुपर सिक्योरिटी मॉडल: बायोमैट्रिक प्रोफाइलिंग से दोबारा एंट्री होगी नामुमकिन

यूपी सरकार ने अवैध घुसपैठ रोकने के लिए 'सुपर सिक्योरिटी मॉडल' लागू किया है। इसके तहत, पकड़े गए सभी घुसपैठियों की विस्तृत बायोमैट्रिक प्रोफाइल बनाई जाएगी।

Updated On 2025-12-10 08:34:00 IST

पकड़े गए सभी घुसपैठियों का एक बायोमैट्रिक डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जो देश में इस तरह का पहला डेटाबेस होगा।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध घुसपैठ को पूरी तरह से रोकने के लिए एक अभूतपूर्व और हाईटेक "एंटी-इन्फिल्ट्रेशन मॉडल" तैयार किया है। इस फूलप्रूफ योजना का मुख्य उद्देश्य घुसपैठियों को न केवल राज्य से बाहर खदेड़ना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि वे भविष्य में भारत की सीमा में कहीं से भी दोबारा प्रवेश न कर सकें।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तैयार किया गया यह मॉडल देश के लिए एक उदाहरण बन सकता है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक, बायोमैट्रिक डेटाबेस और राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय का इस्तेमाल किया जाएगा।

हाईटेक तकनीक से तैयार होगी विस्तृत बायोमैट्रिक प्रोफाइल

प्रदेश सरकार अब अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए सबसे उन्नत तकनीक का प्रयोग कर रही है। पकड़े गए सभी घुसपैठियों का एक विस्तृत बायोमैट्रिक डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जो देश में इस तरह का पहला डेटाबेस होगा।

इस प्रोफाइल में उनके फिंगरप्रिंट और फेशियल रिकग्निशन (चेहरे की पहचान) जैसे अद्वितीय बायोमैट्रिक विवरणों को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही, हाईटेक स्कैनिंग के माध्यम से उनके फर्जी पहचान पत्रों और अन्य सरकारी दस्तावेजों की गहन जांच की जाएगी।

यह प्रणाली यह पता लगाने में सक्षम होगी कि वे कब से और किस तरह फर्जी पहचान छिपाकर रह रहे थे। टेक्नोलॉजी की मदद से घुसपैठियों का पूरा पिछला रिकॉर्ड खंगाला जाएगा, जिससे फर्जी दस्तावेज बनाने वाले पूरे नेटवर्क को तोड़ा जा सके।

देशव्यापी 'निगेटिव लिस्ट' के माध्यम से दोबारा प्रवेश पर पूर्ण रोक

घुसपैठियों की बायोमैट्रिक प्रोफाइलिंग पूरी होने के बाद, उनके नाम एक राष्ट्रीय 'निगेटिव लिस्ट' में दर्ज किए जाएंगे। यह कदम उनकी दोबारा एंट्री को नामुमकिन बनाने के लिए उठाया गया है। इस 'निगेटिव लिस्ट' को देश के सभी राज्यों और संबंधित एजेंसियों के साथ साझा किया जाएगा।

एक बार नाम दर्ज होने के बाद, इन व्यक्तियों की कोई भी आईडी, जैसे आधार कार्ड, वोटर कार्ड, या अन्य सरकारी पहचान पत्र, किसी भी सरकारी प्रणाली में स्वीकार नहीं की जाएगी।

यह डेटाबेस यह सुनिश्चित करेगा कि यदि घुसपैठिया राज्य या देश की किसी भी सीमा से दोबारा घुसने का प्रयास करता है, तो बायोमैट्रिक सत्यापन के दौरान तुरंत उसकी पहचान हो जाएगी, जिससे देश में एक अभेद्य सुरक्षा चक्र बनेगा।

अत्याधुनिक डिटेंशन सेंटर और फर्जी दस्तावेज़ नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई

इस योजना में न केवल घुसपैठियों की पहचान और ट्रैकिंग शामिल है, बल्कि उन्हें रखने और फर्जीवाड़ा करने वालों पर लगाम कसने के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं। पहचाने गए घुसपैठियों को रखने के लिए राज्य के विभिन्न जनपदों में अस्थायी और अभेद्य सुरक्षा वाले डिटेंशन सेंटर बनाए जा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, पश्चिमी यूपी के लिए 15,000 की क्षमता वाला एक मॉडल भी तैयार किया गया है, जिसमें त्रिस्तरीय सुरक्षा और बायोमैट्रिक सीसीटीवी की व्यवस्था होगी।

इसके अलावा, फर्जी दस्तावेजों का निर्माण करने वाले रैकेट पर पुलिस और एटीएस की कड़ी कार्रवाई जारी है। हाल ही में, फर्जी आधार कार्ड बनाने के आरोपी अंसार अली मौला की पुलिस कस्टडी रिमांड भी मंजूर की गई है, जिससे इस नेक्सस के अन्य सदस्यों और संदिग्ध लेनदेन का पर्दाफाश किया जा सके।

इस पूरे अभियान को '4-डी' प्लान के तहत देखा जा रहा है: डिटेक्ट (पहचान), डिलीट (फर्जी दस्तावेज रद्द करना), डिटेंशन (हिरासत में लेना) और अंत में डिपोर्टेशन (देश से बाहर भेजना)।


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