UP News: मार्केट रिसर्च और नई नीति से यूपी के उत्पादों को मिलेगा वैश्विक बाज़ार! निर्यात होगा दोगुना
यूपी सरकार ने निर्यात को 1.86 लाख करोड़ से बढ़ाकर 4.40 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है। नई निर्यात नीति में मार्केट रिसर्च, विदेशी व्यापार डेस्क, MICE और जिला हब पर फोकस किया गया है।
UP export policy 2025: 5 साल में दोगुना होगा निर्यात, नई नीति और मार्केट रिसर्च से मिलेगा वैश्विक बाजार
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने उत्पादों के निर्यात को अगले पाँच सालों में दोगुना से भी ज़्यादा बढ़ाकर 4.40 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। वर्तमान में राज्य का निर्यात 1.86 लाख करोड़ रुपये का है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, सरकार ने एक नई निर्यात नीति जारी की है, जिसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव और पहल शामिल हैं।
नए बाज़ारों की तलाश और मार्केट रिसर्च
सरकार का मानना है कि इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए नए बाजारों, मांगों और संभावनाओं को खोजना ज़रूरी है। इसके लिए, IIT और IIM जैसे प्रमुख संस्थानों के साथ मिलकर मार्केट रिसर्च पर काम किया जाएगा। नई नीति के तहत, इन संस्थानों में मार्केट रिसर्च चेयर स्थापित करने पर लगभग 5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। ये चेयर्स बाज़ार के अवसरों और मांग का अध्ययन करेंगी, साथ ही निर्यात प्रदर्शन की वार्षिक रिपोर्ट भी तैयार करेंगी।
निर्यातकों की संख्या में वृद्धि और सर्विस सेक्टर पर ध्यान
सरकार का एक और मुख्य उद्देश्य निर्यातकों की संख्या को दोगुना करना है। पहली बार, इस नीति में सर्विस सेक्टर जैसे शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन, आईटी आदि को भी निर्यात के एक अहम हिस्से के रूप में शामिल किया गया है।
विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए संपर्क डेस्क और MICE
दुनियाभर में यूपी के उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा देने के लिए, सरकार विदेशी व्यापार दूतावास संपर्क डेस्क बनाएगी। यह डेस्क विभिन्न देशों में वाणिज्यिक शाखाओं के साथ संपर्क स्थापित करके काम करेगी। इसके अलावा, वैश्विक नेटवर्किंग को बढ़ावा देने के लिए, प्रदेश में MICE (मीटिंग, इंसेंटिव, कॉन्फ्रेंस, एग्जिबिशन) गतिविधियों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसे आयोजनों के लिए सरकार 6 लाख रुपये तक की सब्सिडी भी देगी।
ज़िला-केंद्रित विकास और बुनियादी ढांचे पर फोकस
नई नीति का मुख्य फोकस हर ज़िले को निर्यात हब के रूप में विकसित करना है। इसके लिए, ज़िला निर्यात संवर्धन परिषद को और मजबूत किया जाएगा। हस्तशिल्प, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स, गारमेंट, केमिकल और सर्विस सेक्टर जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, निर्यात से जुड़े बुनियादी ढाँचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) को बेहतर बनाने के लिए 100 करोड़ या उससे अधिक लागत वाली परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। नीति में दी जाने वाली रियायतें अब महंगाई दर से भी जोड़ी गई हैं।
सोर्स: हरिभूमि, लखनऊ ब्यूरो