बड़ा खुलासा: झारखंड खनन में निवेश की थी कफ सिरप से हुई काली कमाई, मंत्री की संलिप्तता की चर्चा

कफ सिरप की अवैध तस्करी से कमाए गए 100 करोड़ से अधिक के काले धन को झारखंड में खनन कारोबार में निवेश करने की योजना थी।

Updated On 2025-12-04 11:49:00 IST

कफ सिरप की अवैध कमाई को झारखंड में खनन के काम में लगाने की तैयारी थी।

लखनऊ: नशीले कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी से कमाए गए करोड़ों रुपये के काले धन को झारखंड में खनन के कारोबार में लगाने की योजना थी।

केंद्रीय जांच एजेंसी को मिले अहम दस्तावेजों और पूछताछ से पता चला है कि इस बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट में झारखंड के एक प्रभावशाली मंत्री की संलिप्तता भी सामने आई है, जिसने सिंडिकेट को अवैध धंधा चलाने में मदद की। इस अवैध कारोबार का मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल बताया जा रहा है।

सिंडिकेट ने कई राज्यों में फैलाया था काला कारोबार

कफ सिरप सिंडिकेट का यह काला कारोबार यूपी, बिहार, झारखंड, और बंगाल समेत कई राज्यों में फैला हुआ था, जिसके तार पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश तक जुड़े थे। सिंडिकेट ने 100 करोड़ से अधिक की कीमत का कोडीनयुक्त कफ सिरप अवैध रूप से बेचा।

यह कारोबार मुख्यतः रांची स्थित 'शैली ट्रेडर्स' के नाम से रजिस्टर्ड गोदाम से संचालित होता था, जिसका मालिक शुभम जायसवाल है। जांच में खुलासा हुआ कि कफ सिरप की सप्लाई 125 से ज्यादा फर्मों को की गई थी, जिनमें से कई फर्म लगभग 26 केवल कागजों पर ही चल रही थीं।

हाल ही में सोनभद्र पुलिस द्वारा मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद जायसवाल और सिंडिकेट के एक अन्य सदस्य, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की गिरफ्तारी के बाद इस पूरे नेटवर्क का बड़ा खुलासा हुआ है।

काली कमाई को वैध बनाने की थी बड़ी योजना

अवैध कफ सिरप तस्करी से हुई काली कमाई को खपाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े प्लान का खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, कफ सिरप की अवैध कमाई को झारखंड में खनन के काम में लगाने की तैयारी थी।

खनन के कारोबार में निवेश के जरिए इस काले धन को वैध बनाने की योजना थी, जो कि मनी लॉन्ड्रिंग का एक तरीका है। प्रवर्तन निदेशालय भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर 2000 करोड़ के अवैध कारोबार से अर्जित संपत्तियों की जांच कर रही है और शुभम जायसवाल की संपत्तियों पर नोटिस भी चस्पा किया गया है।

झारखंड के मंत्री ने की थी अवैध धंधे में मदद

जांच एजेंसियों के सामने पूछताछ में यह बात सामने आई है कि सिंडिकेट को झारखंड में अवैध धंधा चलाने और काले धन को निवेश करने में राज्य के एक मंत्री का संरक्षण प्राप्त था। मंत्री ने झारखंड में सिंडिकेट के लिए सेफ पैसेज सुनिश्चित किया था, जिससे यह कारोबार बिना किसी रोक-टोक के चल सके।

खुलासा हुआ है कि मंत्री और मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल के बीच लगातार सीधी बातचीत होती थी, जिससे मंत्री की संलिप्तता और मजबूत होती है। एजेंसियां अब मंत्री के करीबियों और उसके सहयोगियों से पूछताछ की तैयारी कर रही हैं, ताकि इस पूरे षड्यंत्र की परतें खोली जा सकें।

अमित टाटा और आलोक सिंह के भी खुले राज

इस मामले में गिरफ्तार अन्य आरोपियों ने भी कई अहम राज उगले हैं। गिरफ्तार आरोपी अमित सिंह 'टाटा' और बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह के माध्यम से इस पूरे गिरोह के संगठित होने और अवैध सप्लाई चेन की जानकारी मिली है। बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह ने लखनऊ कोर्ट में सरेंडर की तैयारी की थी, लेकिन एसटीएफ ने उसे पहले ही धर दबोचा।

जांच में सामने आया है कि आलोक सिंह की बर्खास्तगी के बाद भी उसका रसूख कम नहीं हुआ था और वह इस अवैध कारोबार में मुख्य सरगना शुभम जायसवाल का करीबी बनकर बड़े माफियाओं में अपनी पैठ बना चुका था।


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