UP News: उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों के लिए नया नियम, अब हर गली-मोहल्ले के कुत्ते होंगे 'माइक्रोचिप्ड'!
प्रदेश के हर गांव और शहर में एक नई व्यवस्था लागू की जा रही है, जिसके तहत आवारा कुत्तों की पहचान के लिए उनमें माइक्रोचिप लगाई जाएगी।
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लखनऊ डेस्क : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब प्रदेश के हर गांव और शहर में एक नई व्यवस्था लागू की जा रही है, जिसके तहत आवारा कुत्तों की पहचान के लिए उनमें माइक्रोचिप लगाई जाएगी। इस आदेश के जारी होने के बाद सभी नगर निकायों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों ने इस कार्य के लिए सेवा प्रदाता का चयन करना शुरू कर दिया है। गाजियाबाद सहित कई जगहों पर यह प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।
कुत्तों की पहचान और निगरानी के लिए माइक्रोचिप
यह नया नियम आवारा कुत्तों के प्रबंधन में एक बड़ा बदलाव लाएगा। अब हर आवारा कुत्ते को एक पहचान दी जाएगी। यदि कोई कुत्ता किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसे तुरंत एनिमल बर्थ कंट्रोल केंद्र लाया जाएगा। यहाँ 10 दिनों तक उसकी निगरानी की जाएगी। इस अवधि में उसका स्वास्थ्य और व्यवहार दर्ज किया जाएगा। इस दौरान कुत्ते का एंटी-रेबीज टीकाकरण और नसबंदी की जाएगी, और उसकी गर्दन के नीचे एक छोटी-सी माइक्रोचिप लगाई जाएगी। यही चिप उस कुत्ते की पहचान बन जाएगी, जिससे उसके व्यवहार और इतिहास को ट्रैक करना आसान होगा।
दोबारा काटने पर होगी कड़ी कार्रवाई
इस नई व्यवस्था का उद्देश्य यह कि कोई भी कुत्ता बार-बार लोगों को न काटे। यदि माइक्रोचिप लगा हुआ कोई कुत्ता दोबारा किसी व्यक्ति को काटता है, तो इसकी सूचना मिलते ही एक तीन सदस्यीय समिति मामले की जांच करेगी। इस समिति में एक गैर-सरकारी सदस्य, स्थानीय निकाय का प्रतिनिधि और एक स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारी शामिल होंगे। माइक्रोचिप की मदद से यह पुष्टि की जाएगी कि घटना उसी कुत्ते ने अंजाम दी है या नहीं। यदि यह साबित होता है कि कुत्ते ने बिना किसी उकसावे के दोबारा काटा है, तो उसे आजीवन एबीसी केंद्र में रखा जाएगा ताकि वह भविष्य में किसी को नुकसान न पहुंचा सके।
आवारा कुत्तों को गोद लेने की प्रक्रिया भी हुई आसान
इस नियम में सिर्फ कुत्तों को नियंत्रित करने पर ही नहीं, बल्कि उन्हें सुरक्षित आश्रय देने पर भी ध्यान दिया गया है। अगर कोई व्यक्ति किसी आवारा कुत्ते को गोद लेना चाहता है, तो उसे एक शपथ पत्र देना होगा। इस शपथ पत्र में उसे यह वचन देना होगा कि वह कुत्ते को दोबारा सड़क पर नहीं छोड़ेगा। व्यक्ति का नाम, पता और पहचान का विवरण भी एबीसी केंद्र में दर्ज किया जाएगा, साथ ही कुत्ते की माइक्रोचिप जानकारी भी रिकॉर्ड की जाएगी।
नगर निकायों को मिली जिम्मेदारी
इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने की जिम्मेदारी प्रदेश के सभी नगर निकायों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों को दी गई है। नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। इन निकायों को अपने-अपने क्षेत्रों में माइक्रोचिप लगाने और अन्य संबंधित सेवाएं प्रदान करने के लिए सेवा प्रदाता कंपनियों का चयन करना होगा। यह कदम न केवल आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करेगा, बल्कि उनके स्वास्थ्य और कल्याण को भी सुनिश्चित करेगा।
यह नया नियम उत्तर प्रदेश सरकार का एक दूरदर्शी कदम है, जो आवारा कुत्तों की समस्या का वैज्ञानिक और मानवीय समाधान करेगा। माइक्रोचिप तकनीक का उपयोग कर कुत्तों की पहचान और उनके व्यवहार को ट्रैक करने से काटने की घटनाओं पर लगाम लगेगा।