उन्नाव रेप कांड: कुलदीप सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत, उम्रकैद की सजा हुई सस्पेंड

दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे कुलदीप सेंगर की सजा निलंबित कर उन्हें सशर्त जमानत दी है।

Updated On 2025-12-23 18:03:00 IST

जमानत की सबसे प्रमुख शर्त यह है कि वह दिल्ली की सीमा से बाहर नहीं जा सकेंगे।

उन्नाव रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के लिए दिल्ली हाई कोर्ट से राहत की खबर आई है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने मंगलवार को सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने का आदेश दिया।

साल 2019 में ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ सेंगर की अपील अभी हाई कोर्ट में लंबित है, जिसके आधार पर उन्हें अब सशर्त जमानत मिल गई है। कोर्ट ने यह फैसला सेंगर द्वारा जेल में बिताए गए करीब 6 साल के समय और मामले के कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुनाया है।

दिल्ली में रहने और पासपोर्ट जमा करने की कड़ी शर्तें

अदालत ने कुलदीप सेंगर को जेल से बाहर आने की अनुमति तो दे दी है, लेकिन उन पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। सेंगर को 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की तीन जमानतें जमा करने का निर्देश दिया गया है। जमानत की सबसे प्रमुख शर्त यह है कि वह दिल्ली की सीमा से बाहर नहीं जा सकेंगे।

उन्हें अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करना होगा ताकि उनके देश छोड़ने की कोई संभावना न रहे। इसके साथ ही, उन्हें हर सोमवार को सुबह 10 बजे अनिवार्य रूप से संबंधित पुलिस स्टेशन में अपनी हाजिरी लगानी होगी।

पीड़िता की सुरक्षा- 5 किलोमीटर के दायरे में आने पर पाबंदी

पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने एक 'बफर जोन' निर्धारित किया है। आदेश के मुताबिक, कुलदीप सेंगर पीड़िता के निवास स्थान के 5 किलोमीटर के दायरे में कदम नहीं रख सकेंगे।

कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि सेंगर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पीड़िता, उसकी मां या किसी भी गवाह से संपर्क करने या उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश नहीं करेंगे। यदि इन सुरक्षा शर्तों का जरा सा भी उल्लंघन पाया गया, तो पुलिस को तुरंत उनकी जमानत रद्द करने के लिए आवेदन करने की छूट दी गई है।

2017 से 2019 तक - इंसाफ की लंबी कानूनी लड़ाई

यह पूरा मामला साल 2017 का है, जब एक नाबालिग लड़की ने सेंगर पर अपहरण और बलात्कार के गंभीर आरोप लगाए थे। मामला तब गरमाया जब पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई और पीड़िता ने न्याय के लिए मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया।

सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए ट्रायल को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था। दिसंबर 2019 में तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को 'मौत तक उम्रकैद' की सजा सुनाई थी और 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। सेंगर तभी से जेल में बंद हैं।

कस्टडी डेथ मामले में फंसा है रिहाई का पेंच

रेप केस में सजा सस्पेंड होने के बावजूद कुलदीप सेंगर की जेल से तत्काल रिहाई को लेकर अभी संशय बना हुआ है। दरअसल, सेंगर को पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में भी 10 साल के कठोर कारावास की सजा मिली हुई है।

हाई कोर्ट ने फिलहाल सिर्फ रेप केस वाली सजा को निलंबित किया है। अगर कस्टडी डेथ वाले मामले में उन्हें पहले से जमानत नहीं मिली है या उनकी सजा वहां भी सस्पेंड नहीं होती है, तो उन्हें अभी सलाखों के पीछे ही रहना पड़ सकता है।

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