यूपी के विकास की नई रफ़्तार: राजस्व सरप्लस स्टेट बना उत्तर प्रदेश! 31 लाख करोड़ के पार पहुंची राज्य की जीएसडीपी
उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 24,496.98 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया है। इसमें औद्योगिक विकास और ऊर्जा क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई है।
इस 24,496.98 करोड़ रुपये के बजट में राजस्व लेखा का व्यय 18,369.30 करोड़ रुपये तय किया गया है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपना पहला अनुपूरक बजट पेश कर दिया है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन के पटल पर 24,496.98 करोड़ रुपये का लेखा-जोखा रखा, जो कि मूल बजट का 3.03 प्रतिशत है।
इस बजट के माध्यम से सरकार ने न केवल औद्योगिक और ऊर्जा क्षेत्र को मजबूती देने का प्रयास किया है, बल्कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी ढांचों के लिए भी भारी धन आवंटित किया है।
राज्य की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ बताते हुए वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश एक 'राजस्व सरप्लस' राज्य बना हुआ है।
वित्तीय ढांचे और बजट का स्वरूप
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन को जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2025-26 का मूल बजट 8 लाख 8 हजार करोड़ रुपये का था, जिसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह अनुपूरक मांगें लाई गई हैं।
इस 24,496.98 करोड़ रुपये के बजट में राजस्व लेखा का व्यय 18,369.30 करोड़ रुपये तय किया गया है, वहीं विकास कार्यों और परिसंपत्तियों के निर्माण यानी पूंजी लेखे के लिए 6,127.68 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
यह आवंटन दर्शाता है कि सरकार चालू योजनाओं को पूरा करने के साथ-साथ नए बुनियादी ढांचों पर भी निवेश कर रही है।
औद्योगिक विकास और ऊर्जा आत्मनिर्भरता
प्रदेश को 'ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी' बनाने की दिशा में औद्योगिक विकास को इस बजट में सबसे बड़ी प्राथमिकता मिली है।
सरकार ने औद्योगिक विस्तार के लिए 4,874 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए हैं, जिससे नए निवेश और रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। इसके साथ ही, राज्य की बिजली व्यवस्था और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के लिए 4,521 करोड़ रुपये का भारी-भरकम आवंटन किया गया है।
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नेडा को भी 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि दी गई है, जो राज्य की हरित ऊर्जा नीति को मजबूती प्रदान करेगी।
स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल शिक्षा का विस्तार
आम जनमानस को बेहतर इलाज की सुविधा मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र को 3,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इस राशि का उपयोग अस्पतालों में आधुनिक सुविधाओं के विस्तार और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में किया जाएगा।
इसके साथ ही, मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में नए शोध और बुनियादी सुविधाओं के लिए 423 करोड़ रुपये का अलग से प्रावधान किया गया है।
सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश के हर जिले में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हों, ताकि मरीजों को बड़े शहरों की ओर न भागना पड़े।
तकनीकी शिक्षा और नगरों का कायाकल्प
युवाओं के कौशल विकास और आधुनिक शिक्षा के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग को 639.96 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह निवेश युवाओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाकर उन्हें रोजगार के नए अवसरों से जोड़ने में मदद करेगा।
वहीं, शहरी क्षेत्रों के नियोजित विकास और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए नगर विकास विभाग के लिए 1,758.56 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं।
इस राशि से शहरी बुनियादी ढांचे, जल निकासी और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को और अधिक गति मिलने की संभावना है।
महिला कल्याण और किसानों के हित में कदम
सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए महिला और बाल विकास के लिए 535 करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान किया गया है, जिससे पोषण और सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाया जा सके।
किसानों के हितों की रक्षा करते हुए सरकार ने गन्ना और चीनी मिलों के लिए 400 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित की है, जिससे गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और मिलों के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी।
अंत में, राज्य की आर्थिक मजबूती का जिक्र करते हुए बताया गया कि यूपी का जीएसडीपी 31 लाख 914 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।