स्वास्थ्य व्यवस्था में बड़ा सुधार: अब शासन की सीधी निगरानी में होंगे अस्पताल, बायोमेट्रिक हाजिरी से कसेगा स्टाफ पर शिकंजा

यह व्यवस्था लागू होने से स्वास्थ्य कर्मियों का मासिक वेतन सीधे बायोमेट्रिक पोर्टल से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर ही बनाया जाएगा।

Updated On 2025-12-22 17:51:00 IST

पूरी व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए इसे दो मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर अब डॉक्टरों और कर्मचारियों की मनमानी नहीं चलेगी। स्वास्थ्य विभाग ने सेवाओं को सुदृढ़ करने और ड्यूटी से नदारद रहने वाले स्टाफ पर लगाम लगाने के लिए अब बायोमेट्रिक हाजिरी को अनिवार्य कर दिया है।

इस नई व्यवस्था के तहत अब हर जिले के अस्पतालों और पीएचसी-सीएचसी की सीधी मॉनिटरिंग शासन स्तर से की जाएगी, जिससे मरीजों को समय पर इलाज मिलना सुनिश्चित हो सके।

डिजिटल हाजिरी से सुनिश्चित होगी डॉक्टरों की उपस्थिति

स्वास्थ्य विभाग की इस नई पहल के अंतर्गत अब मुजफ्फरनगर के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर बायोमेट्रिक मशीनें लगाई जा रही हैं। शासन का मानना है कि अक्सर ग्रामीण इलाकों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) से डॉक्टरों के गायब रहने की शिकायतें मिलती रहती हैं।

अब महानिदेशक स्तर से जारी आदेश के अनुसार, सभी डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ को अपनी ड्यूटी पर आते और जाते समय अंगूठा लगाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। इस व्यवस्था के लागू होने से कागजों पर हाजिरी लगाने का खेल पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।

वेतन को उपस्थिति के डेटा से जोड़ा गया

शासन ने इस बार केवल आदेश ही जारी नहीं किए हैं, बल्कि इसे सीधे कर्मचारियों की जेब से भी जोड़ दिया है। अब स्वास्थ्य कर्मियों का मासिक वेतन सीधे बायोमेट्रिक पोर्टल से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर ही बनाया जाएगा।

यदि कोई कर्मचारी पोर्टल पर अनुपस्थित पाया जाता है या देरी से आता है, तो उसका डेटा सीधे मुख्यालय को चला जाएगा और उसी के अनुरूप वेतन में कटौती की जाएगी।

इस सख्त कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ जनता तक बिना किसी रुकावट के पहुंचे।

दो चरणों में पूरी होगी बायोमेट्रिक सेटअप की प्रक्रिया

पूरी व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए इसे दो मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण में जिला मुख्यालय के बड़े अस्पतालों और सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को इस तकनीकी प्रणाली से लैस किया जा रहा है।

इसके ठीक बाद, दूसरे चरण में दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को कवर किया जाएगा। शासन ने इसके लिए दो महीने की समय सीमा तय की है, जिसके भीतर सभी मशीनों को इंस्टॉल करके उन्हें ऑनलाइन सर्वर से कनेक्ट करना अनिवार्य है।

हजारों स्वास्थ्य कर्मियों की जवाबदेही होगी तय

इस नई निगरानी प्रणाली के दायरे में प्रदेश के हजारों डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी आएंगे। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 8,500 डॉक्टर और 6,500 से अधिक फार्मासिस्टों के साथ-साथ लैब टेक्नीशियन और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी अब समय का पाबंद होना पड़ेगा।

शासन की इस सीधी दखलंदाजी से न केवल स्वास्थ्य केंद्रों की कार्यप्रणाली में सुधार आएगा, बल्कि उन मरीजों को भी बड़ी राहत मिलेगी जिन्हें डॉक्टर न मिलने के कारण प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता था।

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