कफ सिरप कांड: सवा दो करोड़ बोतलों की तस्करी से खड़ा किया 500 करोड़ का साम्राज्य

इसमें 140 फर्जी फर्मों और 2600 फर्जी ई-वे बिलों का इस्तेमाल हुआ। ईडी इस मामले में हवाला और टेरर फंडिंग के एंगल से जांच कर रही है।

Updated On 2025-12-22 12:22:00 IST

ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर आरोपियों की अवैध संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में नशीली दवाओं की तस्करी के एक बड़े सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ है, जिसने कफ सिरप की आड़ में 500 करोड़ रुपये से अधिक का काला कारोबार फैलाया।

प्रवर्तन निदेशालय और एसटीएफ की जांच में सामने आया कि मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल ने दुबई में बैठकर अपने सहयोगियों के जरिए सवा दो करोड़ से अधिक बोतलें अवैध रूप से खपाईं।

इस सिंडिकेट में बर्खास्त सिपाहियों से लेकर बड़े चार्टर्ड अकाउंटेंट तक शामिल थे, जिन्होंने फर्जी फर्मों और फर्जी ई-वे बिलों के जरिए सुरक्षा एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकी।

फर्जी फर्मों का जाल और सवा दो करोड़ बोतलों का खेल
ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि इस सिंडिकेट ने नशीले कफ सिरप की तस्करी के लिए 140 से अधिक फर्जी फर्में बनाई थीं।
इन फर्मों के माध्यम से सवा दो करोड़ से ज्यादा कफ सिरप की बोतलें उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के रास्तों से होते हुए बांग्लादेश तक तस्करी की गईं।
हैरानी की बात यह है कि इन बोतलों की खरीद-बिक्री को वैध दिखाने के लिए कागजों पर भारी हेरफेर किया गया और करीब 500 करोड़ रुपये का अवैध टर्नओवर खड़ा किया गया।
वाराणसी से रांची तक फर्जी ई-वे बिल की साजिश
सिंडिकेट ने जीएसटी और पुलिस से बचने के लिए फर्जी ई-वे बिलों का सहारा लिया। जांच में पाया गया कि रांची से वाराणसी के बीच कागजों पर 2600 ट्रकों की आवाजाही दिखाई गई, जबकि हकीकत में ये ट्रक कभी सड़क पर उतरे ही नहीं।
वाराणसी के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने इन फर्जी ट्रांजेक्शनों का ऑडिट किया और काली कमाई को सफेद करने में मदद की। इस दौरान भारी मात्रा में हवाला के जरिए पैसा इधर से उधर किया गया, जिसके टेरर फंडिंग से जुड़े होने की भी जांच की जा रही है।
दुबई कनेक्शन और रसूखदार सहयोगियों की भूमिका
इस पूरे खेल का मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल वर्तमान में दुबई से अपना नेटवर्क संचालित कर रहा है। जांच में यह भी सामने आया है कि इस सिंडिकेट में गहरी दोस्ती और रसूख का इस्तेमाल हुआ।
बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह दीपू और तरुण चौहान जैसे लोग इस सिंडिकेट के अहम मोहरे बनकर उभरे हैं, जो आपस में बेहद करीबी रहे हैं। शुभम के पिता भोला जायसवाल की गिरफ्तारी के बाद अब इन सहयोगियों पर शिकंजा कसा जा रहा है, जिन्होंने तस्करी के पैसे को अलग-अलग संपत्तियों में निवेश करवाया।
जांच का दायरा और आगामी सख्त कार्रवाई
ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर आरोपियों की अवैध संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जांच एजेंसियां अब उन सफेदपोश चेहरों और अधिकारियों की तलाश कर रही हैं, जिनके संरक्षण में यह करोड़ों का काला कारोबार फल-फूल रहा था।
इस मामले में जल्द ही कुछ और बड़ी गिरफ्तारियां संभव हैं, क्योंकि शुभम जायसवाल के सहयोगियों और उसके हवाला नेटवर्क के इनपुट लगातार मिल रहे हैं।

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