बहराइच सांप्रदायिक हिंसा: राम गोपाल मिश्रा हत्याकांड में सरफराज को फांसी, 9 अन्य को उम्रकैद!

बहराइच सांप्रदायिक हिंसा मामले में जिला अदालत ने मुख्य आरोपी मोहम्मद सरफराज उर्फ रिंकू को राम गोपाल मिश्रा की हत्या के लिए मौत की सज़ा सुनाई है।

Updated On 2025-12-11 20:01:00 IST

मुख्य आरोपी मोहम्मद सरफराज उर्फ रिंकू को हत्या 103/2 के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई।

बहराइच : उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में अक्टूबर 2024 में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा और राम गोपाल मिश्रा की हत्या के मामले में एक स्थानीय अदालत ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।

अपर जिला जज प्रथम पवन कुमार शर्मा की अदालत ने मुख्य आरोपी मोहम्मद सरफराज उर्फ रिंकू को मौत की सज़ा सुनाई है, जबकि नौ अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा दी गई है। यह फैसला करीब 14 महीने चले ट्रायल के बाद आया है।

घटना और मृतक का परिचय

13 अक्टूबर 2024 को बहराइच के हरदी थाना क्षेत्र के महराजगंज बाजार में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का जुलूस निकल रहा था। इसी दौरान डीजे पर गाने बजाने को लेकर दो समुदायों के बीच विवाद शुरू हो गया, जो जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गया।

इसी दौरान, राम गोपाल मिश्रा उम्र लगभग 28 वर्ष पर गोली चलाई गई, जिससे उनकी मौत हो गई। बताया गया कि मिश्रा ने एक इमारत पर लगे धार्मिक झंडे को हटाकर वहां भगवा झंडा लगाने की कोशिश की थी, जिससे विवाद और भड़क गया था।

गोपाल मिश्रा की हत्या के बाद इलाके में बड़े पैमाने पर हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी, जिसने पूरे क्षेत्र में तनाव पैदा कर दिया था।

अदालत का बड़ा फैसला और सज़ा

जिला सत्र न्यायालय के अपर जिला जज प्रथम पवन कुमार शर्मा द्वितीय ने 13 महीने 26 दिन की सुनवाई के बाद इस संवेदनशील मामले में फैसला सुनाया।

मुख्य आरोपी मोहम्मद सरफराज उर्फ रिंकू को हत्या (भा.न्या.सं. की धारा 103/2) के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई। इसके अलावा, नौ अन्य दोषियों फहीम, सैफ अली, जावेद खान, अब्दुल हमीद, तालिब उर्फ सबलू, ईसान, सुएब खान, ननकऊ और मारूफ को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है। इन सभी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। कुल 13 अभियुक्तों में से तीन आरोपी शकील अहमद, बबलू अफजल उर्फ कल्लू और खुर्शीद को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया गया।

पुलिस कार्रवाई और कानूनी प्रावधान

राम गोपाल मिश्रा की हत्या के बाद क्षेत्र में व्यापक हिंसा भड़क उठी, जिसके बाद प्रशासन ने कई दिनों तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं। पुलिस ने इस मामले में नामजद सहित बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया।

आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ आर्म्स एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत भी कार्रवाई की गई थी। हिंसा को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने इलाके में कुछ आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई भी की थी, हालाँकि बाद में कुछ मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इसे वापस ले लिया गया था।

पीड़ित परिवार को न्याय

इस फैसले के बाद मृतक राम गोपाल मिश्रा के परिवार को न्याय मिला है, जिनकी पत्नी लगातार दोषियों के लिए मौत की सज़ा की मांग कर रही थीं।

सरकारी वकील ने पुष्टि की कि कोर्ट ने सभी सबूतों और गवाहों के बयानों की गहन समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया, जो अपराध की गंभीरता को दर्शाता है। कोर्ट परिसर में फैसले के दौरान सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी।


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