शिक्षकों की लेटलतीफी पर लगेगी लगाम: प्राथमिक स्कूलों में अब डिजिटल अटेंडेंस देना अनिवार्य! प्रधानाध्यापक होंगे जवाबदेह

तकनीकी समस्या होने पर ऑफलाइन हाजिरी का विकल्प रहेगा, लेकिन उपस्थिति दर्ज कराना सुनिश्चित करना प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी होगी।

Updated On 2025-12-10 09:12:00 IST

यह महत्वपूर्ण फैसला उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में लिया गया है। ( फोटो - AI) 

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया है। अब प्रदेश के लगभग 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत 4.50 लाख शिक्षकों को अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज करानी होगी।

उच्च न्यायालय के निर्देश के क्रम में गठित एक समिति की सिफारिशों के आधार पर शासन ने यह ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिति प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से शुरू करने का आदेश दिया है।

इस नई व्यवस्था का उद्देश्य शिक्षकों की नियमित उपस्थिति और शिक्षण कार्यों को सुनिश्चित करना है, हालांकि पूर्व में शिक्षकों द्वारा इसका विरोध किया गया था।

नई डिजिटल उपस्थिति व्यवस्था के प्रमुख नियम

बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश में ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। शिक्षकों को विद्यालय शुरू होने के बाद एक घंटे का मार्जिन दिया जाएगा, जिसके अंदर उन्हें अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।

यह एक घंटे की समय-सीमा समाप्त होते ही उपस्थिति दर्ज करने वाला सिस्टम स्वचालित रूप से लॉक हो जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में प्रधानाध्यापक को मुख्य जिम्मेदारी दी गई है।

प्रत्येक विद्यालय में उपस्थिति दर्ज करने का दायित्व प्रधानाध्यापक का होगा, और यदि किसी कारणवश वे असमर्थ होते हैं तो यह जिम्मेदारी किसी अन्य नामित शिक्षक को सौंपी जाएगी।

तकनीकी समस्या और अनुपस्थिति पर कार्रवाई के प्रावधान

डिजिटल हाजिरी प्रक्रिया को लागू करने में आने वाली तकनीकी चुनौतियों को ध्यान में रखा गया है। अगर किसी परिषदीय विद्यालय में नेटवर्क की समस्या के कारण ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने में दिक्कत आती है, तो शिक्षक ऑफलाइन उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे।

नेटवर्क सुचारु होने पर यह ऑफलाइन डेटा स्वयं ही ऑनलाइन डिजिटल प्रणाली में सिंक हो जाएगा। अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों के लिए भी कार्रवाई के संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं।

आदेश में कहा गया है कि किसी भी शिक्षक के विरुद्ध अनुपस्थिति के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना, और शिक्षक का पक्ष जाने बिना, कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह कदम पारदर्शिता और शिक्षकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करता है।

उच्च न्यायालय का आदेश और कमेटी का गठन

यह महत्वपूर्ण फैसला उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में लिया गया है। उच्च न्यायालय ने 16 अक्टूबर को शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए आदेश जारी किया था, जिसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने इस संबंध में एक समिति का गठन किया।

इस समिति में महानिदेशक स्कूल शिक्षा, निदेशक समाज कल्याण व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, निदेशक बेसिक शिक्षा व एससीईआरटी जैसे वरिष्ठ अधिकारी और शिक्षकों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

समिति की विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर ही शासन ने ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिति प्रक्रिया को लागू करने का निर्णय लिया है। इससे पहले, वर्ष 2024 में भी डिजिटल अटेंडेंस लागू करने का आदेश आया था, लेकिन शिक्षकों के व्यापक विरोध के कारण उसे वापस ले लिया गया था।


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