यूपी के पहले CM: जमीदारी प्रथा और छुआछूत के खिलाफ थे गोविंद बल्लभ पंत, गृहमंत्री रहते की भारत रत्न की शुरुआत 

Govind Ballabh Pant First CM UP : उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत स्वतंत्रता सेनानी और कुशल प्रशासक थे। वह देश के दूसरे गृहमंत्री भी बने।

Updated On 2024-03-07 11:28:00 IST
Govind Ballabh Pant First CM UP

Govind Ballabh Pant First CM UP : महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोविंद बल्लभ पंत को ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के तौर पर जानते हैं। वह कुशल प्रशासक और देश के दूसरे गृहमंत्री भी थे। भारत रत्न सम्मान की शुरूआत उनके गृहमंत्री रहते ही हुई थी।  

आधुनिक भारत के मौजूदा स्वरूप को आकार देने में गाविंद बल्लभ पंत की अहम भूमिका रही है। 1937-1939 के बीच उन्होंने संयुक्त प्रांत के प्रीमियर, 1946-1954 तक यूपी के सीएम और 1955-1961 के बीच देश के गृह मंत्री रहे। 1957 में भारत सरकार ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा। 

गोविंद बल्लभ पंत को आज पुण्यतिथि पर याद किया जा रहा है। वह किसानों के उत्थान और अस्पृश्यता के उन्मूलन की दिशा में कई अहम कार्य किए हैं। सरदार पटेल की मृत्यु के गृहमंत्री बने तो हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन किया। कुली-भिक्षुक कानून का विरोध भी किया। ब्रिटिश अधिकारी कुली और भिक्षुकों को बिना पारिश्रमिक के अपना भारी सामान ढोने को मजबूर करते थे। 

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म और शिक्षा 
गोविंद बल्लभ पंत का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 10 सितंबर 1887 को हुआ था। 18 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से जुड़ गए थे और गोपालकृष्ण गोखले और मदन मोहन मालवीय को अपना आदर्श मानते थे। 1907 में कानून की पढ़ाई का निर्णय लिया और 1910 में अल्मोड़ा में वकालत शुरू की। बाद में वह काशीपुर चले गए। वहां प्रेम सभ नामक संगठन की स्थापना कर सामाजिक सुधारों के प्रयास शुरू किए। प्रेम सभा ने एक स्कूल को बंद होने से बचाया था। 

गोविंद बल्लभ पंत का स्वतंत्रता आंदोलन 
गोविंद बल्लभ पंत 1930 में महात्मा गांधी से प्रेरित होकर नमक मार्च किया, जिसके लिए जेल जाना पड़ा। सरकार में रहते गोविंद बल्लभ पंत ने ज़मींदारी प्रथा समाप्त को लेकर कई सुधार किए। कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया। अलग निर्वाचक मंडल की खिलाफत की। महात्मका गांधी और सुभाष चंद्र बोस के गुटीय समझौते के भी प्रयास किए।  1942 में भारत छोड़ो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए गिरफ्तारी हुई थी। 1945 तक कांग्रेस कार्य समिति के अन्य सदस्यों के साथ अहमदनगर किले में तीन वर्ष रहे।

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