हाथी' का घटता वजन: क्या 'बहनजी' की महारैली बसपा को आई.सी.यू. से बाहर निकाल पाएगी? तथ्यों और आंकड़ों से जानिए पूरी कहानी

2012 में 80 सीटें जीतने वाली पार्टी 2024 तक शून्य पर सिमट गई है। बसपा के बड़े नेताओं ने मायावती पर गंभीर आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी। बसपा कमजोर होती गई।

Updated On 2025-10-08 09:01:00 IST

मायावती अब आकाश आनंद को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने की तैयारी भी कर रही हैं।

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती 9 अक्टूबर को पार्टी संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर लखनऊ के कांशीराम स्मारक पार्क में एक विशाल रैली करेंगी। यह आयोजन 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा का सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन है। पिछले पांच प्रमुख चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन में आई भारी गिरावट के कारण, यह रैली बसपा के लिए अस्तित्व का प्रश्न बन गई है। 2012 में 80 सीटें जीतने वाली बसपा 2022 में सिर्फ 1 सीट पर सिमट गई, और 2024 लोकसभा चुनाव में उसका वोट शेयर गिरकर 9.39% रह गया। पार्टी ने जहां पांच लाख समर्थकों को जुटाने का लक्ष्य रखा है, वहीं मायावती ने इस आयोजन के माध्यम से अपने कोर वोट बैंक को निर्णायक संदेश देने की कोशिश शुरू कर दी है।

बसपा की यह महारैली कल 9 अक्टूबर 2025 को संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर लखनऊ के मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल पर आयोजित होगी। इस आयोजन को बसपा के मिशन 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। लगभग पांच साल बाद मायावती स्वयं इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगी। इस रैली का मुख्य उद्देश्य अपने दलित कोर वोट बैंक को यह संदेश देना है कि पार्टी अभी भी राज्य की राजनीति में सक्रिय है।

बसपा का प्रदर्शन: 2012 से 2024 तक चुनावी गिरावट का गुणा भाग

पिछले एक दशक में बसपा के चुनावी प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई है, जो पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। 

2012 विधानसभा चुनाव, मे बसपा ने 403 सीटों में से 80 सीटें जीतीं। पार्टी का वोट शेयर 25.91% था।

2014 लोकसभा चुनाव, बसपा ने 00 सीटें जीतीं। पार्टी का वोट शेयर लगभग 19.60% था।

2017 विधानसभा चुनाव, बसपा की सीटों की संख्या घटकर 19 सीटें रह गई। पार्टी का वोट शेयर 22.23% रहा।

2019 लोकसभा चुनाव मे सपा के साथ गठबंधन के बावजूद बसपा केवल 10 सीटें जीत सकी, पार्टी का वोट शेयर लगभग 19.43% था।

2022 विधानसभा चुनाव, बसपा की सीटों की संख्या रिकॉर्ड रूप से गिरकर सिर्फ 01 सीट पर सिमट गई। पार्टी का वोट शेयर 12.8% रहा।

2024 लोकसभा चुनाव, बसपा ने लगातार दूसरी बार 00 सीटें जीतीं। पार्टी का वोट शेयर गिरकर 9.39% के न्यूनतम स्तर पर आ गया।

रैली से पहले मायावती का आक्रामक रुख

रैली से पहले ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा पर हमला बोलकर माहौल गरमा दिया है। उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा 9 अक्टूबर को ही कांशीराम पर एक संगोष्ठी आयोजित करने के ऐलान पर नाराज़गी व्यक्त की। मायावती ने सपा पर 'छलावा' और 'दिखावा' करने का आरोप लगाते हुए अपने समर्थकों को ऐसे दलों से 'सजग व सावधान' रहने की अपील की। यह कदम स्पष्ट रूप से मुस्लिम और दलित वोटों को किसी भी तरह के गठबंधन से दूर रखने की रणनीति का हिस्सा है।

बसपा ने इस रैली को सफल बनाने के लिए पांच लाख से अधिक लोगों को जुटाने की योजना बनाई है। कार्यकर्ताओं के लिए रुकने और भोजन का इंतजाम रमाबाई रैली स्थल पर किया गया है। शहर में प्रवेश करने वाले रास्तों पर होर्डिंग्स लगाई गई हैं। बसपा इस रैली के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि भारी चुनावी नुकसान के बावजूद वह अभी भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अहम किरदार बनी हुई है।

पार्टी से 'पलायन' और टिकट बेचने के गंभीर आरोप

​पिछले 12 सालों में, बसपा की सबसे बड़ी चुनौती उसके शीर्ष नेतृत्व का पार्टी छोड़ना रहा है। बाबू सिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी और स्वामी प्रसाद मौर्य सरीखे बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, जो बसपा को खड़ा करने वाले प्रमुख चेहरे थे।​ इन सभी नेताओं ने पार्टी छोड़ते समय सार्वजनिक रूप से मायावती पर 'पैसे लेकर टिकट बेचने' का गंभीर आरोप लगाया था।

​राजनीतिक गलियारों में यह आम धारणा है कि टिकट बेचने की इस नीति के कारण सही और जमीनी पकड़ वाले प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ पाते, जिससे बसपा चुनाव दर चुनाव हारती जा रही है। इन आरोपों के कारण पार्टी की छवि को भारी नुकसान पहुँचा है, जिससे बसपा का आधार लगातार कमजोर हुआ है।

​भविष्य की तैयारी: आकाश आनंद को सौंपने की कवायद

​बसपा की गिरती साख और चुनावों में लगातार हार के बीच, मायावती अब नई पीढ़ी को आगे लाने की तैयारी में हैं।

​माना जा रहा है कि मायावती इस रैली के माध्यम से अपने भतीजे आकाश आनंद को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने की प्रक्रिया को सार्वजनिक रूप से आगे बढ़ा सकती हैं। आकाश आनंद को पहले ही पार्टी में राष्ट्रीय समन्वयक बनाया जा चुका है। कल की रैली में उनकी उपस्थिति और उन्हें दी जाने वाली जिम्मेदारी पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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