बदला यूपी का ग्रामीण सियासी नक्शा: शहरी विस्तार के चलते, परिसीमन में 644 क्षेत्र और 15 जिला पंचायत वार्ड घटे
इस बदलाव से 644 क्षेत्र पंचायत वार्ड और 15 जिला पंचायत वार्ड कम हो गए हैं। अब 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव होगा।
ग्राम पंचायत के स्तर पर भी 4,608 वार्डों की कमी आई है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पूर्व हुए परिसीमन के कारण ग्रामीण राजनीतिक संरचना में बड़ा बदलाव आया है। राज्य में नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों की सीमाओं के विस्तार से 504 ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में समाहित हो गईं। इस बदलाव का सीधा असर पंचायत वार्डों की संख्या पर पड़ा है, जिसके चलते क्षेत्र पंचायत के 644 वार्ड और जिला पंचायत के 15 वार्ड कम हो गए हैं। यह कमी चुनाव लड़ने वाले संभावित उम्मीदवारों और ग्रामीण मतदाताओं के लिए नई चुनौतिया खड़ी करेगी। इस व्यापक बदलाव से अब प्रदेश में 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव होगा, जबकि पहले इनकी संख्या 58,189 थी। यह पूरा पुनर्गठन चुनावी तैयारियों का एक महत्वपूर्ण चरण है।
नगरीय सीमा विस्तार के कारण घटे वार्डों का विवरण
उत्तर प्रदेश में तेजी से हो रहे शहरीकरण और स्थानीय निकायों के सीमा विस्तार के कारण पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तरों पर वार्डों की संख्या में महत्वपूर्ण कटौती हुई है। पंचायती राज विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी, जिसके बाद ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत स्तर पर आंशिक परिसीमन किया गया। इसका मुख्य कारण यह है कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों को नगरीय सीमा में शामिल किया गया है, वे अब पंचायती राज संस्थाओं के दायरे से बाहर हो गए हैं।
परिणामस्वरूप, अब प्रदेश में जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 3,060 से घटकर 3,045 हो गई है, यानी 15 वार्डों की सीधी कमी। इसी तरह, क्षेत्र पंचायत सदस्यों की संख्या 77,576 से घटकर 76,932 रह गई है, जिससे 644 वार्ड कम हुए हैं। ग्राम पंचायत के स्तर पर भी 4,608 वार्डों की कमी आई है।
कम हुए वार्डों से बदला चुनावी गणित
वार्डों की संख्या में आई इस कमी का सीधा असर आगामी पंचायत चुनावों के आरक्षण और उम्मीदवारों की रणनीति पर पड़ेगा। जब वार्ड कम होते हैं, तो प्रत्येक वार्ड में मतदाताओं की संख्या बढ़ जाती है, जिससे चुनाव लड़ना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसके अलावा, कई मौजूदा वार्डों के समाप्त होने या उनके हिस्सों के दूसरे वार्डों में शामिल होने से पुराने राजनीतिक समीकरण टूट गए है, राज्य निर्वाचन आयोग जल्द ही वार्डों की अंतिम सूची के आधार पर आरक्षण की प्रक्रिया शुरू करेगा।
परिसीमन प्रक्रिया का समय और आगामी कदम
वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया पंचायती राज विभाग द्वारा 18 जुलाई को शुरू की गई थी और यह अगस्त के पहले सप्ताह तक आपत्तियों के निस्तारण के साथ पूरी हुई। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक थी कि नगरीय सीमा विस्तार के बाद पंचायतों के वार्डों का गठन जनसंख्या और भौगोलिक न्याय के आधार पर हो सके।
परिसीमन का कार्य पूरा होने के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग अब चुनाव की दिशा में अगला महत्वपूर्ण कदम उठाएगा। यह कदम है आरक्षण की प्रक्रिया। आरक्षण की नई सूची जारी होने के बाद ही प्रदेश के सभी 75 जिलों में चुनावी सरगर्मियां तेज होंगी और उम्मीदवार आधिकारिक तौर पर अपनी दावेदारी पेश करना शुरू करेंगे। चूंकि अगले साल मार्च में चुनाव प्रस्तावित है, इसलिए शासन और प्रशासन दोनों ही स्तरों पर तेजी से काम चल रहा है।