बांकेबिहारी मंदिर का 'खजाना': 1971 की इन्वेंटरी की तलाश में जुटी हाई-पावर्ड कमेटी! 29 अक्टूबर को अहम बैठक

बांकेबिहारी मंदिर के तोषखाने की तलाशी में कम सामान मिलने के बाद, हाई-पावर्ड कमेटी ने 1971 में बनी इन्वेंटरी की तलाश शुरू कर दी है।

Updated On 2025-10-24 10:52:00 IST

कमेटी 29 अक्टूबर को बैठक कर मंदिर मैनेजर से इस पुरानी सूची पर जवाब-तलब करेगी।

मथुरा : वृंदावन स्थित श्री बांकेबिहारी मंदिर के तोषखाना को लेकर बड़ा रहस्य सामने आया है। हाल ही में हाई-पावर्ड कमेटी के निर्देश पर हुई तलाशी में केवल सोने-चांदी की कुछ वस्तुए ही मिलीं, जिसके बाद मंदिर के सेवायतों ने ठाकुर जी के माल के गायब होने पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अब, खजाने का पूरा ब्योरा जानने के लिए कमेटी ने वर्ष 1971 में बनी मूल इन्वेंटरी की खोज शुरू कर दी है।

यह महत्वपूर्ण दस्तावेज कथित तौर पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मथुरा शाखा में श्री बांकेबिहारी जी महाराज के नाम से रखे एक बक्से में बंद है। कमेटी के अध्यक्ष 29 अक्टूबर को होने वाली एक अहम बैठक में सेवायत सदस्यों और मंदिर के मैनेजर से इस पुरानी इन्वेंटरी को लेकर स्पष्टीकरण मांगेंगे, ताकि वर्षों पुराने इस खजाने का हर रहस्य खुल सके। 

तोषखाना खुलने के बाद गहराया रहस्य 

हाई-पावर्ड कमेटी के आदेश पर, प्रशासन ने सिविल जज जूनियर डिवीजन के नेतृत्व में धनतेरस के आसपास श्री बांकेबिहारी मंदिर के तोषखाना में दो दिनों तक गहन सर्च ऑपरेशन चलाया था। इस ऑपरेशन का उद्देश्य तोषखाना में मौजूद सभी संपत्ति का ब्योरा एकत्र करना था। हालांकि, जब तोषखाना खोला गया, तो इसमें उम्मीद से काफी कम सामान मिला। प्रशासन को केवल सोने-चांदी की छड़ी, कुछ रत्न, चांदी का छत्र और कुछ पुराने बर्तन ही प्राप्त हुए।

तोषखाना में कम वस्तुए मिलने के बाद मंदिर के सेवायत सदस्यों की ओर से तत्काल सवाल उठाए जाने लगे। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि आखिरकार ठाकुर जी का माल कहां गया, सेवायतों ने इस मामले की गहन जांच की मांग की, जिसके बाद मंदिर प्रबंधन पर दबाव बढ़ गया।

इस विवाद को खत्म करने और खजाने का पूरा सच सामने लाने के लिए ही अब हाई-पावर्ड कमेटी ने 50 साल से अधिक पुरानी, लेकिन इन्वेंटरी का पता लगाने का काम शुरू कर दिया है। कमेटी का मानना है कि यह 1971 की सूची ही तोषखाने की वर्तमान स्थिति और उसकी पिछली स्थिति के बीच के अंतर को स्पष्ट कर सकती है।

1971 की इन्वेंटरी बनी जांच का विषय

मंदिर के खजाने से जुड़े इतिहासकारों और पुराने सेवायतों के अनुसार, यह रहस्य कोई नया नहीं है। सेवायत दिनेश गोस्वामी और इतिहासकार प्रहलाद बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि पिछली बार जब मंदिर का खजाना खोला गया था, तब कुछ अमूल्य वस्तुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मथुरा शाखा में श्री बांकेबिहारी जी महाराज के नाम से एक सुरक्षित बक्से में जमा करवाई गई थीं।

इस घटना के बाद, वर्ष 1971 में, मुंसिफ कोर्ट ने पूरी संपत्ति का ब्योरा बनाते हुए एक विस्तृत इन्वेंटरी तैयार की थी। इस इन्वेंटरी की एक प्रतिलिपि उस समय की मंदिर प्रबंध कमेटी को भी सौंपी गई थी। इस कमेटी की अध्यक्षता मथुरा निवासी प्यारेलाल गोयल कर रहे थे, जबकि इसमें कृष्णगोपाल गोस्वामी, दीनानाथ गोस्वामी, केवलकृष्ण गोस्वामी, रामशंकर गोस्वामी और शांतिचरण पिंडारा सहित छह अन्य सदस्य भी शामिल थे।

इसके अलावा, तत्कालीन प्रशासक मुंसिफ मथुरा और प्रबंधक कुंदनलाल चतुर्वेदी को भी इन्वेंटरी की पूरी जानकारी थी। इस प्रकार, वर्ष 1971 की यह सूची ही मंदिर की बहुमूल्य संपत्ति का अंतिम आधिकारिक रिकॉर्ड है, जिसके मिलने से ही खजाने के सभी पहलू स्पष्ट हो सकती है।

कमेटी को उम्मीद है कि बैंक में सुरक्षित यह बक्सा खोलने के बाद मंदिर के खजाने के अतीत और वर्तमान की स्थिति का स्पष्ट मिलान किया जा सकेगा। इन्वेंटरी मिलने पर ही पता चल पाएगा कि तोषखाना से क्या-क्या सामान बैंक में ट्रांसफर किया गया था और कौन-सी वस्तुए मंदिर परिसर में ही रह गई थीं।


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