सपा की 'नौटंकी' है बरेली डेलिगेशन: 2027 में सफाया तय, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बड़ा हमला!
केशव मौर्या ने सपा के इस कदम को 'नौटंकी' और 'बचकाना' बताया। प्रशासन ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए सपा प्रतिनिधिमंडल को अनुमति नहीं दी और कई नेताओं को हाउस अरेस्ट किया।
केशव मौर्य ने 'एक्स' पर लिखा कि सपा की राजनीति मुस्लिम तुष्टिकरण पर आधारित है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के नेताओं को बरेली जाने से रोके जाने के बाद सपा और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है। मौर्य ने इस पूरे प्रयास को 'नौटंकी' करार दिया और दावा किया कि यह सपा की दशकों पुरानी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा है।
दरसल सपा के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को बरेली के लिए रवाना होने वाला था, लेकिन प्रशासन ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। इस दौरान कई प्रमुख सपा नेताओं को उनके घरों में ही नजरबंद कर दिया गया। प्रशासन ने यह कदम क्षेत्र में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया।
इस घटनाक्रम पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करके अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि "सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव का बरेली में प्रतिनिधिमंडल भेजना नौटंकी और बचकाना कदम है।" मौर्य ने सपा की राजनीति पर सीधा हमला करते हुए कहा कि "सपा की पहचान मुस्लिम तुष्टिकरण की गंदी राजनीति से है।"
उन्होंने दावा किया कि आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की दुर्दशा और सफाया होना तय है। डिप्टी सीएम ने उत्तर प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार की उपलब्धियों पर जोर देते हुए कहा, "यूपी दंगा मुक्त, सुशासन व क़ानून व्यवस्था हमारी पहचान और उपलब्धि है।" उन्होंने आगे तंज कसते हुए कहा कि "सपाइयों को यही रास नहीं आ रहा," यानी सपा नेता राज्य में स्थापित शांति और सुशासन से खुश नहीं हैं।
केशव प्रसाद मौर्य के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा बनी हुई है। भाजपा लगातार सपा पर अल्पसंख्यक वर्ग का वोट बैंक हासिल करने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाती रही है। वहीं, सपा नेताओं को बरेली जाने से रोके जाने और उनकी नजरबंदी पर अखिलेश यादव और अन्य सपा नेताओं ने भी सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। सपा का आरोप है कि सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है और विपक्षी नेताओं को शांतिपूर्ण तरीके से लोगों से मिलने से रोका जा रहा है।
बरेली में तनावपूर्ण स्थिति के बीच राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। डिप्टी सीएम का यह बयान सत्ता पक्ष की ओर से सपा की नीतियों और उसके राजनीतिक कदमों को सीधे चुनौती देने के रूप में देखा जा रहा है।