कानूनी चक्रव्यूह में फंसे आजम: 55 दिन में ही खत्म हुई आजादी, PAN कार्ड केस में पिता-पुत्र को 7 साल की जेल
सपा महासचिव आजम खान को सिर्फ 55 दिन की जमानत के बाद दोबारा जेल जाना पड़ा है। उन्हें और बेटे अब्दुल्ला आजम को फर्जी पैन कार्ड मामले में रामपुर कोर्ट ने 7-7 साल की सज़ा सुनाई है।
रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 18 नवंबर को आज़म और उनके बेटे अब्दुल्ला को दोषी करार दिया।
लखनऊ : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश की मुस्लिम राजनीति के कद्दावर चेहरे आज़म खान की सियासी वापसी की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है।
जमानत पर रिहा होने के सिर्फ 55 दिन बाद ही रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें एक पुराने मामले में सज़ा सुना दी, जिसके बाद उन्हें दोबारा जेल भेज दिया गया। बेटे अब्दुल्ला आज़म के फर्जी पैन कार्ड मामले में आए इस फैसले ने आज़म खान के राजनीतिक भविष्य पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में उनके प्रभाव पर ग्रहण लगा दिया है।
पैन कार्ड मामले में पिता-पुत्र को 7-7 साल की कैद
रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 18 नवंबर 2025 को सपा महासचिव आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को दोषी करार दिया। कोर्ट ने दोनों को सात-सात साल के कारावास की सज़ा सुनाई है और 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
यह फैसला अब्दुल्ला आज़म के दो जन्म प्रमाणपत्रों के आधार पर दो पैन कार्ड बनवाने से जुड़े मामले में आया है। सज़ा सुनाए जाने के बाद दोनों को तत्काल प्रभाव से रामपुर जेल भेज दिया गया।
23 महीने की जेल के बाद मिली थी 55 दिन की आज़ादी
आज़म खान को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 23 सितंबर 2025 को सीतापुर जेल से जमानत पर रिहा किया गया था। वह लगभग 23 महीने तक जेल में रहे थे। रिहाई के बाद, वह अपनी सियासी ज़मीन को फिर से मज़बूत करने में जुट गए थे, लेकिन 55 दिन बाद ही आए इस फैसले ने उनकी राजनीतिक सक्रियता पर पूर्ण विराम लगा दिया है।
उनकी पत्नी तंज़ीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला पहले ही दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में सज़ा काट चुके हैं।
सक्रिय होने की कवायद में लगे थे आज़म खान
जेल से बाहर आने के बाद आज़म खान ने अपनी राजनीतिक यात्रा फिर से शुरू कर दी थी। उन्होंने अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और पार्टी नेताओं से मेल-मिलाप बढ़ाना शुरू कर दिया था। रामपुर और आसपास के इलाके जैसे मुरादाबाद और संभल में उनकी सक्रियता तेज़ हो गई थी। हालांकि, इस सज़ा के बाद पार्टी के भीतर और पश्चिमी यूपी की मुस्लिम राजनीति में उनकी पकड़ और कमज़ोर होने की आशंका है।
राजनीतिक भविष्य और रामपुर पर प्रभाव
आज़म खान, अब्दुल्ला आज़म और तंज़ीन फातिमा में से कोई भी सदस्य अब किसी सदन का हिस्सा नहीं है। उनके जेल जाने के चलते रामपुर की सियासत पूरी तरह से उनके हाथों से फिसलती जा रही है।
2024 लोकसभा चुनाव में रामपुर सांसद मोहिबुल्लाह नदवी का सपा से चुना जाना, जो आज़म खान के विरोधी खेमे के माने जाते हैं, रामपुर में बदलते राजनीतिक समीकरणों का संकेत है। इस सज़ा ने आज़म खान के सियासी वजूद पर लगे ग्रहण को और गहरा कर दिया है।