जेड सिक्योरिटी भी कम है': आजम खान ने अपनी सुरक्षा पर उठाए सवाल, बोले - मेरे दुश्मन नादान हैं
सपा नेता आजम खान ने अपनी जान पर खतरा बताते हुए कहा कि उनके लिए 'जेड सिक्योरिटी भी कम' है। उन्होंने मौजूदा 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा को अपर्याप्त बताया।
आज़म की सुरक्षा अब केवल 'वाई' श्रेणी तक सिमट गई है, जिसे वह अपने लिए अपर्याप्त मानते हैं।
रामपुर : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने अपनी मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं, उनका कहना है कि मौजूदा 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा उनके लिए अपर्याप्त है। मीडिया से बातचीत में, आज़म ने अपनी जान को खतरे की आशंका जताते हुए कहा कि उनके दुश्मन ज्यादा से ज्यादा उनकी जान ले सकते हैं, और इससे ज्यादा वे क्या लेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व में एक पुलिस अधीक्षक ने उन्हें 'जेड प्लस' सुरक्षा दिए जाने की सिफारिश की थी।
सुरक्षा वापस लेने और जान का खतरा
आजम खान ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सुरक्षा वापस लेने का फैसला किसी राजनीतिक दल ने नहीं लिया था, बल्कि तत्कालीन राज्यपाल ने उनकी सुरक्षा की आवश्यकता को महसूस किया था। उन्होंने बताया कि जब उन्हें 'जेड' सुरक्षा मिली थी, तो उस वक्त के एसपी ने यह तक लिखा था कि उनके लिए 'जेड सिक्योरिटी' भी कम है, और उन्हें 'जेड प्लस' सुरक्षा दी जानी चाहिए। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि वह सिफारिश लागू नहीं की गई, और अब तो 'जेड' देना तो दूर की बात, उन्हें कोई पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी गई है।
उन्होंने साफ कहा कि उनके जैसे कद के नेता के लिए 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा पर्याप्त नहीं है। आज़म ने आरोप लगाया कि कुछ लोग बिना किसी वजह के उनका विरोध करते हैं और कोई भी बहाना बनाकर उन पर 'ओपन फायर' करा सकते हैं।
दुश्मनों को बताया नादान और जिंदगी का फलसफा
अपनी जान को खतरे के बावजूद, आजम खान ने अपने दुश्मनों को नादान बताया। उन्होंने कहा कि उनके दुश्मनों का उनसे दुश्मनी रखने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि उन्होंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुचाया है। उन्होंने अपने जीवन के बारे में बात करते हुए कहा कि उनकी जिंदगी ऐसी रही है कि उन्हें रामपुर की जनता का भरपूर प्यार मिला है, और उन्होंने अपने कार्यकाल में दो सफल कुंभों का आयोजन भी करवाया था, जिसकी जानकारी सभी को है।
उन्होंने अपनी जान के खतरे पर अंदाज़ में टिप्पणी करते हुए कहा, "मेरा दुश्मन मेरी जान ले सकता है, इससे ज्यादा क्या लेगा? पैसा तो है ही नहीं। वैसे भी जिस दिन मौत लिखी होगी, वह होनी है।" उन्होंने यह भी याद किया कि उनके ऊपर पहले भी हमले का प्रयास किया जा चुका हैं, लेकिन उन्होंने पुरानी कहावत का हवाला दिया: "जाको राखे साइयां, मार सके न कोय।"
पूर्व में मिली 'जेड' सुरक्षा और अब 'वाई' श्रेणी
आजम खान ने स्पष्ट किया कि उन्हें कम से कम इतनी सुरक्षा मिलनी चाहिए, जहा वह खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें। उन्होंने पुरानी बात को दोहराया कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक की सिफारिश थी कि उन्हें 'जेड प्लस' सुरक्षा मिलनी चाहिए, जबकि उन्हें 'जेड' सिक्योरिटी भी नहीं मिली।
उनकी सुरक्षा अब केवल 'वाई' श्रेणी तक सिमट गई है, जिसे वह अपने लिए अपर्याप्त मानते हैं। उनका मानना है कि जिन परिस्थितियों में उन्हें सुरक्षा की जरूरत है, उसमें सिर्फ 'वाई' सुरक्षा होने से वह सुरक्षित महसूस नहीं कर सकते।