यूपी में आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की हरी झंडी: ईएनटी और डेंटल समेत कई ऑपरेशन को मंजूरी
इस फैसले का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सर्जनों की कमी को दूर करना है। अब आयुर्वेद विशेषज्ञ मोतियाबिंद, हर्निया और बवासीर जैसे ऑपरेशन कानूनी रूप से कर सकेंगे।
इस फैसले का सबसे बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली जनता को होगा।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार और 'भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद'के दिशा-निर्देशों के अनुरूप राज्य में आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति दे दी है।
यह निर्णय उन आयुर्वेदिक डॉक्टरों पर लागू होगा जिन्होंने संबंधित विषयों में एमएस की डिग्री हासिल की है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा क्षेत्र में सर्जनों की कमी को दूर करना और प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक शल्य चिकित्सा पद्धति के साथ एकीकृत करना है।
किन सर्जरी को मिली मंजूरी और कौन कर सकेगा ऑपरेशन
सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी आयुर्वेदिक डॉक्टर ऑपरेशन नहीं कर सकेंगे। यह अनुमति केवल उन्हीं विशेषज्ञों को दी गई है जिन्होंने 'शल्य तंत्र' और 'शालाक्य तंत्र' में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है।
इन डॉक्टरों को 58 प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाओं को स्वतंत्र रूप से करने का अधिकार दिया गया है। इसमें सामान्य सर्जरी के साथ-साथ नाक, कान, गले, आंख और दांतों से जुड़ी सर्जरी शामिल हैं।
सर्जरी की सूची में शामिल प्रमुख प्रक्रियाएं
अनुमति प्राप्त प्रक्रियाओं में कुल 39 सामान्य सर्जरी और 19 विशिष्ट सर्जरी (आंख, नाक, कान आदि) शामिल हैं। इनमें प्रमुख रूप से गाँठ निकालना, बवासीर, फिस्टुला, हर्निया, मोतियाबिंद का ऑपरेशन, मसूड़ों की सर्जरी और घावों की ड्रेसिंग या स्टिचिंग जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं।
इसके अलावा, ईएनटी विभाग के तहत नाक की हड्डी का बढ़ना या कान से जुड़े छोटे ऑपरेशन भी अब आयुर्वेद चिकित्सक कर सकेंगे।
आयुर्वेद और एलोपैथ के बीच समन्वय और प्रशिक्षण
इस नई व्यवस्था के तहत आयुर्वेदिक सर्जनों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति की तरह ही एनेस्थीसिया और एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।
CCIM के अनुसार, आयुर्वेद के पाठ्यक्रमों में सर्जरी का विषय दशकों से पढ़ाया जा रहा है, लेकिन अब इसे कानूनी रूप से स्पष्ट कर दिया गया है ताकि ये डॉक्टर बिना किसी कानूनी अड़चन के अपनी विशेषज्ञता का उपयोग कर सकें।
यह कदम 'मिक्सोपैथी' को लेकर चल रहे विवादों के बीच आयुर्वेद को मुख्यधारा की चिकित्सा में लाने का प्रयास है।
आम जनता और ग्रामीण क्षेत्रों को होने वाले लाभ
इस फैसले का सबसे बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली जनता को होगा। वर्तमान में जिला अस्पतालों और सीएचसी पर सर्जनों की भारी कमी है, जिसके कारण मरीजों को छोटे ऑपरेशन के लिए भी बड़े शहरों या निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।
आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति मिलने से अब तहसील और ब्लॉक स्तर पर भी ऑपरेशन की सुविधाएं सुलभ हो सकेंगी, जिससे मरीजों के समय और पैसे दोनों की बचत होगी।