लखनऊ: पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर लखनऊ में 11 गंभीर धाराओं में FIR, लापरवाही पर इंस्पेक्टर लाइन हाजिर

लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी में सड़क कब्जे के विवाद में पूर्व सांसद धनंजय सिंह सहित 10 लोगों पर बलवा, मारपीट, महिला से अभद्रता और एससी-एसटी एक्ट की 11 गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।

Updated On 2025-12-30 21:30:00 IST

धनंजय सिंह के खिलाफ दर्ज इस एफआईआर ने जौनपुर से लेकर लखनऊ तक की सियासत में हलचल तेज कर दी है।

लखनऊ : लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में रास्ता कब्जाने और मारपीट के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है।

इस मामले में धनंजय सिंह, ब्लॉक प्रमुख पति विनय सिंह और उनके सरकारी गनर समेत कुल 10 लोगों के खिलाफ 11 गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

पुलिस कमिश्नर ने इस मामले में निष्पक्षता न बरतने और एकपक्षीय कार्रवाई करने के आरोप में थाना प्रभारी उपेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया है।

सड़क कब्जे को लेकर शुरू हुआ पूरा विवाद

यह पूरा मामला लखनऊ के अहिमामऊ स्थित 'स्वास्तिका सिटी' सोसाइटी का है। यहा रहने वाले पीड़ित कौशल तिवारी के अनुसार, उनके घर के बगल में जौनपुर की महाराजगंज ब्लॉक प्रमुख मांडवी सिंह के पति विनय सिंह ने जमीन खरीदकर मकान बनाया है।

आरोप है कि विनय सिंह सोसाइटी की उस 20 फीट चौड़ी सड़क को बंद कर उसे अपने मकान में मिलाना चाहते थे, जो पिछले 20 वर्षों से मुख्य मार्ग के रूप में इस्तेमाल हो रही थी। 29 दिसंबर की शाम जब विनय सिंह अपने साथियों और सरकारी गनर के साथ सड़क पर दीवार खड़ी करने पहुंचे, तो स्थानीय निवासियों ने इसका विरोध किया, जिससे विवाद बढ़ गया।

धनंजय सिंह का नाम लेकर धमकी और मारपीट का आरोप

शिकायत के अनुसार, कब्जा करने के दौरान विनय सिंह ने खुद को पूर्व सांसद धनंजय सिंह का करीबी और रिश्तेदार बताते हुए लोगों को धमकाया। आरोप है कि विनय सिंह ने मोबाइल फोन पर धनंजय सिंह से बात कराकर लोगों को डराने की कोशिश की, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

विरोध करने पर रामू नामक एक युवक के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए बेरहमी से मारपीट की गई, जिससे वह बेहोश हो गया। इसी आधार पर पुलिस ने मामले में एससी-एसटी एक्ट की धाराएं भी जोड़ी हैं।

इंस्पेक्टर पर एकपक्षीय कार्रवाई का लगा आरोप

इस मामले में सुशांत गोल्फ सिटी के तत्कालीन इंस्पेक्टर उपेंद्र सिंह की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे। बताया जा रहा है कि घटना के बाद इंस्पेक्टर ने असली पीड़ितों की सुनने के बजाय उल्टा उन्हीं के खिलाफ एकतरफा मुकदमा दर्ज कर दिया था।

वीडिओ साक्ष्य सामने आने के बाद यह स्पष्ट हुआ कि पुलिस ने जानबूझकर दबंग पक्ष का साथ दिया। इस लापरवाही और पक्षपातपूर्ण रवैये को देखते हुए लखनऊ पुलिस कमिश्नर ने इंस्पेक्टर उपेंद्र सिंह को लाइन हाजिर कर दिया और पूरे मामले की जांच एसीपी गोसाईगंज को सौंप दी।

इन गंभीर धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा

पुलिस ने इस मामले में धनंजय सिंह, विनय सिंह, सरकारी गनर विपुल यादव और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की 11 धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

इनमें हत्या का प्रयास (धारा 109), बलवा, मारपीट (धारा 115-2), आपराधिक धमकी (धारा 351-3), आपराधिक साजिश और एससी-एसटी एक्ट जैसी संगीन धाराएं शामिल हैं। धनंजय सिंह के खिलाफ दर्ज इस एफआईआर ने जौनपुर से लेकर लखनऊ तक की सियासत में हलचल तेज कर दी है।


Tags:    

Similar News