आतंकी अब्दुल करीम बरी: 1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस में अजमेर की टाडा कोर्ट का फैसला, 2 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा

Abdul Karim Tunda acquitted by Ajmer court: अदालत ने दो आरोपियों इरफान और हमीदुद्दीन को सजा सुनाई है। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर चार ट्रेनों में धमाके हुए थे। कोटा, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में धमाके हुए थे।

Updated On 2024-02-29 13:25:00 IST
Abdul Karim Tunda

Abdul Karim Tunda acquitted by Ajmer court: राजस्थान से बड़ी खबर है। अजमेर टाडा कोर्ट ने गुरुवार को आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को 1993 विस्फोट मामले में बरी कर दिया। टुंडा लश्कर-ए-तैयबा का टॉप आतंकी है, जो बम बनाने में माहिर है। अदालत ने दो आरोपियों इरफान और हमीदुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। टुंडा इस समय 84 वर्ष का है। 1996 के सोनीपत बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। फिलवक्त वह अजमेर जेल में बंद है।

1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर चार ट्रेनों में धमाके हुए थे। कोटा, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में धमाके हुए थे। इस बम धमाकों में दो लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे। 

गणेश उत्सव में बम धमाके की बनाई थी योजना
अब्दुल करीम टुंडा को इन सीरियल बम धमाकों का मास्टरमाइंड माना गया था। टुंडा पर देश के कई जगहों पर आतंकवाद के मामले चल रहे हैं। जानकारी के अनुसार, टुंडा ने युवाओं को भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ट्रेनिंग दी थी। उसने 1998 में पाकिस्तानी नागरिक जुनैद के साथ मिलकर गणेश उत्सव के दौरान हमला करने की योजना बनाई थी। 

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2013 में नेपाल बॉर्डर से पकड़ा गया था टुंडा
अब्दुल करीम टुंडा पर पाकिस्तानी आतंकवादियों के समर्थन से भारत में 40 से अधिक बम विस्फोटों की साजिश रचने का आरोप है। टुंडा को जांच एजेंसी अधिकारियों ने 16 अगस्त 2013 को बनबसा में भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया था। वह देश से नेपाल भागने की फिराक में था। लेकिन उससे पहले पकड़ा गया। वह जम्मू-कश्मीर के बाहर लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क को फैलाने में एक महत्वपूर्ण कड़ी था।

टुंडा के जैश-ए-मोहम्मद, इंडियन मुजाहिदीन और बब्बर खालसा जैसे विभिन्न आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध थे। टुंडा हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर, जकी-उर-रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम जैसे कुख्यात आतंकियों से जुड़ा था। आतंकवाद में शामिल होने के बावजूद, अब्दुल करीम टुंडा को 2016 में उसके खिलाफ सभी चार मामलों में बरी कर दिया गया था। 

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दिल्ली के दरियागंज में पैदा हुआ था टुंडा
अब्दुल करीम टुंडा का जन्म 1943 में दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। उसने शुरुआत में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पिलखुआ गांव के बाजार खुर्द इलाके में बढ़ई का काम किया। फिर स्क्रैप व्यवसाय से जुड़ गया था। उसने तीन शादी की है। आखिरी शादी उसने 65 साल की उम्र 18 साल की लड़की से किया था। उसका छोटा भाई अब्दुल मलिक परिवार का इकलौता जीवित सदस्य है। वह अभी भी बढ़ई का काम करता है। 1992 में टुंडा बांग्लादेश और फिर पाकिस्तान पहुंचा था। जहां उसने बम बनाने की ट्रेनिंग ली थी। 

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