नागौर: गोशाला कर्मचारियों ने यात्रियों की बस पर किया हमला, श्रद्धालुओं में भड़का आक्रोश
नागौर-जोधपुर रोड पर स्थित गोशाला में दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं की बस पर कर्मचारियों ने लाठियों से हमला कर दिया। महिलाएं और बच्चे बाल-बाल बचे। पुलिस ने 14 आरोपियों को हिरासत में लिया।
Rajasthan: राजस्थान के नागौर जिले में नागौर‑जोधपुर रोड के पास एक गोशाला परिसर की घटना ने तहलका मचा दिया है। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र से जुंजाला धाम व खरनाल तेजाजी मंदिर दर्शन से लौट रही भक्तों की बस पर गोशाला के कर्मचारियों ने मंगलवार दोपहर को अचानक हमला कर दिया। हमले में लाठियों से बस के शीशे टूट गए और यात्रियों में अफरातफरी मच गई। इस मामले को नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने आरोपियों के ऊपर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी शेयर किया है।
सांसद बेनीवाल ने लिखा कि नागौर से जोधपुर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कृष्णा गौशाला में रहने वाले कुछ आपराधिक प्रवृति के लोगों द्वारा बस में बैठे बच्चों व महिलाओं तथा अन्य यात्रियों पर किया गया हमला अत्यंत निंदनीय है, मुझे प्राप्त जानकारी के अनुसार एक बुजुर्ग महिला जो बस में बैठी थी वो वृद्ध होने के कारण बस से नीचे नहीं उतर सकी और बस के अंदर ही चाय देने की बात कही जिस पर वहां मौजूद गौशाला स्टाफ ने जो तांडव मचाया उसका लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है।
सांसद ने DGP से फोन पर की बात
गौ- सेवा व गौशाला की आड़ में ऐसी गुंडागर्दी किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जाएगी , मैंने राजस्थान पुलिस के DGP व रेंज आईजी अजमेर से फोन पर बात करके तत्काल दोषियों के खिलाफ कठोरतम कानूनी कार्यवाही करने व इस गौशाला में रहने वाले कार्मिकों,वाहन चलाने वाले सभी लोगों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाने को भी कहा है।
उन्होंने आगे लिखा कि किसी भी प्रकार की जन -सेवा, गौ -सेवा बिना जन सहयोग के असंभव है ऐसे में यदि गौ सेवा करने वालों का लोग मान सम्मान करते है तो उस आड़ में गुंडागर्दी शुरू कर देना नागौर जिले में किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होगा। सूचना मिलते ही सदर थाना पुलिस और राजस्थान आरएसी की टीम मौके पर पहुंची है।
14 लोग हिरासत में
हालांकि इसके बाद पुलिस प्रशासन एक्टिव हुआ और अब तक 14 लोगों को हिरासत में लिया गया है। हिरासत में लिए गए लोगों ने थाने में कान पकड़ कर माफी भी मांगी। लेकिन अब इस बीच सवाल यह पैदा होता है कि यात्री सुरक्षा और धार्मिक स्थलों की मान्यता के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए? फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।