Lok Sabha Chunav 2024: बसपा प्रत्याशी के निधन के बाद बैतूल लोकसभा सीट का बदला शेड्यूल, जानें अब कब, क्या होगा

Lok Sabha Chunav 2024: बसपा प्रत्याशी अशोक भलावी के निधन के बाद चुनाव आयोग ने बैतूल लोकसभा सीट का नया शेड्यूल जारी किया है। बैतूल में अब तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग होगी। बसपा उम्मीदवार 12 से 19 अप्रैल तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे।

Updated On 2024-04-10 14:51:00 IST
Lok Sabha Elections 2024

Lok Sabha Chunav 2024: मध्यप्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अशोक भलावी के निधन के बाद निर्वाचन आयोग ने चुनाव का नया शेड्यूल जारी किया है। बुधवार को जारी हुए शेड्यूल के मुताबिक, बैतूल में तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग होगी। बसपा उम्मीदवार 12 अप्रैल से 19 अप्रैल तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे। बता दें कि पहले बैतूल में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोटिंग होनी थी। भलावी बैतूल जनपद के सदस्य रह चुके हैं। पिछला लोकसभा चुनाव भी बसपा के टिकट पर लड़ा था।

अचानक सीने में उठा दर्द और अस्पताल में हो गई थी मौत 
बता दें कि बैतूल से बसपा के टिकट पर लोकसभा के रण में उतरे अशोक भलावी का मंगलवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया था। दोपहर को अशोक के सीने में अचानक दर्द उठा और अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। भलावी के निधन के बाद बैतूल कलेक्टर ने रिपोर्ट मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को भेजी थी। मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने केंद्रीय चुनाव आयोग को जानकारी दी थी। इसके बाद नई तारीख तय की गई।

जानिए क्या कहता है जन प्रतिनिधित्व अधिनियम?
अधिनियम की धारा 52 (2) के अनुसार अगर किसी मान्यता प्राप्त राज्य या राष्ट्रीय पार्टी की ओर से मैदान में उतारे गए उम्मीदवार की मतदान से पहले मृत्यु हो जाती है तो निर्वाचन अधिकारी उस सीट पर मतदान स्थगित कर देता है और नई तारीख की घोषणा बाद में की जाती है।

जानें बैतूल सीट का इतिहास 
बता दें कि बैतूल लोकसभा में विधानसभा 8 सीटें आती हैं। बैतूल सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ। पहले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। 1967 और 1971 के चुनाव में भी कांग्रेस ने बैतूल सीट जीती। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल ने बैतूल सीट पर जीत हासिल की। 1980 में कांग्रेस ने वापसी कर फिर यह सीट जीती। 1984 में भी कांग्रेस को जीत मिली। बीजेपी ने पहली बार 1989 में जीत हासिल की। आरिफ बेग ने कांग्रेस के असलम शेरखान को हराकर यहां पर बीजेपी को पहली जीत दिलाई थी। 

कांग्रेस के टेकाम और भाजपा ने दुर्गादास को उतारा 
1991 में असलम शेर खान ने 1989 की हार का बदला लेकर आरिफ बेग को पराजित किया। 1996 में भाजपा ने फिर वापसी की और विजय कुमार खंडेलवाल सांसद बने। विजय कुमार खंडेलवाल ने 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में जीत दर्ज की। उनके निधन के बाद 2008 में हुए उपचुनाव में विजय कुमार खंडेलवाल के बेटे हेमंत खंडेलवाल जीत कर सांसद बने। 2009 में भाजपा की ज्योति धुर्वे ने जीत हासिल की। 2014 में ज्योति फिर सांसद चुनी गईं। 2019 में भाजपा के दुर्गादास उईके ने जीत हासिल की। 2024 के चुनाव में कांग्रेस से रामू टेकाम और भाजपा ने टिकट से दुर्गादास उईके चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने अशोक भलावी  को मैदान में उतारा था। 

Similar News