पेंशनर्स-कर्मचारियों को कैशलेस उपचार: MP में मोहन यादव सरकार ला रही आयुष्मान भारत जैसी स्कीम, जानें जरूरी प्रावधान

मध्य प्रदेश के 15 लाख कर्मचारी और पेंशनर्स परिवारों को 10 लाख तक कैशलेस उपचार मिलेगा। राज्य सरकार जल्द अयुष्मान भारत जैसे स्कीम लागू कर सकती है।

Updated On 2024-09-02 11:07:00 IST
MP Government Employees

MP Government Employees News: मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार राज्य के शासकीय कर्मचारियों, पेंशनर्स व उनके परिजनों के लिए आयुष्मान भारत जैसी स्कीम ला रही है। इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। योजना के तहत सामान्य बीमारी पर 5 लाख और और गंभीर बीमारी पर 10 लाख रुपए तक कैशलेस उपचार मिलेगा। इस योजना के लिए कर्मचारियों को 250 से 1 हजार रुपए तक हर माह अंशदान देना होगा। 

यह है प्रस्तावित योजना 
प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक, निगम-मंडल समेत राज्य सरकार के 15 लाख कर्मचारी और पेंशनर्स परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। इसके लिए कर्मचारियों के वेतन से सालाना 3 हजार से लेकर 12 हजार तक अंशदान काटा जाएगा। शेष राशि सरकार देगी। इसमें सामान्य बीमारी में 5 लाख और गंभीर बीमारी में 10 लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा का प्रावधान है। शासकीय कर्मी जांच और इलाज के बाद विभाग से रिफंड भी ले सकेंगे। 

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कमलनाथ सरकार ने बनाया था प्रस्ताव 
आयुष्मान भारत योजना शुरू होने के बाद कर्मचारी संगठनों की मांग पर कमलनाथ सरकार ने 2019 में इस योजना का प्रस्ताव बनाया था। इसमें बीमा राशि का कुछ हिस्सा कर्मचारियों से लेकर 5 लाख से 10 लाख तक कैशलेस उपचार की सुविधा देनी थी। फरवरी 2020 में आदेश भी जारी कर दिया, लेकिन मार्च में सरकार गिर गई। 

तत्कालीन सीएम शिवराज ने किया था ऐलान
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव से पहले 4 जुलाई 2023 को भोपाल में हुए संविदा कर्मचारियों के सम्मेलन में योजना की घोषणा की थी। उन्होंने संविदा कर्मचारी व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी आयुष्मान योजना का लाभ दिए जाने की घोषणा की थी। 22 जुलाई 2023 को सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किए। आंगनबाड़ी के आयुष्मान कार्ड बनने लगे, लेकिन संविदा कर्मचारियों के लिए प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। 

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MP में कर्मचारियों के लिए अभी यह सुविधा 
मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को अभी केंद्रीय स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) में तय रेट से इलाज खर्च मिलता है, बाजार दर से काफी कम है, जिस कारण इलाज खर्च का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों को खुद भरना पड़ता है। बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट के लिए सरकार 4 लाख देती है। जबकि, इसमें 20 लाख तक खर्च आता है। शासन से मिलने वाली यह राशि भी उपचार के बाद बिल लगाने पर मिलती है। यानी अस्पताल में भुगतान पूरा करना पड़ता है। पेंशनर्स के लिए यही व्यवस्था है।

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