Science Festival: प्रयोगधर्मी शिक्षा व अपने ज्ञान और अनुभव से कलाम पैदा करेंगे विज्ञान शिक्षक, फरीदाबाद में तीन दिन चला मंथन
International Science Festival Faridabad: अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में देशभर के 317 और मप्र के 18 शिक्षक शामिल हुए। विज्ञान शिक्षा को सहज, सरल और प्रयोगधर्मी बनाने के सुझाव दिए।
International Science Festival Faridabad: हरियाणा के फरीदाबाद में हुए अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में मध्यप्रदेश के 18शिक्षक शामिल हुए थे। 17 से 20 जनवरी तक हुए इस कार्यक्रम में 17इवेंट हुए। विज्ञान महोसव का महत्व समझाते हुए बताया कि शिक्षक युवा पीढ़ी के नैतिक मूल्यों, सोच प्रक्रियाओं और अनुशासन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वह राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता भी बनते हैं। प्रेरणा के स्रोत के रूप में काम करते हैं और व्यक्तिगत छात्रों और समग्र रूप से राष्ट्र दोनों के भविष्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
21वीं सदी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तीव्र प्रगति से विज्ञान शिक्षा एजुकेशन सिस्टम में केंद्र बिंदु बनी हुई है। जो समाज की बदलती जरूरतों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में उल्लिखित समग्र विकास के लक्ष्य के अनुरूप है। शिक्षकों ने गतिविधि-आधारित शिक्षण और सीखने में शिक्षण पद्धतियों और नवाचारों से अनुभव साझा किए। विज्ञान शिक्षण-सीखने की प्रथाओं के विभिन्न पहलुओं व प्रभावी उपकरणों पर पैनल चर्चा की।
कार्यशाला विज्ञान शिक्षा को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए एक प्रभावी उपकरण बनाने और आयोजित शोध प्रबंध और विचार-विमर्श के आधार पर रिपोर्ट लाने पर ध्यान केंद्रित की थी। इसमें पैनल चर्चा और गतिविधि आधारित विज्ञान शिक्षण का प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला के परिणाम पर व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत कर सिफ़ारिशें भेजी जाएंगी।
कार्यशाला के प्रमुख उद्देश्य
- विज्ञान शिक्षा में अनुभवात्मक और व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा देना।
- भारत में विज्ञान शिक्षा" पर विभिन्न विषयों पर चर्चा करना एनईपी 2020 में विज्ञान शिक्षकों की भूमिका और जिम्मेदारियों पर चर्चा करना।
- नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने में विज्ञान शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा करना।
- विज्ञान शिक्षण में नवीन एवं नवीन पद्धतियों का प्रसार करना।
मप्र से यह शिक्षक शामिल हुए
साइंस फेस्टिवल में मप्र से शिक्षक डॉ. योगेंद्र कुमार कोठारी, डॉ. रामानुज पाठक, संतोष कुमार मिश्रा, मेधा बाजपेई, अजीत जैन, ओमप्रकाश पाटीदार, डॉ भारती मालपानी, शैलेंद्र कसेरा अभिषेक सिंह, दिनेश कुमार राव, रीना दुबे, संजय लालवानी, सरिता तेजवानी, राजेश कुमार गुप्ता, आरती मोदी, सुभाष चंद्र कौशिक, देवेंद्र प्रसाद शर्मा और अशोक राजोरिया शामिल हुए।
ऐसे हुआ चयन
आवेदन एनसीईआरटी/एससीईआरटी/सीबीएसई/राज्य शिक्षा विभागों के माध्यम से देश भर के नवोन्वेषी विज्ञान शिक्षकों (माध्यमिक शिक्षा) से आमंत्रित किए गए थे। इनका चयन नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया (एनआईएफ) और विज्ञान भारती द्वारा किया गया था। कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य पूरे देश में विज्ञान शिक्षण में सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रसार करना था साथ ही प्रतिभागियों को प्रायोगिक और की संस्कृति को बढ़ावा देने वाली शिक्षण विधियों से परिचित कराना था। विज्ञान शिक्षण के लिए शिक्षाशास्त्र/शिक्षण सामग्री विकसित करने का विजन भी इस कार्यशाला में प्रस्तुत किया गया।