Teachers Day Special: बच्चे की पहली गुरु ‘मां’, जो स्वयं हैं एक शिक्षक और बच्चे को शिक्षित करने में निभा रही अहम भूमिका

राजधानी भोपाल की ऐसी माएं जो स्वयं शिक्षक होने के साथ ही अपने बच्चे की शिक्षा पर पूरा ध्यान दे रहीं हैं। टीचर्स डे पर हरिभूमि ने कुछ ऐसी माताओं को तलाशा है।

By :  Desk
Updated On 2024-09-05 09:08:00 IST
Teacher's Day 2024 Wishes

Teachers Day Special: कहते हैं बच्चे की पहली गुरु उसकी ‘मां’ होती है, जो उसका हाथ पकड़कर सही राह पर चलना तो सिखाती ही है साथ ही अच्छा जीवन जीने की सीख भी देती है, लेकिन यदि यही मां स्वयं भी शिक्षक हो, जिस मां का जीवन ही शिक्षा के प्रति समर्पित हो तो वो अपने बच्चे को भी उचित व अच्छी शिक्षा दे पाती है। आज टीचर्स डे पर हरिभूमि ने कुछ ऐसी माताओं को तलाशा, जो स्वयं एक शिक्षक हैं और अपने बच्चे को शिक्षित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। पढ़ें मधुरिमा राजपाल की विस्तृत रिपोर्ट...। 

नीतू शर्मा अपने बेटा प्रियांशु के साथ

अपने बच्चों की वजह से ही चुना टीचिंग प्रोफेशन
करीब 10 साल से टीचिंग प्रोफेशन में रहने वाली निजी स्कूल की टीचर नीतू शर्मा ने कहा कि मेरा बेटा प्रियांशु 10वीं क्लास में है और छोटा बेटा केशव सेकंड क्लास में है और मैंने अपना टीचिंग प्रोफेशन अपने बच्चों की वजह से ही चुना क्योंकि मुझे लगता है कि एक मां यदि एक टीचर है तो वह स्कूल में जहां अच्छे से पढ़ा पाती है, वहीं घर पर भी बच्चों पर काफी अच्छे से ध्यान दे पाती है और मेरा बच्चों के साथ यही रूटीन है कि हम साथ में ही स्कूल जाते हैं साथ में ही वापस आते हैं और फिर मैं उन्हें बहुत अच्छे से सिलेबस कंप्लीट करती हूं और रिवीजन करती हूं। 

शैफाली अपने बेटे मानस के साथ

शिक्षक ‘मां’ अपने बच्चे को शिक्षा का वास्तविक महत्व बता सकती है 
पिछले 15 सालों से टीचर के रुप में काम करने वाली एसपीएस की टीचर शैफाली ने कहा कि मेरा बेटा मानस छठी क्लास में है और टीचिंग मेरा प्रोफेशन भी है और पैशन भी। क्योंकि मुझे शुरू से ही पढ़ाने का शौक था और आज भी स्कूल से आने के बाद मैं शाम के वक्त अपने बेटे को उसका होमवर्क कंप्लीट कराती हूं, रिवाइज कराती हूं। क्योंकि मेरा मानना है कि एक मां यदि शिक्षक है तो वो अपने बच्चे को शिक्षा का वास्तविक महत्व बता सकती है। 

राजनीता कौरव अपने बच्चे के साथ

 टीचर के रूप में अपने बच्चे पर ज्यादा ध्यान दे पाती हूं 
 पिछले 10 सालों से टीचिंग प्रोफेशन में रहने वाली राजनीता कौरव का कहना है कि मेरा बेटा 9 साल का है और थर्ड क्लास में है और मुझे भी शुरू से ही पढ़ाने का शौक था। इससे पहले मैं कॉलेज में भी पढ़ाती थी और कई निजी स्कूल में टीचर रही और अब मैं शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में टीचर हूं जिसमें मेरा मानना है कि टीचर के रूप में मैं अपने बच्चे पर ज्यादा ध्यान दे पाती हूं, भले ही मुझ पर वर्कलोड ज्यादा है लेकिन हम दोनों पति पत्नी मिलकर बच्चे को पढ़ाते हैं, जिससे वो अच्छे से पढ़ पाए और साथ ही चेप्टर को ध्यान से समझे।

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