'मप्र की विरासत’ छायाचित्र प्रदर्शनी: दुर्लभ और अद्भुत 48 तस्वीरें जिनसे मध्य प्रदेश की पहचान

Bhopal News: राज्य संग्रहालय में दुर्लभ और अद्भुत 48 तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई गई है।

By :  Desk
Updated On 2024-10-18 23:43:00 IST
Heritage of Madhya Pradesh

भोपाल (आशीष नामदेव)। राज्य संग्रहालय में शुक्रवार को संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय मप्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय पुरातत्व दिवस के अवसर पर सात दिवसीय मप्र की विरासत छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। प्रदर्शनी को 24 अक्टूबर तक देखा जा सकता है। इसमें 48 छायाचित्र लगाए गए हैं।

जिसमें बुरहानपुर के स्मारक, दौलत खां लोधी का मकबरा, खूनी भंडारा, परमार कालीन किला एवं मंदिर, हिंगलाजगढ़ का किला मंदसौर, विरूपाक्ष महादेव मंदिर बिलपांक रतलाम, शिव मंदिर मलवई अलीराजपुर, गढ़ी पिठेरा, चाचौड़ा का किला गुना, कुषाण काल में अभिलेख एवं उर्त्कीण अश्वमेध यज्ञ का दृश्य, द्वितीय शती ईस्वी जबलपुर, यक्षी प्रथम शती ईस्वी कूड़न जबलपुर, मूर्तिकला, मकरध्वज ईसा पूर्व द्वितीय शती बेसनगर विदिशा, शुंग कला, मनोरा जिला सतना, ऋणमुक्तेश्वर उत्खनन उज्जैन, पुरातत्वीय उत्खनन, रामछज्जा जिला रायसेन आदि मप्र के स्मारक देखी गई।

2 हजार ईसा पूर्व में देखे गए पत्थर पर मानव और पशु के चित्र
रामछज्जा जो जिला रायसेन में देखने को मिला है। इसमें चित्रों के निर्माण में गेरूएं, लाल, पीले एवं सफेद रंगों का उपयोग किया गया है। प्रमुख दृश्य रेखांकित मानव आकृतियां एवं जंगली पशु आकृतियों में बाघ, हिरण, भैंसा, बारहसिंगा, गैंडा, कुत्ता आदि देखने को मिलते हैं। कालक्रम मध्यपाष एवं ताम्रपाषाण काल ( 10000 से 2000 ईसा पूर्व है)।

देवबड़ला की महत्वपूर्ण प्रतिमाएं विज्ञान की दृष्टि से 11वीं शती ईस्वी की
शिव नटेश, लक्ष्मी नारायण, आदिशक्ति वैष्णी-माहेश्वरी, आदिशक्ति महागौरी प्रतिमा देवबड़ला की महत्वपूर्ण प्रतिमाओं में शामिल है। आदिशक्ति वैष्णवी-माहेश्वरी एवं आदिशक्ति महागौरी की दुर्लभ प्रतिमा है, लक्ष्मी नारायण एवं नटेश की प्रतिमाएं िवभागीय मलवा सफाई के दौरान प्रकाश में आई और विज्ञान के दृष्टि से प्रतिमाएं परमारकाली, 11वीं शती ईस्वी की है।

ऋणमुक्तेश्वर उत्खनन उज्जैन के उत्खनन से प्रकाश में आए
ऋणमुक्तेश्वर उत्खनन उज्जैन के उत्खनन में 3000 वर्ष प्राचीन संस्कृित के अवशेष प्रकाश में आए। उत्खनन में 1000 ईसा पूर्व से मध्यकाल तक का अनवरत सांस्कृतिक जमाव रहा। महत्वपूर्ण प्राप्तियों में मृदभांड के साथ मृण्मयी, शंख, कांच, प्रस्तर एवं बहुमूल्य प्रस्तर, चांदी, तांबा, लौह आदि निर्मित पुरावशेष देखे गए।

मनोरा ही मानपुर के रूप में वाकाटकों की राजधानी थी
मनोरा, जिला सतना से उत्खनन में वाकाटक गुप्त काल के भवनावशेष है। भवनों के निर्माण में प्रस्तर एवं पक्की ईंटों का उपयोग किया जाता था, उन्हीं ईंटों को दिखाया गया है। मनोरा ही मानपुर के रूप में वाकाटकों की राजधानी रही थी, जिसकी उत्खनित अवशेषों एवं साहित्यिक प्रमाणों से पुष्टि होती है।

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