मध्यप्रदेश: बांधवगढ़ में 8 हाथियों की मौत के बाद केंद्र सरकार अलर्ट, जहर कैसे और किसने दिया? जांच के लिए SIT गठित

मध्यप्रदेश में लगातार हो रही हाथियों की मौत की चिंघाड़ केंद्र सरकार तक पहुंच गई है। हाथियों को जहर किसने और कैसे दिया? जांच के लिए WCCB दिल्ली ने SIT गठित कर दी है।

Updated On 2024-10-31 08:18:00 IST
Bandhavgarh Tiger Reserve

Bandhavgarh Tiger Reserve: उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत से हाहाकार मचा है। दो दिन में 8 हाथियों की मौत हो चुकी है। हाथियों की मौत की चिंघाड़ अब केंद्र सरकार तक पहुंच चुकी है। वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) दिल्ली ने भी SIT गठित कर दी है। इधर स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने 7 खेतों और 7 घरों की तलाशी ली। 5 लोगों को हिरासत में लिया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि हाथियों की मौत जहर खाने से हुई है? जहर किसने और कैसे दिया? इसका पता लगाने टीम जांच कर रही है।

अचानक 13 हाथी बेहोश होकर गिरे 
वन विभाग के मुताबिक, खितौली और पतौर रेंज में 13 हाथियों का झुंड घूम रहा था। अचानक सभी 100 से 200 मीटर के एरिया में बेहोश होकर गिर गए। झुंड में से 1 नर और 7 मादा हाथियों की मौत हो चुकी है। बताया जा रहा है कि दो हाथियों का इलाज चल रहा है। तीन पूरी तरह स्वस्थ हैं। मृत 8 में से 6 हाथियों का पोस्टमार्टम हो चुका था। एक का सैंपल जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एवं हेल्थ भेजा है।

NTCA  के अधिकारी भी पहुंचे बांधवगढ़ 
नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी (एनटीसीए) के सेंट्रल जोन के एआईजी नंदकिशोर काले टीम के साथ बांधवगढ़ पहुंच गए हैं। मध्यप्रदेश के मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक विजय अंबाडे ने भी राज्य शासन के निर्देश पर 5 सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी। शुरुआती जांच में हाथियों की मौत का कारण कोदो की विषाक्तता को माना जा रहा है। जहर जानबूझकर दिया या फसल में कीटनाशक के कारण ऐसा हुआ? इसका पता लगाने टीम जांच कर रही है। 

सभी जलस्रोतों और तालाबों से पानी की जांच
वन विभाग के मुताबिक,  सभी जलस्रोतों, तालाबों से पानी के सैंपल लेकर जांच कर रहे हैं। पिछले दिनों पार्क में आने-जाने वाले और स्थानीय लोगों की गतिविधियों का भी पता लगा रहे हैं। हाथियों की मौत कहीं शिकारियों तो नहीं की है? वन विभाग की टीम इसका पता भी लगाने में जुट गई है। किस कीटनाशक की वजह से जान गई है। इसका पता भी लगाया जा रहा है। जहां-जहां वन्यजीवों ने फसल को नुकसान पहुंचाया है, उन सभी जगह के सैंपल लेकर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। 

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