AIIMS Bhopal: डॉक्टरों का कारनामा, आधे घंटे की सर्जरी में कैंसर के घाव को किया नष्ट; 52 साल की महिला को मिला जीवनदान

AIIMS Bhopal : एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने स्तन कैंसर से जूझ रही एक 52 साल की महिला की जान एक आधुनिक ट्रीटमेंट के जरिए बचा ली।

Updated On 2024-05-13 21:24:00 IST
Breast cancer

AIIMS Bhopal : एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने एक ऐसा कारानामा कर दिखाया है जो स्तन कैंसर और लीवर कैंसर से पीड़ित रोगियों के इलाज में क्रांति ला सकता है। डॉक्टरों ने स्तन कैंसर से जूझ रही एक 52 साल की महिला की जान एक आधुनिक ट्रीटमेंट के जरिए बचा ली। इसके लिए डॉक्टरों ने न्यूनतम इनवेसिव इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी प्रोसेस का इस्तेमाल किया। इस आधुनिक तकनीक की मदद से महिला के स्तन से कैंसर से संक्रमित हो चुके सेल्स को महज 30 मिनट में पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। सीईओ एम्स भोपाल प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी की इलाज करने वाली टीम को बधाई दी। 

 

30 मिनट का लगा वक्त
बता दें, सोमवार को 52 वर्षीय महिला का सफल ऑपरेशन हुआ। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि महिला को स्तन कैंसर था, जो लीवर तक फैल गया था (जिसे मेटास्टेसिस कहा जाता है)। लीवर रिसेक्शन के बजाय, जो एक प्रमुख ओपन सर्जिकल प्रक्रिया है, रोगी को माइक्रोवेव ट्यूमर एब्लेशन से इलाज किया गया। इस न्यूनतम इनवेसिव इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी प्रक्रिया में, एक छोटी सुई  को इमेज गाइडेड प्रोसेस अपनाते हुए सीधे लीवर ट्यूमर में डाला गया। माइक्रोवेव रेडिएशन एक्टिव करके लीवर कैंसर के घाव को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। पूरा इलाज 30 मिनट से भी कम समय में हो गया। यह प्रक्रिया एम्स भोपाल के रेडियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. राजेश मलिक के मार्गदर्शन में एसोसिएट प्रोफेसर और इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अमन कुमार द्वारा की गई। 

दुनिया भर में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा
दुनियाभर में महिलाएं स्‍तन कैंसर से सबसे ज्‍यादा प्रभावित हैं। फिलहाल ब्रैस्‍ट कैंसर का इलाज मुख्‍य रूप से सर्जरी, एंडोक्राइन थेरेपी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी से किया जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रैस्‍ट कंज़र्विंग  और ब्रैस्‍ट रीकन्‍स्‍ट्रक्‍शन सर्जरी करवा चुके मरीज़ों के जीवन की गुणवत्‍ता ब्रैस्‍ट रीसेक्‍शन करवाने वाले मरीज़ों की तुलना में काफी अधिक है।

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