Mp news: मध्यप्रदेश से ओडिशा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जाएंगे 10 बाघ, बदले में नहीं मिलेंगे वाइल्ड एनिमल

मध्यप्रदेश सरकार ने ओडिशा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को 10 बाघ भेजने की तैयारी कर ली है। हालांकि इसके बदले में एमपी को कोई वन्य प्राणी नहीं मिलेगा। वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट का आरोप है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट आदेश के बावजूद गिर के एशियाटिक लॉयन देने पर मौन है।

Updated On 2025-10-03 22:32:00 IST

मध्यप्रदेश से ओडिशा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जाएंगे 10 बाघ

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने ओडिशा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को 10 बाघ भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। वन विभाग ने तीनों राज्यों के अफसरों को पत्र लिखकर बाघ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की ट्रेनिंग की पेशकश की है। खास बात यह है कि इसके बदले में एमपी को कोई अन्य वन्य प्राणी नहीं मिलेगा।

क्यों भेजे जा रहे हैं बाघ?

बांधवगढ़ समेत अन्य टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। क्षेत्र कम होने की वजह से बाघों में टेरेटरी को लेकर संघर्ष बढ़ रहा है। ऐसे में बाघों का डीएनए पूल फैलाने और उनकी दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए ट्रांसलोकेशन जरूरी माना गया है। एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है।

एक्टिविस्ट का आरोप – 'बाघ दे रहे हैं, लेकिन नहीं मिल रहे लॉयन'

वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार दोहरा रवैया अपना रही है। मप्र के बाघ तो अन्य राज्यों को भेजे जा रहे हैं, लेकिन गुजरात के गिर से एशियाटिक लॉयन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद चुप्पी साधी हुई है। दुबे ने केंद्र से मांग की कि वह गुजरात पर दबाव बनाए।

राष्ट्रीय स्तर पर समाधान की जरूरत

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट आरएस भदौरिया का कहना है कि बाघ किसी एक राज्य की संपत्ति नहीं है। उनका डीएनए और प्रजाति का प्रसार पूरे देश में होना चाहिए। इसी तरह गिर के शेर भी केवल गुजरात तक सीमित नहीं रहने चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा जरूरी है।

एक्सचेंज नियम क्यों लागू नहीं?

वन विभाग के एपीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) एल. कृष्णामूर्ति ने स्पष्ट किया कि यह टाइगर रिजर्व के बाघ हैं और इन पर एक्सचेंज प्रोग्राम लागू नहीं होता। एक्सचेंज केवल जू के वन्य प्राणियों के लिए होता है। इसलिए मप्र को अन्य राज्यों से कोई जानवर नहीं मिलेगा।

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