पैरामेडिकल कॉलेज: एडमिशन, मान्यता और परीक्षा पर हाईकोर्ट की रोक; सामने आया बड़ा स्कैम
मध्यप्रदेश पैरामेडिकल कॉलेजों घोटाले को जबलपुर हाईकोर्ट ने शर्मनाक बताया। 2023-24 और 2024-25 सत्र की मान्यता और परीक्षाओं पर रोक लगा दी। जानें पूरा मामला।
पैरामेडिकल कॉलेज: एडमिशन, मान्यता और परीक्षा पर हाईकोर्ट की रोक
MP paramedical scam Update: मध्यप्रदेश के पैरामेडिकल घोटाले पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने 2023-24 और 2024-25 सत्रों में मिली मान्यता, एडमिशन और परीक्षा पर रोक लगाते हुए पैरामेडिकल काउंसिल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कहा- एक सप्ताह में बताएं छात्रों को कैसे राहत दी जा सकती है।
हाईकोर्ट में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता विशाल बघेल और आलोक बागरेचा ने जनहित याचिका दाखिल कर बताया कि कॉलेजों को जनवरी 2025 में 2023-24 सत्र की मान्यता दी गई। यह मान्यताएं तय प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ है।
हाईकोर्ट ने पाया कि 2023 में अधिकांश कॉलेजों के पास कोई मान्यता नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने छात्रों को एडमिशन दे दिया। 166 कॉलेजों को बाद में मान्यता दी गई। इनमें से कुछ को CBI ने पहले अनसूटेबल घोषित कर दिया है।
कोर्ट ने कहा, यहां सर्कस चल रहा है?
- जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस दीपक खोत की डबल बेंच ने मामले में सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की है। कहा, 2023 में जब मान्यता ही नहीं थी तो छात्रों को एडमिशन कैसे दिया गया? अब 2025 में उस सत्र को वैध कैसे ठहराया जा सकता है? क्या यह कोई सर्कस है?
- हाईकोर्ट ने यह भी माना कि मामला पूर्व के फैसलों (नर्मदा इंस्टिट्यूट बनाम MPMU और स्टार स्कूल समिति बनाम राज्य सरकार) के खिलाफ है।
छात्रों को FIR दर्ज कराने की सलाह
- हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि 2023-24 और 2024-25 सत्र की मान्यताओं, एडमिशन और परीक्षाओं पर पूरी तरह से रोक लगाई जाती है। साथ ही छात्रों को पैरामेडिकल काउंसिल के खिलाफ केस दर्ज कराने की सलाह दी।
- कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा, हम छात्रों को बताएंगे कि आपके खिलाफ FIR कैसे दर्ज की जाए। आपने उनसे फीस ली और अब उनका भविष्य अंधकार में है।
काउंसिल की सफाई और कोर्ट का जवाब
पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से तर्क दिया गया कि 2023 में आचार संहिता और नए नेशनल एलाइड हेल्थ केयर एक्ट लागू होने से मान्यता प्रक्रिया रुकी। इस दौरान स्टेट पैरामेडिकल काउंसिल को विघटित कर दिया गया था।
नवंबर 2024 में स्टेट पैरामेडिकल काउंसिल का पुनर्गठन हुआ, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा, 10 माह में भी नया कमीशन नहीं बन पाया और आपने छात्रों को एडमिशन दे दिया? यह प्रशासनिक विफलता है।
छात्रों का भविष्य अधर में
अब सवाल उठता है कि हजारों छात्रों का भविष्य क्या होगा? खासकर, जिन छात्रों ने फीस दी, एडमिशन लिया, कक्षाएं अटेंड कीं और कुछ ने तो परीक्षा भी दे दी, लेकिन यदि मान्यता ही अवैध है तो उनकी डिग्री और कैरियर का क्या होगा?
कोर्ट ने सरकार और काउंसिल से 22 जुलाई तक स्पष्ट जवाब देने को कहा है। पूछा कि इस शैक्षणिक अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार कौन है? छात्रों को कैसे राहत दी जाएगी?
CBI जांच भी घेरे में, डेटा की मांग
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने CBI जांच की डिजिटल रिपोर्ट मांगी है। आरोप है कि CBI के कुछ अधिकारी रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। उन्होंने सीबीआई जांच की निष्पक्षता पर भी संदेह जताया है। कोर्ट ने इस पर कहा, डेटा वॉल्यूम बड़ा है। CBI को डिजिटलाइजेशन के लिए अतिरिक्त कर्मचारी उपलब्ध कराए जाएंगे।
अगली सुनवाई 22 जुलाई को
हाईकोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई 2025 को दोपहर 3 बजे निधारित की है। तब तक कोई नई मान्यता, एडमिशन या परीक्षा नहीं हो सकेगी। सरकार और काउंसिल को जवाब देना होगा कि इस शैक्षणिक मज़ाक की भरपाई कैसे की जाएगी।