जबलपुर: भाजपा बैठक में महिला सांसद सुमित्रा बाल्मिक को रोका, झड़प में चश्मा टूटा; जेपी नड्डा मौजूद
जबलपुर में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठक के दौरान महिला सांसद सुमित्रा बाल्मिक को पुलिस ने प्रवेश से रोका। झड़प में उनका चश्मा टूट गया। पढ़ें पूरा अपडेट और पार्टी की प्रतिक्रिया।
जबलपुर में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठक | सांसद सुमित्रा बाल्मिक को अंदर जाने से पुलिस ने रोका
जबलपुर में 25 अगस्त 2025 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठक के दौरान विवादित घटना सामने आई। मध्य प्रदेश की राज्यसभा सांसद सुमित्रा बाल्मिक को पुलिस ने बैठक में प्रवेश करने से रोक दिया। इस दौरान उनके और पुलिस के बीच बहस हुई, जिसमें धक्का-मुक्की के कारण उनका चश्मा टूट गया।
सुमित्रा बाल्मिक ने मीडिया को बताया कि वह बैठक में शामिल होने के लिए पहुँची थीं, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देकर पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोका। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया। घटना के बाद पार्टी कार्यालय में तनाव का माहौल बन गया और भाजपा पदाधिकारियों को स्थिति को नियंत्रित करना पड़ा।
सुमित्रा बाल्मिक, जो मध्य प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष और जबलपुर नगर निगम की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी हैं, राजनीतिक क्षेत्र में अपनी लंबी पृष्ठभूमि के लिए जानी जाती हैं। इस घटना ने पार्टी के आंतरिक संगठन और अनुशासन पर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस ने दलित सांसद के अपमान का लगाया आरोप
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा पर निशाना साधते हुए दलित सांसद के अपमान का आरोप लगाया। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर लिखा, दलित महिला सांसद का घोर अपमान! भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के जबलपुर कार्यक्रम में संभागीय भाजपा कार्यालय पर राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि के साथ धक्का मुक्की हुई! महिला और दलित जनप्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार का भाजपा में यह एक और उदाहरण है! भाजपा के लिए ये जनप्रतिनिधि केवल मुखौटा है, इनका कोई सम्मान पार्टी में नहीं है!''
बीजेपी बोली- कार्रवाई होगी
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और उचित कार्रवाई की जाएगी। पार्टी ने बैठक के दौरान किसी भी तरह की अनुशासनहीनता से निपटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस घटना से भाजपा के संगठनात्मक उत्साह और अनुशासन की चुनौतियों का भी पता चलता है। जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं की निगाहें अब इस पर हैं कि पार्टी नेतृत्व कैसे स्थिति को संभालता है।