बीजेपी का नया फॉर्मूला: नेता पुत्रों की उम्मीदों को झटका, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के बेटे का इस्तीफा
भाजपा ने परिवारवाद रोकने 'एक परिवार-एक पद' फॉर्मूला लागू किया है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल छोड़ेंगे मऊगंज जिला उपाध्यक्ष का पद। अन्य नेता पुत्रों की उम्मीदों को भी लगा झटका। पढ़ें पूरी खबर
BJP में नया फॉर्मूला: नेता पुत्रों को नो एंट्री, संगठन से बाहर होंगे दिग्गज
BJP Executive Appointments: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने संगठन में परिवारवाद पर रोक लगाने के लिए ‘एक परिवार-एक पद’ (One Family, One Post) का नया फार्मूला लागू किया है। पार्टी के इस फैसले के चलते पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम को मऊगंज जिला उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा। अन्य नेताओं के बेटों-बेटियों की उम्मीदों पर भी पानी फिर सकता है।
मऊगंज जिला कार्यकारिणी में राहुल गौतम बीजेपी जिला उपाध्यक्ष बनाए गए थे। प्रदेश नेतृत्व को जैसे ही पता चला कि राहुल गिरीश गौतम (पूर्व विधानसभा अध्यक्ष) के पुत्र हैं, तो उन्हें पद छोड़ने को कहा गया। राहुल ने प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को अपना इस्तीफा भेजा है।
जिला प्रभारियों को सख्त निर्देश
दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मध्य प्रदेश बीजेपी ने इस सभी जिलाध्यक्षों और प्रभारियों को निर्देशित किया है कि कार्यकारिणी में शामिल करने से पहले नेताओं की जांच करें। सांसद-विधायक के परिजन नहीं होने चाहिए। इस फार्मूले का उद्देश्य जमीनी कार्यकर्ताओं को योग्यता के आधार पर पद देना है।
इन नेता पुत्रों को मिल सकती है जिम्मेदारी
बीजेपी नेतृत्व ऐसे नेताओं के परिजनों को जिम्मेदारी सौंपने पर विचार कर रही है, जो सक्रिय राजनीति से दूर हैं और उनके परिजन भी अब राजनीति में एक्टिव नहीं हैं।- मुदित शेजवार: पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे
- तुष्मुल झा: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा (अब दिवंगत) के बेटे
- पीतांबर सिंह: पूर्व मंत्री माया सिंह के बेटे
- मंदार महाजन: पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बेटे
इन नेता पुत्रों को लग सकता है झटका
1. सिद्धार्थ मलैया: दमोह विधायक जयंत मलैया के बेटे, पार्टी में वापसी के बावजूद संगठन में जगह मिलना कठिन।
2. अभिषेक भार्गव: रहली विधायक गोपाल भार्गव के बेटे, कार्यकारिणी में एंट्री फिलहाल मुश्किल।
3. देवेन्द्र सिंह तोमर (रामू): विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के बेटे, ग्वालियर-मुरैना में सक्रिय लेकिन पिता के चलते बाधा।
4. डॉ. निवेदिता रत्नाकर: केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार की बेटी, सक्रिय लेकिन अभी इंतजार करना होगा।
5. कार्तिकेय सिंह: शिवराज सिंह चौहान के बेटे, बुधनी में सक्रिय लेकिन पद मिलने की संभावना कम।
6. सुकर्ण मिश्रा: डॉ. नरोत्तम मिश्रा के बेटे, दतिया में सक्रिय, लेकिन संगठन से दूरी बनी रहेगी।
7. आकाश राजपूत: गोविंद सिंह राजपूत के बेटे, सुरखी में सक्रिय, फिलहाल बिना पद काम करना होगा।
8. नीतेश सिलावट: तुलसी सिलावट के बेटे, इंदौर में सक्रिय, पर पद नहीं मिलेगा।
9. विकल्प सिंह: सांसद गणेश सिंह के बेटे, सतना में सक्रिय, लेकिन संगठन में जगह मिलना मुश्किल।
संगठन को मिलेगी नई ऊर्जा
बीजेपी ने इस कदम से स्पष्ट संकेत दिया है कि पार्टी अब परिवारवाद की बजाय जमीनी कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देगी। इससे संगठन को नई ऊर्जा मिलेगी, लेकिन राजनीतिक परिवारों से जुड़े युवा नेताओं के लिए यह बड़ी चुनौती बन सकता है।
बीजेपी ने यह निर्णय क्यों लिया?
प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस, सपा और आरजेडी जैसे अन्य राजनीतिक दलों को अक्सर परिवारवादी पार्टी कहकर निशाना साधते हैं, लेकिन पिछले दिनों जिस तरीके से भाजपा में नेता पुत्रों की ताजपोशी हुई है, उससे बीजेपी ही इस मुद्दे पर घिरने लगी है। हालांकि, दुष्यंत सिंह (वसुंधर राजे के बेटे) और पंकज सिंह (राजनाथ सिंह के बेटे) जैसे कुछ सांसद-विधायक नए फार्मूले पर फिट नहीं बैठते।