इंदौर में दूषित पानी का कहर: 10 की मौत और सैकड़ों बीमार, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
इंदौर के भागीरथपुरा में दूषित पानी के सेवन से अब तक 10 लोगों की मृत्यु हो गई है और सैकड़ों लोग अस्पताल में भर्ती हैं।
प्रारंभिक जांच में नगर निगम की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
इंदौर: इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से दूषित पानी की आपूर्ति के कारण स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, अब तक 10 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 150 से अधिक लोग उल्टी और दस्त की शिकायत के बाद अस्पतालों में भर्ती हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए पीड़ितों से मुलाकात की और प्रशासन को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं, इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।
मुख्यमंत्री का अस्पताल दौरा और बड़ी कार्रवाई
इंदौर पहुंचे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अस्पताल में भर्ती मरीजों से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने इस घटना को "बेहद दुर्भाग्यपूर्ण" बताते हुए मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने और सभी बीमारों का इलाज मुफ्त में कराने की घोषणा की है।
लापरवाही के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए सीएम के निर्देश पर नगर निगम के जोन-4 के जोनल अधिकारी और सहायक यंत्री को निलंबित कर दिया गया है, जबकि एक उपयंत्री की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं।
हाईकोर्ट की कड़ी फटकार और स्टेटस रिपोर्ट की मांग
दूषित पानी से हो रही मौतों का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। अवकाशकालीन पीठ ने दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और नगर निगम को जमकर फटकार लगाई।
कोर्ट ने सवाल किया कि स्वच्छता में नंबर वन रहने वाले शहर में ऐसी लापरवाही कैसे हुई? हाईकोर्ट ने सरकार को 2 जनवरी तक विस्तृत 'स्टेटस रिपोर्ट' पेश करने का आदेश दिया है और यह सुनिश्चित करने को कहा है कि प्रभावित क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की तुरंत व्यवस्था की जाए।
आखिर कहां हुई चूक? जांच में हुआ खुलासा
प्रारंभिक जांच में नगर निगम की बड़ी लापरवाही सामने आई है। निगम कमिश्नर के अनुसार, भागीरथपुरा क्षेत्र की मुख्य पेयजल पाइपलाइन के एक हिस्से में लीकेज पाया गया है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस लीकेज पॉइंट के ठीक ऊपर एक शौचालय का निर्माण किया गया था, जिसके कारण सीवेज का गंदा पानी पेयजल लाइन में मिल गया। पिछले एक हफ्ते से लोग इसी दूषित पानी का सेवन कर रहे थे, जिससे धीरे-धीरे बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया।
विपक्षी दलों का हमला और मुआवजा की मांग
इस संकट को लेकर मध्य प्रदेश की सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और अन्य नेताओं ने अस्पताल पहुंचकर पीड़ितों का हाल जाना।
विपक्ष ने सरकार पर मौतों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मरने वालों की संख्या प्रशासन द्वारा बताई गई संख्या से अधिक है। कांग्रेस ने मृतकों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।