डॉक्टर की बड़ी लापरवाही: ऑपरेशन के समय गर्भ में छोड़ी पट्टी, यमुनानगर में ढाई माह बाद पेट में दर्द उठने पर खुलासा
सिजेरियन डिलीवरी के दौरान महिला के गर्भ में सर्जिकल स्पंज छूटा, पंचकूला में ऑपरेशन कर निकाला गया और महिला की आंत भी काटनी पड़ी। पीड़ित पति ने डीसी को शिकायत दी है।
स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने वाला एक बेहद गंभीर मामला हरियाणा के यमुनानगर से सामने आया है। यहां एक निजी अस्पताल की महिला डॉक्टर पर सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान एक महिला मरीज के गर्भ में सर्जिकल स्पंज (पट्टी) छोड़ने का आरोप लगा है। यह सनसनीखेज खुलासा डिलीवरी के ढाई महीने बाद पंचकूला के एक अस्पताल में हुआ, जब महिला का दर्द असहनीय हो गया। पीड़ित परिवार ने इस मामले में डॉक्टर समेत कई अन्य मेडिकल पेशेवरों पर मिलीभगत और लापरवाही का आरोप लगाते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।
दर्द से कराहती रही महिला
गांव बीबीपुर के निवासी ओसामा ने बताया कि उनकी पत्नी मेहर खातून गर्भवती थी। 12 मार्च को चेकअप के लिए वे उसे जगाधरी स्थित एक निजी अस्पताल ले गए। वहां मेहर को सिजेरियन ऑपरेशन के लिए अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। अगले दिन, 13 मार्च को सुबह 8:40 से सवा 9 बजे तक सिजेरियन ऑपरेशन चला, जिसके बाद मेहर ने एक बेटे को जन्म दिया। सब कुछ सामान्य दिखने पर 15 मार्च को मेहर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस दौरान अस्पताल में करीब 70 हजार रुपये का खर्च आया। ऑपरेशन के कुछ दिनों तक मेहर ठीक थी, लेकिन जल्द ही उसे टांकों की जगह पर दर्द होने लगा। 1 अप्रैल को उसे बुड़िया गांव के एक निजी अस्पताल में चेकअप के लिए ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दी।
डायग्नोस्टिक सेंटर ने सच्चाई छुपाई, नॉर्मल रिपोर्ट दी
3 अप्रैल को मेहर को जगाधरी-यमुनानगर रोड स्थित एक डायग्नोस्टिक सेंटर ले जाया गया। पीड़ित पति ओसामा का आरोप है कि जांच में यह पता चलने के बावजूद कि महिला के गर्भ में पट्टी मौजूद है, वहां के डॉक्टर ने यह बात जानबूझकर छिपाई। आरोप है कि उन्होंने मुख्य आरोपी महिला डॉक्टर के साथ मिलीभगत करके अल्ट्रासाउंड की नॉर्मल रिपोर्ट बनाकर दे दी। डायग्नोस्टिक सेंटर के डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी कि टांकों में पस (मवाद) पड़ गई है और उन्हें उसी डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाना चाहिए, जहां ऑपरेशन हुआ था।
रिपोर्ट नॉर्मल होने के कारण, पीड़ित परिवार बुड़िया स्थित उसी अस्पताल में वापस चला गया, जहां से अल्ट्रासाउंड की सलाह दी गई थी। वहां के डॉक्टर ने पस का इलाज किया और पीड़िता को 18 अप्रैल तक अस्पताल में भर्ती रखा। डिस्चार्ज होने के बाद भी मेहर का दर्द कम नहीं हुआ, इसलिए उसे फिर से यमुनानगर के एक अन्य अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने के लिए ले जाया गया। आरोप है कि यहां पर भी आरोपी डॉक्टर ने जांच कर गर्भ में पट्टी होने की बात को छिपाया और मिलीभगत से नॉर्मल रिपोर्ट तैयार कर दी। उसने कहा कि गर्भ में पस पड़ने की वजह से यूटेरस में गैस बनी हुई है, जिसका छोटा सा ऑपरेशन उसी अस्पताल में करवाने की सलाह दी जहां से यह सारा मामला शुरू हुआ था।
दर्द बढ़ता गया, गुमराह होते रहे परिजन
बार-बार नॉर्मल रिपोर्ट मिलने के कारण बुड़िया के अस्पताल से मेहर को छुट्टी दे दी गई। लेकिन 21 मई को उसकी तबीयत फिर से बिगड़ गई, और दर्द असहनीय हो गया। पीड़िता को फिर से बुड़िया स्थित प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, जहां इस बार डॉक्टर ने सीटी स्कैन कराने को कहा। 22 मई को मेहर को फिर से यमुनानगर के उसी अस्पताल में ले जाया गया, जहां पहले अल्ट्रासाउंड हुआ था, ताकि सीटी स्कैन कराया जा सके। इस बार यहां के डॉक्टर ने कहा कि यूटेरस में पस पड़ने के कारण रसौली बन गई है, जिसका ऑपरेशन जरूरी है।
आरोप है कि पहले से मिलीभगत किए बैठे यहां के आरोपी डॉक्टर ने भी उसी मुख्य आरोपी डॉक्टर के अस्पताल जाकर इलाज कराने को कहा। हर बार की तरह इस बार भी सीटी स्कैन की नॉर्मल रिपोर्ट बना दी गई। पीड़ित पक्ष के मना करने पर आरोपी डॉक्टर ने कहा कि फिर आप लोग मॉडल टाउन स्थित दूसरे अस्पताल चले जाओ, वहां के डॉक्टर से मेरी बात हो चुकी है। इस आरोपी के कहने पर 23 मई को पीड़िता को लेकर वे उस दूसरे अस्पताल चले गए।
जान पर बन आई तब हुआ खुलासा
मॉडल टाउन स्थित अस्पताल में भी डॉक्टरों ने मेहर को जांचा। ओसामा का आरोप है कि वहां के डॉक्टर को सब कुछ पहले से मालूम था, लेकिन फिर भी उसने सच छिपाया और परिजनों को जान जाने का डर दिखाकर इमरजेंसी ऑपरेशन का दबाव बनाया। डॉक्टर ने कहा कि मरीज के यूटेरस में गैस का गोला बन चुका है और कभी भी फट सकता है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है। डॉक्टर की इन बातों से घबराकर पीड़ित परिवार वहां से बिना इलाज कराए ही आ गया।
मरीज की लगातार बिगड़ती हालत को देखते हुए, उसी दिन उसे पंचकूला के सेक्टर-26 स्थित ओजस अस्पताल ले जाया गया। वहां पर सभी टेस्ट होने के बाद जो सच्चाई सामने आई, उसे देखकर ओजस अस्पताल के डॉक्टर भी हैरान रह गए। पता चला कि लापरवाही के चलते मरीज के गर्भ में सर्जिकल स्पंज (पट्टी) छोड़ी गई थी!
आंत काटकर निकाली पट्टी
24 मई को मेहर का ऑपरेशन हुआ, जिसमें उसकी आंतों को भी काटना पड़ा। ओजस अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, अगर और देरी होती तो मरीज की जान भी जा सकती थी। इस लापरवाही के कारण तीन महीने बाद महिला का आंत जोड़ने के लिए एक और बड़ा ऑपरेशन किया जाएगा। परिजनों का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में उनके करीब 10 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। वे सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
डीसी ने दिए जांच के आदेश, कमेटी का होगा गठन
पीड़ित पक्ष मंगलवार को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय पहुंचा। उन्होंने आरोपी महिला डॉक्टर, उसके पति (जो डिप्टी सिविल सर्जन हैं), अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालक, डायग्नोस्टिक सेंटर संचालक और मॉडल टाउन स्थित निजी अस्पताल के डॉक्टर के खिलाफ DC पार्थ गुप्ता को शिकायत सौंपी। उन्होंने सख्त कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों के मेडिकल लाइसेंस कैंसिल करने की मांग की है।
DC पार्थ गुप्ता ने मामले की गंभीरता को देखते हुए परिजनों को आश्वासन दिया कि वे इस मामले में कमेटी का गठन कर जांच कराएंगे। वहीं, अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में आरोपी महिला डॉक्टर का कहना है कि वह अपना पक्ष कमेटी के समक्ष ही रखेंगी। यह मामला अब जांच के दायरे में है, और देखना होगा कि पीड़ित परिवार को कब तक न्याय मिल पाता है। यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित करती है।