Banda Singh Bahadur: हरियाणा के इस शहर में बनेगा बाबा बंदा सिंह बहादुर स्मारक, 2 फेज में पूरी होगी भव्य परियोजना

Baba Banda Singh Bahadur: यमुनानगर बाबा बंदा सिंह बहादुर वीरता और त्याग की याद में स्मारक बनाया जाएगा। इस भव्य परियोजना को 2 फेज में पूरा किया जाएगा।

Updated On 2025-10-28 07:00:00 IST

बाबा बंदा सिंह बहादुर।

Baba Banda Singh Bahadur: हरियाणा में यमुनानगर के भगवानपुर गांव में बाबा बंदा सिंह बहादुर की वीरता और त्याग की गाथा को समर्पित एक विश्व स्तरीय स्मारक और संग्रहालय बनाया जा रहा है। इस भव्य परियोजना का भूमि पूजन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा करवाया गया। यह स्मारक लोगों को बाबा बंदा सिंह बहादुर की वीरता और उनके शौर्य की याद दिलाएगा बल्कि खालसा साम्राज्य की गौरवगाथा को भी व्यक्त करेगा। बताया जा रहा है कि इस भव्य स्मारक को 20 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा और श्याम सिंह राणा कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। इस मौके पर मंत्री रणबीर गंगवा अपने संबोधन में कहा कि 'देश के गुलाम होते हुए धरती पर अनेकों योद्धाओं ने जन्म लिया। ऐसे वीरों की गाथाओं को लोगों तक पहुंचाकर प्रेरित करना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि बहादुर योद्धाओं ने उस समय देश को जगाने का काम किया, जब बाबा बंदा बहादुर ने देश के लिए बलिदान देकर संदेश दिया। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल भी बाबा बंदा सिंह बहादुर के वंशज हैं। रणबीर गंगवा ने कहा कि स्मारक के लिए 21 लाख रुपए दिए जाएंगे।'

स्मारक में बनेगा थिएटर
ऐसा कहा जा रहा है कि स्मारक में एक भव्य किले जैसा ढांचा, 70 फुट ऊंची प्रतिमा, और आधुनिक थिएटर बनाया जाएगा। थिएटर में बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन पर आधारित फिल्म दिखाई जाएगी। इसके साथ ही परिसर में गतका (युद्ध कला) की क्लास का आयोजन किया जाएगा। ताकि युवा पीढ़ी को सिख परंपराओं और वीरता की शिक्षा मिल सके। इस परियोजना के पहले फेज के लिए 72 करोड़ रुपए का बजट स्वीकार किया गया है। वहीं इंटीरियर और डेकोरेशन के काम के लिए अलग से बजट जारी किया जाएगा। स्मारक को लेकर थ्री-डी नक्शा और मास्टर प्लान भी तैयार हो चुका है।

मुख्य एंट्री गेट आधुनिक- पारंपरिक डिज़ाइन से तैयार होगा

पहले फेज में किलेनुमा दीवार, संग्रहालय भवन, भू-दृश्यांकन और मुख्य प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। दूसरे फेज में बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन और संघर्षों पर आधारित सामग्री व सेट डिज़ाइन तैयार होंगे। स्मारक का मुख्य एंट्री गेट पंजाब की ऐतिहासिक किला वास्तुकला से प्रेरित होगी, जिसमें आधुनिक और पारंपरिक डिज़ाइन तत्वों मेल होगा। बताया जा रहा है कि इस द्वार को अजेय लोहगढ़ किले की विरासत को सम्मान देने के उद्देश्य से बनाने का फैसला लिया है। द्वार में पंजाब के महान किलों की वास्तुशिल्पीय विशेषताएं भी देखी जाएंगी। यह स्मारक श्रद्धा, सिख वीरता, राष्ट्रभक्ति का प्रतीक होगा।

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