CET परीक्षा की तारीखों पर बवाल: हरियाणा के स्कूल संगठन नाराज, कहा- 1300 केंद्रों की वजह से पढ़ाई क्यों रुके

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी निर्देश दिया था कि भर्ती परीक्षाओं से स्कूलों का शैक्षणिक कार्य बाधित नहीं होना चाहिए। स्कूल संगठन चाहते हैं कि सरकार हाईकोर्ट के इन निर्देशों का पालन करे और छात्रों की पढ़ाई को प्राथमिकता दे।

Updated On 2025-07-21 11:26:00 IST

ज्ञापन के साथ फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा।


हरियाणा में 26 और 27 जुलाई को होने वाली ग्रुप-C भर्ती की कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) परीक्षा पर विवाद गहरा गया है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) द्वारा तय की गई इन तारीखों को लेकर फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताई है। एसोसिएशन का कहना है कि उन्होंने आयोग के सदस्यों के सामने अपनी चिंताओं को रखा है और तारीखों पर दोबारा विचार करने की मांग की है। यह पूरा मामला प्रदेश के हजारों छात्रों और उनके अभिभावकों के साथ-साथ निजी स्कूलों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।

तीन प्रमुख आपत्तियां

स्कूल संगठनों ने CET परीक्षा की तारीखों और व्यवस्था को लेकर तीन मुख्य बिंदुओं पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।

1- 1300 केंद्रों के लिए 35,000 स्कूलों में छुट्टी क्यों

एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने स्पष्ट किया है कि उन्हें स्कूलों में परीक्षाएं आयोजित करने से कोई आपत्ति नहीं है। लगभग 1,300 सरकारी और निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है, यह स्वीकार्य है। हालांकि, समस्या यहां है कि परीक्षा के दिनों में राज्य भर के सभी स्कूलों में छुट्टी रहने की संभावना है। हरियाणा में लगभग 35,000 निजी और सरकारी स्कूल हैं। कुलभूषण शर्मा का सवाल है कि जब केवल 1,300 स्कूल ही परीक्षा केंद्र हैं, तो बाकी 33,700 स्कूलों में छुट्टी क्यों दी जाए? उनका तर्क है कि केवल उन्हीं स्कूलों में अवकाश घोषित किया जाना चाहिए जिन्हें परीक्षा केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। सभी स्कूलों को बंद करने से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है।

2- दूसरे शनिवार और रविवार को क्यों नहीं हुई परीक्षा

नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (NISA) के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि यह परीक्षा जुलाई के आखिरी शनिवार और रविवार को होनी है। जबकि, सामान्य तौर पर स्कूल हर महीने के दूसरे शनिवार को बंद रहते हैं। उनका सुझाव है कि आयोग को जुलाई के आखिरी शनिवार और रविवार की बजाय दूसरे शनिवार और रविवार को परीक्षा आयोजित करनी चाहिए थी। इससे स्कूलों को अतिरिक्त अवकाश घोषित करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती और शैक्षणिक कैलेंडर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह एक सरल समाधान था जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होती।

3- हाईकोर्ट के निर्देश का उल्लंघन

इस पूरे विवाद में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का एक पुराना निर्देश भी सामने आया है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भर्ती परीक्षाओं के कारण स्कूलों के सामान्य शैक्षणिक कामकाज में किसी भी तरह की बाधा नहीं आनी चाहिए। महासंघ का कहना है कि उनका सरकार के लिए कोई बाधा उत्पन्न करने का इरादा नहीं है, लेकिन सरकार को उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करना चाहिए।

फेडरेशन के अध्यक्ष ने जोर देकर कहा है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूलों का शैक्षणिक कामकाज बाधित न हो। उन्होंने यह भी कहा कि फेडरेशन एक ही मुद्दे को लेकर बार-बार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय नहीं जाना चाहता। यह स्पष्ट है कि स्कूल संगठन छात्रों की शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं और चाहते हैं कि सरकार भी इस पर ध्यान दे। इस विवाद से साफ है कि हरियाणा सरकार और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को परीक्षा की तारीखों और उसकी व्यवस्था पर पुनर्विचार करना चाहिए, ताकि छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो और स्कूल संगठनों की चिंताओं का भी समाधान हो सके। 

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