हरियाणा में प्रॉपर्टी खरीद के नियम सख्त: HSVP की ई-नीलामी में बड़ा बदलाव, रद्द प्लॉट की 60 दिन में दोबारा बोली

यदि प्रॉपर्टी दोबारा नीलाम होती है, तो पुराने आवंटी की पूरी बयाना राशि जब्त कर ली जाएगी। वहीं संशोधित नीति में अपनी प्रॉपर्टी सरेंडर करने वालों के लिए भी सख्त शर्तें रखी गई हैं, जिसमें तीन साल बाद सरेंडर करने पर 50% तक राशि जब्त हो सकती है।

Updated On 2025-10-04 13:54:00 IST

हरियाणा में प्रॉपर्टी खरीद के नियम बदले। 

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) ने अपनी ई-नीलामी की प्रक्रिया और नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। इन संशोधित नियमों का मुख्य उद्देश्य मकान, दुकान, संस्थान और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के आवंटन में पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। अब नियम तोड़ने वाले आवंटियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और रद्द किए गए भूखंडों की दोबारा नीलामी जल्द से जल्द की जाएगी।

नए नियमों के अनुसार यदि कोई भूखंड नियमों के उल्लंघन के कारण रद्द होता है तो उसे 60 दिन के भीतर दोबारा नीलाम करना अनिवार्य होगा। यदि दोबारा नीलामी में नई बोली पुरानी बोली से कम भी आती है तो भी संपत्ति सबसे अधिक बोली लगाने वाले को दी जाएगी। लेकिन, इस प्रक्रिया में पुराने आवंटी की पूरी बयाना राशि (EMD) जब्त कर ली जाएगी। HSVP अधिकारियों का कहना है कि इन फैसलों को सख्ती से लागू किया जाएगा।

नियम तोड़ने पर होगी जब्ती और ब्याज का नुकसान

HSVP ने आवंटियों को जवाबदेह बनाने के लिए आर्थिक दंड (Financial Penalties) को भी सख्त कर दिया है।

• जमा राशि पर ब्याज नहीं: यदि कोई व्यक्ति आवंटन के नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसकी मूल बोली का 10% या पुरानी और नई बोली के बीच का अंतर, इनमें से जो भी राशि कम होगी, उसे जब्त कर लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, आवंटी द्वारा जमा की गई किसी भी राशि पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।

• वापसी का नियम: नए नियमों में स्पष्ट किया गया है कि अगर दोबारा नीलामी में ज्यादा कीमत मिलती है और नया बोली लगाने वाला पूरा भुगतान सफलतापूर्वक जमा कर देता है, तो HSVP पहले बोली लगाने वाले की जमा राशि (जब्त की गई बयाना राशि को छोड़कर) वापस कर देगा।

प्रॉपर्टी सरेंडर करने के लिए कठोर शर्तें

संशोधित नीति में अपनी आवंटित प्रॉपर्टी सरेंडर करने वाले आवंटियों के लिए भी सख्त शर्तें रखी गई हैं, ताकि प्रॉपर्टी को रोकने (Holding) की प्रवृत्ति को रोका जा सके।

सरेंडर का समय और बोली राशि की ज़ब्ती (कटौती) : पहले वर्ष के भीतर 15%, एक से दो वर्षों के बीच 25%, दो से तीन वर्षों के बीच 35%, तीन वर्षों के बाद आवंटन मूल्य का 50%. तीन वर्षों के बाद प्रॉपर्टी छोड़ने पर आवंटन मूल्य का 50% तक का भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, जो आवंटियों को अपने फैसलों पर गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर करेगा।

भुगतान की समय-सीमा निर्धारित

प्राधिकरण ने प्रॉपर्टी के भुगतान की समय-सीमा (Payment Timeline) को भी स्पष्ट रूप से निर्धारित कर दिया है।

• आवासीय और छोटी कॉमर्शियल प्रॉपर्टी: 10% अग्रिम राशि जमा करने के बाद, आवंटियों को 30 दिनों के भीतर अतिरिक्त 15% का भुगतान करना होगा। इसके बाद शेष 75% राशि 120 दिनों के भीतर चुकानी होगी।

• बड़े प्रोजेक्ट्स: ग्रुप हाउसिंग या मल्टी-स्टोरी अपार्टमेंट जैसे बड़े प्रोजेक्ट के लिए, शेष राशि के लिए 120 दिन की अतिरिक्त मोहलत दी गई है। यह नियम केवल तभी लागू होगा जब देय तिथि 13 मई, 2025 तक लंबित हो।

• कॉम्प्लेक्स और मॉल खरीद में विकल्प: फ्री होल्ड कॉमर्शियल प्रॉपर्टी (कॉम्प्लेक्स और मॉल सहित) खरीदने वाले आवंटियों को दो विकल्प दिए गए हैं, पूरी राशि 120 दिनों में चुकाना या 12% ब्याज के साथ इसे छह अर्ध-वार्षिक किश्तों में भुगतान करना।

• संस्थागत आवंटन: अस्पताल, स्कूल और नर्सिंग होम जैसे संस्थागत आवंटियों को 180 दिन का समय मिलेगा, या वे 12% ब्याज के साथ भुगतान को तीन वार्षिक किश्तों में बांट सकते हैं।

तहसीलों में पेपरलेस रजिस्ट्री की शुरुआत

HSVP की ई-नीलामी में बदलावों के साथ ही, हरियाणा में संपत्ति पंजीकरण के क्षेत्र में भी एक बड़ा डिजिटल कदम उठाया गया है। 29 सितंबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कुरुक्षेत्र की बाबैन तहसील से राज्य स्तरीय कार्यक्रम में पेपरलेस वर्क (पेपरलेस रजिस्ट्री) प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इस दौरान सीमांकन पोर्टल, वॉट्सऐप चैटबॉट और राजस्व न्यायालय मामला प्रबंध प्रणाली भी लागू की गई।

24x7 रजिस्ट्रेशन और सरल अपॉइंटमेंट

इस ऑनलाइन प्रक्रिया में संपत्ति खरीदार और विक्रेता अपनी सुविधानुसार किसी भी समय (24x7) वेबसाइट Jamabandi.com.inc पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और अपनी मर्जी के मुताबिक अपॉइंटमेंट स्लॉट बुक कर सकते हैं। इससे उन्हें डीड के लिए बार-बार तहसील जाने से छुटकारा मिलेगा। तहसील में केवल डीड के समय फोटो और बायोमेट्रिक के लिए जाना होगा।

पंजीकरण विफलताओं में कमी

यह प्रोजेक्ट लैंड रजिस्ट्रेशन सिस्टम को जनता के लिए सरल और कारगर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पुरानी प्रक्रिया में, दस्तावेज़ों की जांच अपॉइंटमेंट के दिन होती थी, जिससे आपत्तियों या दस्तावेजों की कमी के कारण लगभग 30% तक पंजीकरण केस विफल हो जाते थे। अब, टेम्प्लेट-आधारित आवेदन को पहले ही संबंधित तहसील कार्यालय में सत्यापन के लिए भेजा जाएगा। पोर्टल पर स्वीकृति मिलने के बाद ही आवेदक भुगतान प्रक्रिया पूरी कर सकता है और अपॉइंटमेंट स्लॉट बुक कर सकता है, जिससे विफलता दर में भारी कमी आने की उम्मीद है।

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