हरियाणा में 'धुएं' पर जीरो टॉलरेंस: पूरे साल पटाखों पर प्रतिबंध, ई-कॉमर्स की ऑनलाइन बिक्री भी बैन
केवल दीपावली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नववर्ष जैसे त्योहारों पर ग्रीन पटाखों को सीमित समय के लिए फोड़ने की छूट होगी। आदेश के उल्लंघन पर पांच साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
हरियाणा में पटाखों पर प्रतिबंध।
हरियाणा सरकार ने राज्य की हवा को जहरीला होने से बचाने के लिए एक ऐतिहासिक और सख्त कदम उठाया है। वायु प्रदूषण की बढ़ती चुनौती को देखते हुए विशेष रूप से गैर-एनसीआर (Non-NCR) जिलों में अब ग्रीन पटाखों को छोड़कर सभी तरह के पटाखों पर पूरे एक साल के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह सिर्फ एक कागजी आदेश नहीं है, बल्कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा पांच के तहत जारी किया गया एक कड़ा कानून है, जिसका उल्लंघन करने पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि पटाखों के निर्माण, भंडारण, ऑफलाइन बिक्री, ऑनलाइन बिक्री और यहां तक कि फोड़ने की भी अब किसी व्यक्ति या संस्था को अनुमति नहीं होगी।
ऑनलाइन बिक्री पर तुरंत ताला
इस प्रतिबंध को पूरी तरह से प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण फैसला लिया है जो ई-कॉमर्स कंपनियों को सीधे प्रभावित करता है। हरियाणा सरकार ने फ्लिपकार्ट, अमेज़न समेत सभी प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को तत्काल प्रभाव से पटाखों की ऑनलाइन बिक्री और डिलीवरी बंद करने का आदेश दिया है। अब किसी भी गैर-एनसीआर जिले में इन ऑनलाइन कंपनियों द्वारा पटाखों का ऑर्डर स्वीकार करना कानूनन अपराध माना जाएगा। प्रदूषण विभाग की एक विशेष निगरानी टीम इस पूरे मामले पर कड़ी नजर रखेगी। यदि किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आदेश का उल्लंघन पाया जाता है, तो संबंधित कंपनी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि कोई भी ऑनलाइन माध्यम का सहारा लेकर इस प्रतिबंध को नाकाम न कर सके।
त्योहारों पर केवल ग्रीन पटाखे, समय सीमा निर्धारित
हालांकि, सरकार ने त्योहारों की परंपरा का भी ध्यान रखा है, लेकिन सख्त शर्तों के साथ। हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल डिपार्टमेंट के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल द्वारा जारी आदेशों में कहा गया है कि कुछ प्रमुख त्योहारों जैसे दीपावली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नववर्ष पर केवल ग्रीन पटाखों को फोड़ने की अनुमति होगी, लेकिन इसके लिए भी समय की पाबंदी होगी। दीपावली और गुरुपर्व जैसे हिंदू और सिख त्योहारों पर पटाखे केवल रात 8 बजे से 10 बजे तक ही फोड़े जा सकेंगे। वहीं, क्रिसमस और न्यू ईयर के अवसर पर यह छूट रात 11:55 बजे से लेकर 12:30 बजे तक दी गई है। यह सीमित अवधि यह सुनिश्चित करेगी कि वायु प्रदूषण का स्तर अत्यधिक न बढ़ पाए।
वायु गुणवत्ता में गिरावट रोकने का प्रयास
इस कड़े फैसले के पीछे मुख्य कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता है। जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि पटाखों से निकलने वाले खतरनाक कण जैसे PM 2.5, PM 10, और बैरियम समेत कई रासायनिक तत्व हवा को बेहद प्रदूषित करते हैं। यह प्रदूषण, विशेष रूप से सर्दियों के दौरान जब हवा की गुणवत्ता पहले से ही खराब होती है, बच्चों, बुजुर्गों और सांस या हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। सरकार का यह कदम वायु गुणवत्ता में गिरावट को रोकने और नागरिकों को स्वच्छ हवा प्रदान करने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास है। जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस आदेश को अगले पूरे साल तक पूरी सख्ती के साथ लागू करें।
उल्लंघन पर पांच से सात साल की जेल
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस आदेश का उल्लंघन करना महंगा पड़ सकता है। उल्लंघन पर कार्रवाई पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 15 के तहत की जाएगी, जिसमें कठोर दंड का प्रावधान है। पहली बार अपराध करने पर दोषी को पांच साल तक की सजा या एक लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति या संस्था इस अपराध को जारी रखता है, तो हर दिन के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा। लगातार उल्लंघन के मामलों में सजा की अवधि को बढ़ाकर सात साल तक किया जा सकता है। इसके अलावा, पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को धारा 19 के तहत यह अधिकार दिया गया है कि वे बिना किसी वारंट के छापा मारकर अवैध पटाखे जब्त कर सकते हैं और दोषियों को तुरंत गिरफ्तार कर सकते हैं। यह कानूनी सख्ती बताती है कि सरकार इस मामले में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगी।
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