IPS सुसाइड केस: DGP समेत 14 अफसरों पर FIR, 'जातीय उत्पीड़न' के आरोपों से हरियाणा ब्यूरोक्रेसी में भूचाल

एफआईआर में एससी/एसटी एक्ट की धाराएं भी जोड़ी गई हैं। दिवंगत IPS की पत्नी व IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने इस कार्रवाई पर एतराज जताते हुए इसे 'मर्डर का केस' बताया है।

Updated On 2025-10-10 13:30:00 IST

सीनियर आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की फाइल फोटो। 

हरियाणा के सीनियर आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार के आत्महत्या (सुसाइड) मामले ने राज्य की पूरी नौकरशाही (ब्यूरोक्रेसी) को हिलाकर रख दिया है। पूरन कुमार के सुसाइड नोट को आधार बनाते हुए चंडीगढ़ पुलिस ने गुरुवार देर रात डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया सहित 14 सीनियर अफसरों पर एफआईआर दर्ज कर ली है।

यह हरियाणा के इतिहास में पहली बार है, जब किसी मामले में वर्तमान डीजीपी समेत 14 पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। एफआईआर चंडीगढ़ के सेक्टर-11 थाने में भारत न्याय संहिता (BNS) और एससी/एसटी एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज की गई है।

FIR पर IAS पत्नी का एतराज और 'हॉट टॉक'

एफआईआर दर्ज होने के बावजूद, दिवंगत आईपीएस पूरन कुमार की पत्नी और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने इस कार्रवाई पर एतराज जताया है। उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस को एक एप्लिकेशन देकर कहा है कि एफआईआर में आरोपी अफसरों के नाम अलग कॉलम में क्यों नहीं लिखे गए हैं और इसे फिक्स फॉर्मेट में लिखा जाए। इस विषय को लेकर उनकी चंडीगढ़ की एसएसपी कंवरदीप कौर से 'हॉट टॉक' (तीखी बातचीत) भी हुई है। परिवार ने पहले 15 अफसरों पर आरोप लगाए थे, जिसमें मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी का नाम भी शामिल था, लेकिन दर्ज की गई एफआईआर में उनका नाम नहीं है।

SC/ST ब्यूरोक्रेट्स परिवार के साथ

इस मामले ने हरियाणा की ब्यूरोक्रेसी में जातीय विभाजन को स्पष्ट कर दिया है। अनुसूचित जाति (SC) वर्ग से संबंधित IAS, IPS और HCS अफसर खुलकर पूरन कुमार के परिवार के साथ खड़े हो गए हैं। इन अधिकारियों का दावा है कि पूरन कुमार को रोहतक रेंज के आईजी जैसी महत्वपूर्ण पोस्टिंग मिलने से कुछ बड़े अधिकारी नाराज थे और उन्हें किसी भी कीमत पर नीचा दिखाना चाहते थे।

वरिष्ठ आईएएस अफसरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पूरन कुमार को लंबे समय से प्रताड़ित किया जा रहा था। उनकी सीनियॉरिटी को नजरअंदाज कर उन्हें लगातार 'खुड्डेलाइन' या नॉन-कैडर वाली पोस्टिंग दी जा रही थीं।

वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया- पूरन कुमार को किस तरह प्रताड़ित किया

1. नॉन-कैडर पोस्टिंग: उन्हें मार्च 2023 में आईजी होमगार्ड की जिम्मेदारी दी गई, जिसके खिलाफ उन्होंने अक्टूबर 2023 में मुख्य सचिव से शिकायत भी की थी कि उन्हें नॉन-कैडर पोस्ट पर लगाया जा रहा है।

2. मेन स्ट्रीम में वापसी : अप्रैल 2025 में वह किसी तरह अपने प्रयासों से रोहतक रेंज के आईजी की मेन स्ट्रीम पोस्टिंग पाने में सफल हुए, जिससे कई बड़े अफसरों की भौंहें तन गईं।

3. अचानक तबादला : रोहतक रेंज आईजी बनने के ठीक 5 महीने बाद 29 सितंबर 2025 को उन्हें इस पद से हटाकर सुनारिया स्थित पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज भेज दिया गया, जिसे आम तौर पर महत्वहीन पोस्टिंग माना जाता है।

इसके बाद, 7 अक्टूबर को, ड्यूटी जॉइन करने से ठीक एक दिन पहले, पूरन कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपनी कोठी में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

जूनियर से केस कराने का आरोप

एससी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि पूरन कुमार को नीचा दिखाने के लिए एक शराब कारोबारी की शिकायत पर रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में एक जूनियर अफसर से एफआईआर दर्ज कराई गई। यह वही जूनियर अफसर था जो कुछ दिन पहले तक पूरन कुमार को सैल्यूट करता था।

इस एफआईआर में पूरन कुमार के गनमैन को नामजद किया गया, लेकिन असल मंशा पूरन कुमार को फंसाने की थी, जिसके चलते एफआईआर में नौ बार आईजी रोहतक (पूरन कुमार) का जिक्र किया गया। इसके अलावा, नियमानुसार डीजी लेवल के अधिकारी की जांच डीजी लेवल का अधिकारी ही कर सकता है, लेकिन इस मामले में नियम का उल्लंघन किया गया।

परिवार की लड़ाई और आगे की रणनीति 

दिवंगत पूरन कुमार के परिवार और एससी वर्ग से जुड़े तमाम अफसरों ने अब दो चरणों में लड़ाई लड़ने का फैसला किया है।

1. तत्काल कार्रवाई : डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया पर तुरंत एफआईआर, गिरफ्तारी और निलंबन हो।

2. निष्पक्ष जांच : सुसाइड नोट में नामजद सभी अफसरों पर जातीय उत्पीड़न के आरोपों की निष्पक्ष जांच हो और जरूरत पड़ने पर सीबीआई जांच की मांग की जाए।

आईएएस पत्नी अमनीत पी. कुमार ने सीएम नायब सैनी से मुलाकात कर इसे 'मर्डर का केस' बताते हुए सुसाइड नोट में नामित सभी 15 अफसरों के खिलाफ एफआईआर और गिरफ्तारी की मांग की है।

सुसाइड नोट के आधार पर एफआईआर दर्ज

चंडीगढ़ पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली है। अब परिवार ने पोस्टमार्टम की अनुमति भी दे दी है, जिसके लिए पीजीआई के डॉक्टरों का पैनल गठित किया जाएगा और आज अंतिम संस्कार होने की संभावना है।

सुप्रीम कोर्ट के जानकारों के अनुसार सरकारी कर्मचारी पर केस दर्ज करने पर रोक नहीं है, लेकिन मजिस्ट्रेट कोर्ट में मुकदमा शुरू करने से पहले सक्षम अधिकारी या सरकार की अनुमति जरूरी हो सकती है। चूंकि जिन अफसरों पर आरोप है, वे हरियाणा कैडर के हैं, इसलिए सरकार की ओर से जांच पूरी होने के बाद ही कोई बड़ा एक्शन लिए जाने की संभावना है। यह मामला दिखाता है कि किस तरह वरिष्ठ नौकरशाहों के बीच की राजनीति और कथित जातीय उत्पीड़न एक होनहार अधिकारी के जीवन को समाप्त कर सकता है।

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