प्रदूषण से निपटने की तैयारी: हरियाणा रोडवेज NCR के 14 जिलों में चला रहा BS 6 बसें, जानें पुराने वाहन कहां भेजे
प्रदूषण फैलाने वाली पुराने मॉडल की सभी बसों को तत्काल प्रभाव से एनसीआर क्षेत्र से हटाकर नॉन-एनसीआर जिलों में भेज दिया है। इस खबर में जानेंगे कि सरकार के फैसले का लोगों की रोजमर्रा की ज़िंदगी पर क्या असर पड़ेगा और क्या इससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
हरियाणा राज्य परिवहन विभाग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। हरियाणा रोडवेज ने एनसीआर में शामिल प्रदेश के सभी 14 जिलों में अब केवल बीएस-6 (Bharat Stage-VI) श्रेणी की बसों का ही संचालन शुरू कर दिया है। प्रदूषण फैलाने वाली पुराने मॉडल की सभी बसों को तत्काल प्रभाव से एनसीआर क्षेत्र से हटाकर नॉन-एनसीआर जिलों में भेज दिया गया है।
राज्य परिवहन विभाग जल्द ही वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और प्रदेश सरकार को इस महत्वपूर्ण बदलाव की आधिकारिक जानकारी देते हुए एक पत्र भेजेगा।
ये 14 जिले हैं NCR में शामिल
हरियाणा देश का ऐसा राज्य है जिसके सबसे ज्यादा जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में शामिल हैं। प्रदेश के कुल 22 में से 14 जिले इस क्षेत्र का हिस्सा हैं। यह फैसला इन सभी 14 जिलों के लिए लागू किया गया है, जहां अब केवल प्रदूषण-नियंत्रित बीएस-6 मानक की बसें ही सड़कों पर दौड़ेंगी।
NCR में शामिल हरियाणा के 14 जिले
1. फरीदाबाद
2. गुरुग्राम
3. नूंह
4. रोहतक
5. सोनीपत
6. रेवाड़ी
7. झज्जर
8. पानीपत
9. पलवल
10. भिवानी
11. चरखी दादरी
12. महेंद्रगढ़
13. जींद
14. करनाल
यह कदम NCR में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने की दिशा में राज्य सरकार की गंभीरता को दर्शाता है, विशेषकर सर्दियों के दौरान जब प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा तक बढ़ जाता है।
प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में निर्णायक पहल
बीएस-6 मानक की बसें पर्यावरण के अनुकूल मानी जाती हैं क्योंकि इनमें प्रदूषणकारी तत्वों का उत्सर्जन पुराने बीएस-4 या इससे निचले मानक की बसों की तुलना में काफी कम होता है। निम्न कारणों से बीएस-6 बसें महत्वपूर्ण हैं।
• कम उत्सर्जन: बीएस-6 मानक की बसों में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) जैसे हानिकारक कणों का उत्सर्जन न्यूनतम होता है।
• ईंधन दक्षता: ये बसें बेहतर ईंधन दक्षता प्रदान करती हैं, जिससे कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
• CAQM की सख्ती: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) NCR क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को लेकर लगातार सख्ती बरत रहा है। हरियाणा रोडवेज का यह निर्णय CAQM के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है।
पुराने डीजल मॉडल की बसों को नॉन-एनसीआर क्षेत्रों में भेजने का फैसला सुनिश्चित करता है कि राज्य के नागरिकों को परिवहन सुविधा मिलती रहे, वहीं एनसीआर के निवासियों को स्वच्छ वायु भी मिल सके।
रोडवेज के बेड़े में बदलाव
राज्य परिवहन विभाग पिछले कुछ समय से अपने बेड़े को आधुनिक बनाने पर काम कर रहा है। नए बीएस-6 वाहनों को शामिल करना इसी रणनीति का हिस्सा है। आगे की यह योजना है।
• इलेक्ट्रिक बसों पर जोर : भविष्य में, हरियाणा सरकार एनसीआर के शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को प्राथमिकता देगी, जो प्रदूषण को लगभग शून्य करने में सहायक होंगी।
• पुराने वाहनों पर प्रतिबंध : इस कदम के बाद, एनसीआर क्षेत्र में अन्य सरकारी या निजी बस ऑपरेटरों को भी पुराने मानक के वाहन चलाने की अनुमति नहीं होगी, जिससे व्यापक स्तर पर वायु गुणवत्ता में सुधार आने की उम्मीद है।
हरियाणा रोडवेज का यह फैसला वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जन स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा उसकी शीर्ष प्राथमिकता है, जिसके लिए परिवहन नीति में यह बड़ा बदलाव किया गया है।
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