नूंह में इतनी मुश्किल शिक्षा की डगर: शिक्षकों का हाथ पकड़कर पोल से नहर पार करते हैं विद्यार्थी

क़ासिम खान, नूँह। आज भी जीपीएस व जीएमएस स्कूल के बच्चों को शिक्षा के मंदिर तक आने-जाने के लिए शिक्षकों का हाथ पकड़कर पोल के ऊपर से गुजरकर नहर को पार करना पड़ता है।

Updated On 2025-11-05 17:44:00 IST
फलेंडी गांव में स्कूल जाने के लिए पोल पर चलकर नहर पार करती छात्राएं व निगरानी करते शिक्षक।

हरियाणा के नूँह जिले के पुनहाना खंड के जीपीएस एवं जीएमएस स्कूल तक जाने के लिए अध्यापकों व छात्र - छात्राओं को कोई रास्ता नहीं है। अध्यापक व छात्र - छात्राएं नहर पर रखे पोल पार करने के बाद खेतों की मेंढ से स्कूल तक पहुंचते हैं। जब बच्चे आते हैं और स्कूल की छुट्टी होती है तो अध्यापक, बड़े बच्चे एवं अन्य स्टाफ नहर पर रखे हुए पोल से छोटे बच्चों को हाथ पकड़ कर नहर पार कराते हैं। अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि जब बच्चों को जाने के लिए रास्ता नहीं है तो मिड डे मील इत्यादि समान इस स्कूल तक कैसे पहुंचे पाता होगा।

दूसरे स्कूल में उतारता है मिड-डे-मील का राशन

तकरीबन दो - तीन किलोमीटर दूर शाह चोखा गांव के सरकारी स्कूल में मिड डे मील का राशन उतरता है। फिर उसे ट्रैक्टर इत्यादि वाहन के सहारे से स्कूल के नजदीक लाया जाता है और फिर मिड डे मील कर्मचारी उसे अपने सिर पर रखकर लाती हैं। तब कहीं जाकर बच्चों को मिड डे मील का भोजन मिल पाता है। स्कूल में बच्चों के बैठने तक के लिए ड्यूल डेस्क की कोई व्यवस्था नहीं है। टाट पट्टी पर बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हैं। बरसात के दिनों में तकरीबन एक महीने तक पानी भरने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हुई थी।

340 विद्यार्थी और चार शिक्षक

जीपीएस स्कूल में 340 छात्र - छात्राएं हैं तो 4 टीचर हैं। जबकि लगभग चार पद ही अध्यापक के यहां रिक्त पड़े हुए हैं। यह स्कूल तकरीबन 8 वर्ष पहले बनाया गया था, जिसमें महज 1 वर्ष पहले ही बिजली पहुंच पाई है। पीने के पानी के लिए हेड पंप लगा हुआ है, जिसका पानी पीने योग्य नहीं है। पानी का टेंकर शौचालय की व्यवस्था स्कूल में बेहतर है। इस स्कूल भवन में 7 कमरे हैं, जिनमें से तीन कमरों में मिड डे मील का राशन, कार्यालय एवं स्टोर बनाया हुआ है। गत 29 अक्टूबर को उपायुक्त अखिल पिलानी एवं पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार के द्वारा रात्रि ठहराव का कार्यक्रम जब स्कूल प्रांगण में किया गया तो स्कूल की सच्चाई निकल कर सामने आ गई। स्कूल के इंचार्ज जितेंद्र सिंह ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि जीपीएस एवं डीएमएस स्कूल एक ही प्रांगण में चलते हैं। उनका कहना है कि 2020 - 21 में जीएमएस स्कूल मिला था। इस जीएमएस स्कूल में 140 छात्र - छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं। 6 टीचर हैं, टीचर की संख्या बच्चों के हिसाब से ठीक है। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यही है की स्कूल को वाहन तो दूर दोपहिया वाहन तक भी नहीं पहुंच पाते। रात्रि ठहराव की वजह से उजीना ड्रेन की पटरी को गाड़ियों के स्कूल प्रांगण तक पहुंचाने के लिए जेसीबी की मदद से ग्राम पंचायत के द्वारा तैयार कराया गया। तब कहीं जाकर अधिकारियों की गाड़ियां स्कूल प्रांगण में पहुंच पाई। अध्यापकों ने कहा कि उन्हें स्कूल के लिए रास्ता नहीं होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

खेतों की मैढ़ से गुजरकर जाते हैं शिक्षक व बच्चे

जब अध्यापक व स्कूल आने वाले बच्चे खेत की मैढ़ से गुजरते हैं और कुछ बच्चों का पैर खेत में चला जाता है तो किसान उनसे कहा सुनी करते हैं। कई बार झगड़ा तक की नौबत भी आ जाती है। स्कूल को आने वाले रास्ते पर भी पूरी तरह से अतिक्रमण किया हुआ है। कुल मिलाकर हरियाणा में आज भी ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चों को नहर पार करने के लिए पुल के बजाय पोल के सहारे जाना पड़ता है और फिर पोल से नहर पार करने के बाद खेतों की मैढ़ से स्कूल तक जाना पड़ता है। कुल मिलाकर अगर सरकार ने नूँह जिले की शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया तो यह जिला शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी ही साबित होता रहेगा। फलेंडी गांव के सरकारी स्कूल पर सरकार व शिक्षा विभाग को खास ध्यान देने की जरूरत है ताकि यहां के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी अन्य स्कूलों के मुकाबले समय पर आसानी से स्कूल आ जा सके। उपायुक्त अखिल पिलानी के संज्ञान में आने के बाद इस स्कूल में बच्चों को नहर पर पुलिया मिलने के साथ - साथ स्कूल तक जाने के लिए रास्ता मिल पाता है या फिर जिस तरह पिछले करीब 8 वर्षों की तरह ही स्कूल जाना पड़ेगा। नीति आयोग की सूची में हरियाणा का एकमात्र नूँह जिला पिछड़े जिलों की सूची में है। जिसमें शिक्षा भी एक पैरामीटर है, लिहाजा इस पैरामीटर पर विशेष काम करने की आवश्यकता है। तभी जाकर यह जिला पिछड़े जिलों की सूची से बाहर आ सकता है। स्कूल इंचार्ज जितेंद्र कुमार ने तो यहां तक कहा कि गांव के शरारती बच्चे स्कूल में पानी की टंकी, पेड़ पौधों के अलावा अन्य सामान को नुकसान पहुंचाते हैं। जब कहा जाता है तो सीधा झगड़ा करने पर आमादा हो जाते हैं।

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