बीजेपी का जजपा से टूटा गठबंधन: लोकसभा चुनाव के लिए '35 बनाम 1' की पिच होने लगी तैयार?, आप से लेकर कांग्रेस तक बेचैन

भाजपा का जजपा से गठबंधन तोड़ने का फैसला मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि केवल लोकसभा चुनाव ही नहीं बल्कि विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को बड़ा फायदा मिल सकता है। पढ़िये वजह...

By :  Amit Kumar
Updated On 2024-03-12 17:15:00 IST
मनोहर लाल और दुष्यंत चौटाला की फाइल फोटो।

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जननायक जनता पार्टी से गठबंधन तोड़कर सभी दलों को चौंका दिया है। विशेषकर कांग्रेस का सबसे ज्यादा बेचैन होना लाजमी है। जानकारों की मानें तो बीजेपी का यह फैसला 35 बनाम 1 की पिच तैयार करने का संकेत देता है, ताकि आने वाले चुनावों में विपक्षी दलों को बुरी तरह से हरा सके। आइये जानने का प्रयास करते हैं कि 35 बनाम 1 फॉर्मूला क्या है? साथ ही जानेंगे कि जजपा से गठबंधन तोड़ने का फैसला बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक है या फिर बड़ी गलती कर दी है। पहले बताते हैं कि जजपा और बीजेपी के बीच यह दरार क्यों बढ़ गई।

इस वजह से जजपा-बीजेपी के बीच बढ़ी खाई

पहला कारण यह है कि जजपा लोकसभा की दो सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी। इनमें भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार की लोकसभा सीट शामिल है। 10 मार्च को हिसार से सांसद रहे बृजेंद्र सिंह ने बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। उनके कांग्रेस में जाने के बाद जजपा हिसार लोकसभा सीट के लिए दबाव बनाने लगी। जानकार बताते हैं कि बीजेपी ने शुरू से तय कर रखा था कि प्रदेश की सभी दस लोकसभा सीटों पर पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। लेकिन, दुष्यंत चौटाला लगातार चेतावनी दे रहे थे कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं हुई, तो हम सभी दस लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे। बीजेपी जानती थी कि जजपा एक भी सीट नहीं लड़ सकती है। यही कारण रहा कि बीजेपी के तमाम नेता लगातार बयान देते रहे कि सभी दस सीटों पर पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। पार्टी को लग रहा था कि जजपा खुद ही गठबंधन तोड़ देगी। ऐसा नहीं होने पर अब बीजेपी ने खुद ही इसका ऐलान कर दिया है।

जजपा से गठबंधन तोड़ना मास्टर स्ट्रोक

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बीजेपी का जजपा से गठबंधन तोड़ना मास्टर स्ट्रोक फैसला है। दरअसल, इनेलो से टूटकर बनी जजपा को पहले विधानसभा चुनाव में दस सीटें मिली थी। वजह यह थी कि बीजेपी और कांग्रेस से खफा मतदाताओं ने दुष्यंत चौटाला पर भरोसा किया था, लेकिन बाद में दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली। दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम बनाया गया। बावजूद इसके किसान आंदोलन की बात हो या फिर किसानों के इंश्योरेंस समेत तमाम अन्य मुद्दे, दुष्यंत इन मांगों को पूरा कराने में विफल ही साबित रहे। ऐसे में उनसे जाट समाज खासा नाराज है।

जानकारों की मानें तो बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद जाट मतदाता भले ही जजपा को वोट दें, लेकिन बीजेपी को देहात में बिल्कुल वोट नहीं मिलेंगे। यही कारण है कि बीजेपी ने जजपा से गठबंधन तोड़ दिया। विपक्ष इसलिए परेशान है क्योंकि लगता है कि अब जाट मतदाताओं का बंटवारा हो जाएगा, जिसका लाभ बीजेपी को ही मिलेगा। पिछले दिनों कांग्रेस के दिग्गज नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने भी कहा था कि जजपा हमेशा से बीजेपी की टीम रही है। उन्होंने सीधा जवाब तो नहीं दिया, लेकिन वोटों के बंटवारे को लेकर संकेत अवश्य दिया था। वहीं, भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी-जजपा गठबंधन टूटने पर भी रिएक्शन दिया है।

 

35 बनाम 1 की पिच पर लड़ा जाएगा चुनाव ?

हरियाणा की सियासत में जाटों का खासा दबदबा रहा है। यही कारण रहा कि जो भी दल सत्ता में आया, तो मुख्यमंत्री जाट समाज से ही रहा। 2014 में बीजेपी सत्ता में आई, तो मनोहर लाल को सीएम बनाया, जो कि पंजाबी समाज से हैं। 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा, तो बीजेपी को सरकार बनाने के लिए जजपा का सहारा लेना पड़ा। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव के लिए भी निशाना साधना शुरू कर दिया है।

जानकारों का कहना है कि हरियाणा में 36 बिरादियों का बोलबाला है। कहा जाता है कि प्रदेश में 36 बिरादरी प्रेम भाव से रहते हैं। हालांकि जाट आंदोलन के समय बीजेपी नेता राजकुमार सैनी ने 35 बनाम 1 का नारा दिया था। मतलब यह था कि एक जाति के खिलाफ 35 जातियां बीजेपी के लिए मतदान करें। इस नारे के बाद खासा बवाल हुआ था। अब जिस तरह से जजपा से गठबंधन तोड़ा है, उससे लगता है कि यह जाटों के वोटों का बंटवारा करने की राजनीति है। 

यह भी पढ़ें: CM मनोहर लाल खट्टर समेत पूरी कैबिनेट ने दिया इस्तीफा, दुष्यंत चौटाला ने लौटाई सरकारी गाड़ियां

लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर हरियाणा में जातिगत आंकड़े
जाति संख्या 
जाट   22.2 प्रतिशत
अनुसूचित जाति   21 प्रतिशत
पंजाबी 8 प्रतिशत
ब्राह्मण 7.5 प्रतिशत
अहीर 5.14 प्रतिशत
जाट सिख 4.0 प्रतिशत
मेव, मुस्लिम 3.8 प्रतिशत
राजपूत 3.4 प्रतिशत
गुर्जर 3.35 प्रतिशत
बिश्नोई 0.7 प्रतिशत
अन्य 15.91 प्रतिशत

 

Similar News