Jyotisar Religious History: कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर का महाभारत युद्ध से है नाता, यहां श्रीकृष्ण ने दिया था मानवता को सबसे बड़ा संदेश

Kurukshetra Jyotisar Religious History: कुरूक्षेत्र के ज्योतिसर में महाभारत काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। ज्योतिसर का धार्मिक और पौराणिक महत्व है।

Updated On 2025-06-05 11:23:00 IST

Kurukshetra Jyotisar History: हरियाणा के कुरुक्षेत्र धार्मिक नगरी के तौर पर काफी फेमस है। इस शहर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व श्रद्धालुओं के लिए काफी अहम है। कुरुक्षेत्र में ऐसी कईं ऐसी धार्मिक जगह है, जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसी तरह कुरुक्षेत्र में ज्योतिसर नाम की एक फेमस धार्मिक स्थल है। इस जगह की कुछ विशेष खासियत और पौराणिक महत्व है।

श्रीकृष्ण ने दिया गीता का उपदेश
ज्योतिसर कुरुक्षेत्र में स्थित एक कस्बा है। यह हिन्दू तीर्थ है जो कुरुक्षेत्र-पहोवा मार्ग पर थानेसर से 5 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। माना जाता है कि यहीं पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जो संपूर्ण विश्य के लिए एक संदेश था। 'ज्योति' का अर्थ 'प्रकाश' है तथा 'सर' का अर्थ 'तालाब' माना गया है। मान्यता के अनुसार भगवत गीता का जन्मस्थान भी इसे माना जाता है। ऐसा भी माना गया है कि महाभारत का युद्ध इसी जगह से शुरु हुआ था। आदि शंकराचार्य जो कि एक हिन्दू विद्वान थे, उन्होने सिद्ध किया था कि ज्योतिसर वही स्थान है जहां श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया।

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को क्यों दिया गीता का उपदेश ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत का युद्ध शुरु होने से पहले अर्जुन दुविधा में थे कि वे अपनों के खिलाफ कैसे युद्ध लड़ेंगे। अपनों को मारकर उनका खून नही बहा सकते, अगर ऐसा किया तो उन्हे पाप लगेगा। अर्जुन की इस दुविधा को दूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने उन्हे गीता का उपदेश दिया। इसी जगह श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्मयोग और कर्म योग का पाठ भी पढ़ाया था।

अक्षय वट वृक्ष इकलौता साक्षी
अक्षय वट वृक्ष को महाभारत युद्ध का इकलौता साक्षी के तौर पर जाना जाता है। जो कुरुक्षेत्र से 8 किलोमीटर दूर सरस्वती नदी के किनारे पेहोवा मार्ग पर है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय वट वृक्ष को किसी ग्रन्थ में कोई जगह नही दी गई। बस परम्पराओं ने इसकी महिमा को आगे बढ़ाया है। इसी पेड़ के नीचे श्रीकृष्ण ने अपने घनिष्ठ मित्र को गीता का उपदेश दिया था। इस विशाल वृक्ष को ज्योतिसर में, गीतोंपदेश स्थल के रूप में चिन्हित किया गया है। इस वृक्ष के चारों ओर 1924 में दरभंगा के राजा ने पत्थर की दीवार बनवाई थी। यहीं पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया था।

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