धोखा: स्टडी वीजा पर गए हरियाणवी युवक को एजेंट ने रूस-यूक्रेन में धकेला, डेढ़ माह से संपर्क टूटा

डेढ़ महीने से कोई खबर न मिलने के कारण चिंतित परिवार ने अब सरकार और विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई है। इससे पहले, हिसार और कैथल के युवकों की भी धोखे से रूसी सेना में भर्ती होने के बाद युद्ध में मौत हो चुकी है।

Updated On 2025-12-07 16:51:00 IST

रूस में युद्ध में जाने को दिए गए हथियार दिखाता करनाल का अनुज। 

हरियाणा के करनाल जिले के एक परिवार पर इस समय गहरा संकट छाया हुआ है। उनके 21 वर्षीय बेटे अनुज को रूस-यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर जबरन भेज दिया गया है, और पिछले डेढ़ महीने से परिवार का उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया है। अनुज इसी साल मई में बेहतर भविष्य के सपने लिए स्टडी वीजा पर रूस गया था। मगर, एक धोखेबाज एजेंट ने उसे 52 लाख रुपये कमाने का लालच देकर रूसी सेना में भर्ती करवा दिया। यह घटना हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के उन दर्जनों युवाओं की दुखद कहानी दोहराती है, जिन्हें मोटी कमाई का झांसा देकर युद्ध के रेड जोन में धकेल दिया गया है।

स्टडी वीजा से युद्ध के मोर्चे पर भेजा

करनाल जिले के चौरा गांव का रहने वाला 21 वर्षीय अनुज वर्मा 21 मई को स्टडी वीजा पर रूस गया था। उसके परिवार ने बेहतर आर्थिक स्थिति की उम्मीद में लगभग 6 लाख रुपये एजेंट को देकर उसे विदेश भेजा था। रूस पहुंचने के बाद अनुज ने एक जिम में नौकरी भी शुरू कर दी थी और सब कुछ सामान्य चल रहा था।

हालांकि, एक अन्य एजेंट ने उसकी जिंदगी की दिशा बदल दी। अनुज के भाई अर्जुन ने बताया कि उस एजेंट ने अनुज और अन्य भारतीय युवाओं को रूसी सेना में शामिल होने पर धीरे-धीरे 52 लाख देने का मोटा लालच दिया। शुरुआती हिचकिचाहट के बाद, पैसों के झांसे में फंसकर अनुज ने रूसी सेना में भर्ती के लिए हामी भर दी।

10 दिन की ट्रेनिंग दी

लालच में फंसने के बाद अनुज को तुरंत रूसी सेना में शामिल कर लिया गया। उसे केवल 10 दिनों की बेसिक ट्रेनिंग दी गई, और उसके बाद बिना किसी अनुभव के उसे सीधे रूस-यूक्रेन युद्ध के सबसे खतरनाक क्षेत्र—'रेड जोन'—में भेज दिया गया। अनुज के परिवार को आखिरी बार उससे 13 अक्टूबर को बात हुई थी। उस आखिरी कॉल में अनुज ने बेहद डरे हुए लहजे में परिवार को बताया था कि उसे और बाकी भारतीय युवाओं को लड़ाई की सबसे खतरनाक जगह भेजा जा रहा है, जहां लगातार फायरिंग हो रही है। इसी दौरान अनुज ने रूसी सेना द्वारा दिए गए हथियार (राइफल) का एक वीडियो भी बनाकर परिवार को भेजा था।

उसके बाद टूटा संपर्क, फोन बंद

13 अक्टूबर को आखिरी कॉल के बाद अनुज का फोन बंद हो गया और तब से लेकर अब तक परिवार का उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया है। डेढ़ माह से संपर्क टूटने के कारण अनुज के परिजन किसी अनहोनी की आशंका से गहरे सदमे में हैं। मां हर दिन बेटे के सकुशल लौटने और उसके एक फोन का इंतजार कर रही हैं। घर का माहौल दिन-रात चिंताओं और दुआओं से भरा हुआ है।

अनुज के भाई विशाल ने प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों से हाथ जोड़कर गुहार लगाई है कि भारत और रूस के मजबूत रिश्तों का इस्तेमाल करके उनके भाई को सुरक्षित वापस लाया जाए। परिवार ने भारतीय दूतावास, पीएमओ (PMO) और कई सरकारी अधिकारियों को मेल करके भी संपर्क किया है, लेकिन उन्हें अब तक कोई ठोस आश्वासन या आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है।

इससे पहले भी हुई हरियाणा के युवाओं की मौतें

यह पहला मामला नहीं है जब भारतीय युवा धोखे का शिकार होकर इस युद्ध में फंसे हों। एक माह पहले, हिसार के गांव मदनहेड़ी के 28 वर्षीय सोनू की युद्ध में मौत की खबर आई थी। उसे भी धोखे से रूसी सेना में भर्ती कराया गया था। सोनू की मौत यूक्रेन के ड्रोन अटैक में हुई थी। रूसी आर्मी के कमांडर ने फोन करके परिवार को इसकी सूचना दी थी। इससे पहले, कैथल के 22 वर्षीय कर्मचंद की भी इसी युद्ध में मौत हो चुकी है।

6 राज्यों के युवाओं के फंसे होने की पुष्टि

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में 61 नामों की एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें उन भारतीय युवाओं के नाम शामिल थे जिनकी रूसी आर्मी में भर्ती होने की पुष्टि हुई है। इस लिस्ट में हरियाणा के कई युवकों के नाम हैं। इसके अलावा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के युवाओं के नाम भी शामिल हैं।

करनाल के अनुज का मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि कैसे मानव तस्कर एजेंट भारतीय युवाओं को विदेश में नौकरी और मोटी कमाई का झूठा लालच देकर उन्हें जानलेवा परिस्थितियों में धकेल रहे हैं। परिजन सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द कूटनीतिक स्तर पर प्रयास किए जाएं और अनुज को युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकाला जाए।

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