Jaguar jet crash in Churu: रोहतक के पायलट लोकेंद्र सिंह ने जेट को गांव से दूर उड़ाकर बचाईं सैकड़ों जानें, सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

हरियाणा के रोहतक के पायलट लोकेंद्र सिंह ने बुधवार को राजस्थान के चुरू में हुए जगुआर फाइटर जेट क्रैश में अपनी जान देकर सैकड़ों लोगों की जान बचाई। हादसे के वक्त विमान गांव के ऊपर उड़ रहा था, जिसे पायलट सुनसान इलाके की ओर मोड़कर ले गए।

Updated On 2025-07-10 20:39:00 IST

Jaguar jet crash in Churu : राजस्थान के चुरू में जगुआर फाइटर जेट क्रैश में रोहतक के पायलट लोकेंद्र सिंह सिंधु (32) ने अपनी जान देकर सैकड़ों जानें बचाईं। जब जेट में खराबी आई तो वह भानुदा विदावतान और भानुदा चारनान गांव के ऊपर उड़ रहा था। दोनों पायलट इसे आबादी से दूर ले गए और जेट खाली इलाके में क्रैश हो गया। इन दोनों गांवों में करीब 1200 परिवार रहते हैं। शहीद लोकेंद्र के बड़े भाई ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि पायलटों ने अपना फर्ज निभाते हुए ग्रामीणों की जान बचाई है।

रोहतक में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

शहीद पायलट स्क्वॉड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधु का रोहतक के रामबाग श्मशान घाट में पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि शहीद लोकेंद्र के भाई ज्ञानेंद्र सिंह ने दी। जिला प्रशासन की ओर से उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह ने शहीद लोकेंद्र सिंह सिंधु की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सतीश नांदल, रोहतक के एसडीएम आशीष कुमार, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजवीर सिंह व जिला सैनिक बोर्ड की सचिव गौरिका सुहाग ने भी पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी। सेना की टुकड़ी ने हवा में फायरिंग कर शहीद को अंतिम सलामी दी। शहीद का पार्थिव शरीर गुरुवार देर सायं 6 बजे हिंडन एयरपोर्ट से सड़क माध्यम से रोहतक लाया गया। देव कॉलोनी स्थित उनके निवास स्थान से पार्थिव देह को रामबाग शमशान घाट लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम यात्रा में शहीद लोकेंद्र सिंह सिंधु अमर रहे के नारे गूंजते रहे।

10 जून को बने थे पिता, 30 जून को गए थे ड्यूटी

लोकेंद्र सिंह सिंधु की शादी डॉ. सुरभि के साथ 25 नवंबर 2020 को हुई थी। वह एमडीयू से पीएचडी कर रही हैं। शादी के करीब पांच साल बाद उनके घर पर 10 जून को बेटा हुआ था। लोकेंद्र सिंह भी इस खुशी में छुट्टी लेकर आए हुए थे। वे 30 जून तक घर पर ही रहे और परिवार के साथ खुशियां बांटी थीं। हादसे वाले दिन भी सुबह 10 बजे उन्होंने बेटे को देखने की इच्छा जाहिर की थी। तब फैमिली ग्रुप में फोटो शेयर की गईं। किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह खुशियां इतनी जल्दी मातम में बदल जाएंगी।

बहन और जीजा भी एयरफोर्स में रहे

तीन भाई बहनों में लोकेंद्र और उनकी बहन अंशी दोनों एयरफोर्स में थे। बहन रिटायर हो चुकी हैं और उनके जीजा अब भी विंग कमांडर हैं। बड़े भाई ज्ञानेंद्र सिंह इंजीनियर हैं। उनके पिता जोगिंद्र सिंधु एमडीयू से 2023 में सुपरिंटेंडेंट के पद से रिटायर हुए हैं। वहीं, दादा बलवान सिंधु आर्मी में एजुकेशन हवलदार रह चुके हैं। पूरा परिवार ही देशभक्ति की भावना से सराबोर है।

सिंगल सीटर जेट ही ज्यादा उड़ाते थे लोकेंद्र सिंह

बड़े भाई ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि हादसे के वक्त लोकेंद्र सिंह अपने एक को पायलट को ट्रेनिंग दे रहे थे। 2 सीटर वाला यह जगुआर ज्यादा नीचे आ गया, जिस कारण इसे दोबारा टेकऑफ नहीं किया जा सका। लोकेंद्र अगर एक सीट वाले जगुआर को उड़ा रहा होता तो वह बच जाता क्योंकि वह अधिकतर सिंगल सीट वाला जगुआर ही उड़ाता था। जनवरी में जब वह लोकेंद्र से मिलने गए थे तब भी उसने जगुआर से निकलकर बचने के सिफ्ट टिप्स बताए थे।

पहले भी हादसे में बच चुके हैं लोकेंद्र सिंह

भाई ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि एक बार पहले भी लोकेंद्र के विमान में कुछ दिक्कत आई थी। जब लोकेंद्र जगुआर उड़ा रहा था तो उसके प्लेट के ऊपर की कैनोपी हवा में उड़ गई थी। लोकेंद्र ने हिम्मत रखते हुए अपने कौशल से सुरक्षित लैंडिंग करवा ली थी।

पहले ही प्रयास में पास कर ली थी एनडीए की परीक्षा

शहीद के दादा बलवान सिंह सिंधु पोते को याद करते हुए कई बार भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि लोकेंद्र ने एमडीयू कैंपस स्कूल से 12वीं की परीक्षा पास की थी। वह उसे एक सैन्य अधिकारी के पास लेकर गए थे, जिन्होंने उसे सेना के बारे में बताया। लोकेंद्र ने इसके बाद पहले ही प्रयास में एनडीए की परीक्षा को पास कर लिया था। 

Tags:    

Similar News