हरियाणा मानव अधिकार आयोग: बिहार के 'संतोष’ की पीड़ा पर आयोग का 'असंतोष', जानिए क्या था मामला
बहादुरगढ़ में 15 वर्षीय बंधुआ मजूदर के शारीरिक शोषण की जांच रिपोर्ट पर असंतोष जताते हुए मानव अधिकार आयोग ने संबंधित अधिकारियों को रिकार्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग।
हरियाणा के बहादुरगढ़ स्टेशन पर साथियों से बिछुड़े बिहार के 15 वर्षीय बालक से बाल मजदूरी करवाने व शारीरिक उत्पीड़न के मामले में हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने स्वत संज्ञान लिया था। इसी साल 13 अगस्त को आयोग के चेयरमैन जस्टिस ललित बत्रा व सदस्य कुलदीप जैन और दीप भाटिया ने संबंधित अधिकारियों को तत्काल व्यापाक जांच के आदेश दिए थे। GRP बहादुरगढ़ की जांच रिपोर्ट से मानवाधिकार आयोग संतुष्ट नहीं है तथा आयोग ने संबंधित अधिकारियों को रिकार्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिए है।
एफआईआर व दस्तावेज नहीं खा रहे मेल
आयोग ने कहा कि संग्लन दस्तावेज एफआईआर के साथ मेल नहीं खा रहे। आरोपी अनिल कुमार बहादुरगढ़ स्टेशन से आधे घंटे का सफर तय कर संतोष को अपने डेयरी फार्म पर ले जाकर उससे बंधुआ मजदूरी करवाई। पूरा घटनाक्रम स्पष्ट से अपहरण, बंधी बनाने व शारीरिक उत्पीड़न को दर्शाता है। रिपोर्ट से लगता है कि डेयरी फार्म स्टेशन से 20 से 25 किलोमीटर दूर है, परंतु रिपोर्ट में घटना स्थल का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। आयोग ने एसपी अंबाला छावनी से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त करने का निर्देश दिया है|
27 नवंबर को होगी सुनवाई
जस्टिस ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग ने जांच रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए कहा कि पुलिस रिपोर्ट में अब तक आरोपियों की पहचान, उनका पता लगाने या गिरफ्तारी संबंधी कोई ठोस प्रगति नहीं दिखाई गई है। आयोग का मानना है कि का मत है कि अब तक की जांच अपूर्ण, अस्पष्ट है। आयोग ने पाया कि पुलिस रिपोर्ट में घटनास्थल का सटीक विवरण, आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी की प्रगति का अभाव है। जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि आयुक्त पुलिस झज्जर, एसपी नूंह, सहायक श्रम आयुक्त जींद, डीसी जींद, डीसी नूंह, सीएमओ नूंह व बाल संरक्षण अधिकारी नूंह को सुनवाई की अगली तिथि 27 नवम्बर 2025 से पहले आयोग के सामने अपनी रिपोर्ट प्रतुत करने के आदेश दिए हैं।
क्या था मामला
बिहार के किशनगंज जिले के 15 वर्षीय संतोष को झूठ प्रलोभन देकर बंधुआ मजदूरी के लिए हरियाणा लाया गया था। बताया गया कि बहादुरगढ़ रेलवे स्टेशन पर अपने साथियों से बिछड़ने के बाद यह बालक संतोष एक व्यक्ति के संपर्क में आया जिसने उसे ₹10,000 मासिक वेतन पर डेयरी में काम का लालच दिया। परंतु उसे दो माह तक जबरन मजदूरी करवाई गई और शारीरिक उत्पीड़न सहना पड़ा। चारा काटते समय हुई गंभीर दुर्घटना में उसका बायां हाथ कट गया। जिसके बाद उसे सुनसान जगह पर छोड़ दिया गया। घायल अवस्था में नूंह पहुंचे बालक की शिक्षक ने उपचार करवाकर पुलिस को सूचना दी। तब आयोग ने कहा था कि यह घटना न केवल संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन को दर्शाती है, बल्कि यह भी उजागर करती है कि बच्चों की सुरक्षा हेतु बनाए गए संस्थागत तंत्र में गंभीर कमी है।
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