हरियाणा कांग्रेस: कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष को बीरेंद्र की चुनौती,'6 माह में दिखेगा किसमें कितना दम'
पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने अपने बड़बोलेपन के लिए जाने जाते हैं। राव नरेंद्र सिंह को उसके घर में घुसकर चुनौती देकर एक बार फिर अपना अंदाज दिखा दिया है।
महेंद्रगढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबाेधित करते बीरेंद्र सिंह।
हरियाणा में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह की पहचान सर छोटू राम के नाती होने के साथ अपने बड़बोलेपन के लिए भी जाना जाता है। चौ. बीरेंद्र सिंह फ्लो में अक्सर ऐसी बात कह जाते हैं, जिनका उन्हें खुद ही पता नहीं होता। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह पर दिए अपने बयान को लेकर दिए अपने एक बयान से चौ. बीरेंद्र सिंह फिर उसी अंदाज में नजर आए। पूर्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह की सद्भावना यात्रा को लेकर महेंद्रगढ़ पहुंचे बीरेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस के जो नेता यात्रा से दूरी बनाए हुए हैं, उन्हें अगले 6 से 7 माह में पता चल जाएगा कि किसमें कितना दम है। प्रदेशाध्यक्ष की कमान संभालने के बाद राव नरेंद्र सिंह अब तक बृजेंद्र सिंह द्वारा निकाली जा रही सद्भावना यात्रा से दूरी बनाए हुए हैं। खेमों में बंटी प्रदेश कांग्रेस को नया अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष मिलने के बाद बीरेंद्र सिंह के इस बयान ने एक बार फिर कांग्रेस के अंदर हलचल तेज कर दी है।
6 चरणों में 90 हलके होंगे कवर
पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह अपनी सद्भावना यात्रा के 6 चरणों में प्रदेश के सभी 90 हलकों को कवर करेंगे। जिसकी शुरूआत पांच अक्टूबर को चौ. बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक कर्मभूमि रहे उचाना हलके से हुई थी। चौ. बीरेंद्र सिंह ही अपने बेटे की सद्भावना यात्रा की कमान संभाले हुए हैं तथा यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने के लिए बीरेंद्र सिंह महेंद्रगढ़ पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि बात करने के बाद बृजेंद्र ने जब यात्रा करने की सोची तब प्रदेश में कांग्रेस का संगठन नहीं था और यात्रा शुरू करने से पहले राहुल गांधी से चर्चा की थी। अब प्रदेश में संगठन बन चुका है। पार्टी के कुछ साथी यात्रा के साथ आ रहे हैं तो कुछ में अभी भ्रम बना हुआ है। यात्रा में कौन शामिल होता है कौन नहीं यह सब पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं पर निर्भर करता है।
दिल्ली में बोले थे बीरेंद्र सिंह
कांग्रेस से जाने के बाद करीब 10 साल भाजपा में रहने के बाद बीरेंद्र सिंह 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा छोड़ फिर कांग्रेस में चले गए थे। दिल्ली में आयेाजित कार्यक्रम में पत्नी के साथ कांग्रेस ज्वाइन करते हुए बीरेंद्र सिंह ने आलाकमान के सामने हरियाणा में एक बड़ी रैली कर प्रदेश की राजनीतिक हवा बदलने का दावा किया था। जिसके बावजूद लोकसभा में कांग्रेस ने बेटे का टिकट नहीं दिया और विधानसभा में बेटे को टिकट मिला तो बीरेंद्र सिंह अपना गढ़ भी नहीं बचा पाए थे। करनाल में जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रिटायर होने की सलाह दी तो हुड्डा ने खुद की सीएलपी लीडर पर ताजपोशी करवाने के साथ अपने समर्थक माने जाने वाले राव नरेंद्र को प्रदेशाध्यक्ष का ताज दिलवाकर बीरेंद्र को अपनी भाषा में जवाब दिया था।
मेरे अध्यक्ष बनने से पहले का कार्यक्रम
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सद्भावना यात्रा में शामिल होने के बारे में राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि यह कार्यक्रम उनके अध्यक्ष बनने से पहले का है। वह हाईकमान के आदेशों का पालन करेंगे। जैसा आदेश मिलेगा, उसी अनुसार निर्णय लिया जाएगा। इसके बावजूद सद्भावना यात्रा शुरू होने के करीब 25 दिन बाद भी राव नरेंद्र सिंह सद्भावना यात्रा से दूरी बनाए हुए हैं। महेंद्रगढ़ पहुंचकर दिए चौ. बीरेंद्र सिंह के बयान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। अब देखना होगा कि राव नरेंद्र सिंह या फिर हुड्डा समर्थक खेमा चौ. बीरेंद्र सिंह को जवाब देता है या फिर खामोशी के साथ पहले की तरह अपने विरोधियों को जवाब देता है।
मैने देखा है 1977 का दौर
चौ. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस में अब तक दो बार ऐसी परिस्थितियां बनी है। जब कांग्रेस में बोलने वाले ज्यादा और सुनने वाले कम होते थे। मेरे कहने का मतलब यह नहीं है कि कम होते थे या होते ही नहीं थे। इसे समझने की जरूरत है। 1997 में जब कांग्रेस हारी तो कहा गया कांग्रेस को उठाओ। कांग्रेस विरोधी हवा बनने पर हमारे जिले में तो जिलाध्यक्ष ही पार्टी छोड़कर चले गए थे। तब मैं युवा कांग्रेस का अध्यक्ष था। जिला अध्यक्ष की तरफ इशारा करते हुए कहा कि युवा हैं। अभी शुरूआती काम है इतना आसान नहीं होगा। कांग्रेस के कुछ लोग सक्रिय हुआ है, बाकी को भी सक्रिय होना होगा। तभी कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होगी।
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